संदर्भ: 

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी  का नया मिशन , जिसे बायोमास मिशन के रूप में जाना जाता है , 29 अप्रैल को फ्रेंच गुयाना में यूरोप के अंतरिक्ष केंद्र से वेगा सी रॉकेट के द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा।

बायोमास मिशन के बारे में

  • इसे सूर्य-समकालिक कक्षा ( SSO) में स्थापित किया जाएगा, जो एक प्रकार की कक्षा है जिसमें उपग्रह सूर्य के साथ समन्वय में रहते हैं, तथा इसकी ऊंचाई लगभग 666 किमी होगी।
  • बायोमास ESA का सातवां अर्थ एक्सप्लोरर मिशन है, जिसे पांच वर्षीय मिशन के रूप में योजनाबद्ध किया गया है।

उद्देश्य:

  • विश्व के वनों तथा उनमें हो रहे परिवर्तनों के बारे में उन्नत समझ विकसित करना।
  • भूमि पर कार्बन स्टॉक और प्रवाह की गणना में अनिश्चितताओं को कम करना।
  • कार्बन चक्र में वनों की भूमिका के बारे में नई जानकारी प्रदान करना।
  • वनोन्मूलन और वन क्षरण को कम करने के लिए वैश्विक कार्रवाई का समर्थन करना।

मिशन निम्नलिखित कार्य करेगा:

  • शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उप-सतही भूवैज्ञानिक विशेषताओं की निगरानी करना।
  • अंटार्कटिका में बर्फ की परतों की गतिविधि पर नज़र रखना।
  • वैज्ञानिकों को घने वनों से आच्छादित भूभाग का मॉडल बनाने में सक्षम बनाना।

बायोमास मिशन की तकनीक और उद्देश्य

सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) का उपयोग

  • यह मिशन SAR नामक उपग्रह इमेजिंग तकनीक का उपयोग करता है, जो पृथ्वी की सतह का मानचित्रण करने के लिए रडार तरंगों का उपयोग करता है।
  • दीर्घ-तरंग P-बैंड आवृत्ति रेंज में संचालित होता है , जिसकी तरंगदैर्घ्य 70 सेमी है,जो अन्य SAR प्रणालियों की तुलना मेंअधिक लंबी है।
  • यह रडार को घने वनों के वितान(कैनोपी) में प्रवेश करने तथा वनों के तल और शाखाओं से जानकारी एकत्र करने में सक्षम बनाता है।

वन बायोमास और कार्बन का मापन

  • P -बैंड SAR वैश्विक स्तर पर वन बायोमास की मात्रा का अनुमान लगाएगा।
  • बायोमास का लगभग आधा हिस्सा कार्बन है , इसलिए इससे वनों में कार्बन की मात्रा की सटीक गणना संभव हो जाती है।
  • आंकड़ों से पता चलेगा कि समय के साथ वनों में कार्बन का स्तर किस प्रकार परिवर्तित हो रहा है।

P-band SAR वाला पहला उपग्रह

  • यह P-band SAR सेंसर ले जाने वाला विश्व का पहला उपग्रह मिशन है ।
  • इसमें 12 मीटर का एक बड़ा एंटीना लगा है, जिसे पृथ्वी का अवलोकन शुरू करने के लिए कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
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