• संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 1 अक्टूबर, 1926 को अपनी स्थापना की शताब्दी मनाई।
  • उद्देश्य: राष्ट्र के संस्थापकों द्वारा योग्यता के संरक्षक के रूप में परिकल्पित, UPSC ने केंद्रीय सिविल सेवाओं के अधिकारियों की भर्ती, पदोन्नति और अनुशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • प्रारंभिक सिविल सेवा (ईस्ट इंडिया कंपनी के दौरान):
    • लॉर्ड कॉर्नवालिस को ‘भारत में सिविल सेवाओं का जनक’ माना जाता है और वर्ष 1793 के चार्टर अधिनियम ने संविदात्मक सिविल सेवाओं की स्थापना की, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों के लिए अधिक संरचित प्रशासन और पेंशन की व्यवस्था हुई।
  • भारत सरकार अधिनियम, 1919 ने पहली बार इस तरह के निकाय का प्रावधान किया और अक्टूबर 1926 में, ली आयोग (1924) की सिफारिशों के बाद, लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई।
  • भारत सरकार अधिनियम 1935 ने संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की, जिससे प्रांतीय स्वायत्तता और प्रांतों के लिए अलग लोक सेवा आयोगों की शुरुआत हुई।
  • स्वतंत्रता के बाद:
    • राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस- इसकी शुरुआत 21 अप्रैल, 1947 से हुई, जब स्वतंत्र भारत के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिल्ली के मेटकाफ हाउस में प्रशासनिक सेवाओं के परिवीक्षार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने सिविल सेवकों को “भारत का इस्पात ढांचा” कहा।
    • वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सिविल सेवा (ICS) का स्थान भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) ने ले लिया।
    • वर्ष 1950 में, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने राष्ट्रीय स्तर पर सिविल सेवाओं के लिए भर्ती का कार्यभार संभाला।

सुधार और पहल:

  • पार्श्व प्रवेश योजना: नए दृष्टिकोण और विशिष्ट ज्ञान लाने के लिए मध्य-स्तरीय पदों पर निजी क्षेत्र से क्षेत्र विशेषज्ञों की नियुक्ति।
    • शासन में सुधार और नवाचार लाना तथा लचीलापन बढ़ाना।
  • मिशन कर्मयोगी: राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम (NPCSCB)
    • सितंबर 2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित, मिशन कर्मयोगी एक प्रमुख सुधार है जिसका उद्देश्य सिविल सेवकों को 21वीं सदी के लिए सही कौशल, ज्ञान और दृष्टिकोण से लैस करना है।
    • “नियम-आधारित” से “भूमिका-आधारित” प्रबंधन की ओर बदलाव।
  • स्मार्ट प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट रिकॉर्डिंग ऑनलाइन विंडो (SPARROW)- SPARROW प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि प्रदर्शन मूल्यांकन प्रक्रिया पारदर्शी, समयबद्ध और निष्पक्ष हो।
  • प्रोफेशनल रिसोर्स एंड टैलेंट इंटीग्रेशन ब्रिज फॉर हायरिंग एस्पिरेंट्स (PRATIBHA) सेतु पहल- साक्षात्कार चरण तक पहुँचने वाले लेकिन अंतिम सूची में स्थान न पाने वालों के लिए रोजगार के वैकल्पिक अवसर प्रदान करती है।

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