संदर्भ:

क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क तथा ग्लोबल लीगल एक्शन नेटवर्क (GLAN) ने यूरोपीय आयोग के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया है, जिसमें तर्क दिया गया है कि यूरोपीय संघ के उत्सर्जन लक्ष्य पेरिस समझौते की 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान सीमा को पूरा करने हेतु अपर्याप्त हैं।

पृष्ठभूमि

  • उन्होंने यूरोपीय संघ के निर्णयकर्ताओं से जलवायु कार्रवाई को बढ़ाने तथा फिट फॉर 55 विधायी पैकेज की महत्वाकांक्षा के अपर्याप्त स्तर से आगे जाने का आग्रह किया, जिससे अल्पावधि में उत्सर्जन में तीव्र कमी लाई जा सके तथा वर्ष 2030 तक कम से कम 65% सकल उत्सर्जन कटौती हासिल की जा सके।
  • उनका दावा है कि यूरोपीय संघ का वार्षिक उत्सर्जन आवंटन पर्यावरण कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करता है, जिसमें पेरिस समझौता, यूरोपीय संघ के मौलिक अधिकारों का चार्टर और यूरोपीय संघ के कामकाज पर संधि का अनुच्छेद 191 शामिल है।
  • जनरल कोर्ट में सुनवाई वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में होने की उम्मीद है तथा निर्णय वर्ष 2026 की शुरुआत में आने की संभावना है।
  • ‘फिट फॉर 55’ पैकेज: इसका उद्देश्य यूरोपीय जलवायु कानून के लक्ष्यों: वर्ष 2050 तक जलवायु तटस्थता और वर्ष 1990 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक शुद्ध ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में 55% की कमी को प्राप्त करना है।

पेरिस समझौते के विवरण

  • यह एक कानूनी रूप से बाध्यकारी जलवायु संधि है जिसे 12 दिसंबर, 2015 को पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP21) में 196 पक्षों द्वारा अपनाया गया था तथा यह 4 नवंबर, 2016 से प्रभावी है।
  • इसका मुख्य लक्ष्य इसे पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5°C ऊपर रखने हेतु वैश्विक तापमान को 2°C से नीचे रखना है।

1.5°C पर जोर:

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी पैनल ने चेतावनी दी है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान अधिक गंभीर जलवायु प्रभाव पैदा कर सकता है, जैसे- बार-बार और तीव्र सूखा, हीटवेव्स (गर्म हवाएं) और भारी वर्षा।

पेरिस समझौता के काम करने का तरीका

महत्वाकांक्षा का पांच वर्षीय चक्र:

  • यह देशों द्वारा तेजी से महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई या उसे आगे बढ़ाने के पांच-वर्षीय चक्र पर काम करता है।

राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान: 

  • वर्ष 2020 से देश अपनी जलवायु कार्ययोजनाएं प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) कहा जाता है।
  • प्रत्येक नए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान से अपेक्षा की जाती है कि वह पिछले राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान की तुलना में अधिक महत्वाकांक्षा प्रदर्शित करेगा, जो जलवायु कार्रवाई के प्रति अधिक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 

दीर्घकालिक रणनीतियाँ:

  • दीर्घकालिक न्यून ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास रणनीतियां (LT-LEDS): देशों को दीर्घकालिक न्यून ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास रणनीतियां बनाने और प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जो उत्सर्जन में कमी लाने पर दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करते हैं।
  • यद्यपि अनिवार्य नहीं है, दीर्घकालिक न्यून ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास रणनीतियां व्यापक राष्ट्रीय योजना और विकास लक्ष्यों के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान की रूपरेखा तैयार करने में मदद करते हैं तथा भविष्य में जलवायु कार्रवाई के लिए दिशा प्रदान करते हैं।

वर्तमान लक्ष्यों से संबंधित मुद्दे 

  • विज्ञान आधारित लक्ष्य: यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया है कि उत्सर्जन लक्ष्य नवीनतम जलवायु विज्ञान पर आधारित होने चाहिए। कार्यकर्ताओं का दावा है कि यूरोपीय संघ के लक्ष्यों में इस वैज्ञानिक आधार का अभाव है।
  • आंतरिक समीक्षा अनुरोध: ग्लोबल लीगल एक्शन नेटवर्क और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क-यूरोप ने यूरोपीय आयोग द्वारा अलग-अलग सदस्य देशों के लिए निर्धारित ‘वार्षिक उत्सर्जन आवंटन’ (Annual Emissions Allocations-AEA) की आंतरिक समीक्षा के लिए अनुरोध (RIR) प्रस्तुत किया। दिसंबर 2023 में इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया, जिसके कारण वर्तमान न्यायालय मामला सामने आया। 

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चक्रवात असना

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