संदर्भ:
हाल ही में, यूनाइटेड किंगडम (UK) ने चागोस द्वीप समूह की संप्रभुता मॉरीशस को सौंपने की घोषणा की। यह घोषणा दशकों से यूनाइटेड किंगडम के कब्जे वाले क्षेत्र के क्षेत्रीय नियंत्रण में हुए एक महत्वपूर्ण बदलाव को रेखांकित करता है।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस समझौते से ब्रिटेन के अंतिम अफ्रीकी उपनिवेश पर लंबे समय से चले आ रहे विवाद का समापन हो गया है। यह समझौता अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के उस फैसले के बाद हुआ है, जिसमें कहा गया था कि ब्रिटेन ने मॉरीशस को स्वतंत्र घोषित करने से पहले चागोस द्वीपसमूह को अवैध रूप से उससे अलग कर दिया था।
- यह समझौता अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, संयुक्त राष्ट्र महासभा और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून अधिकरण (इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ सी) के द्वारा वर्ष 2019 और वर्ष 2021 में मॉरीशस के संप्रभुता के दावे को मान्यता देने के बाद हुआ है।
समझौते के मुख्य बिंदु
- इस समझौते के तहत यूके(UK) ने चागोस द्वीपसमूह पर अपना दावा छोड़ दिया है, जिससे मॉरीशस को डिएगो गार्सिया (Diego Garcia) को छोड़कर अन्य स्थानों पर पुनर्वास कार्यक्रम चलाने की अनुमति मिल गई है।
- इस समझौते के तहत डिएगो गार्सिया का बेस 99 वर्षों तक संचालित रहेगा तथा इस द्वीप पर यूके का नियंत्रण रहेगा।
- इस समझौते के तहत, यूके ने “चागोस द्वीप समूह के निवासियों के हित हेतु” एक नया न्यास कोष (ट्रस्ट फंड) बनाने का भी वादा किया है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- चागोस द्वीपसमूह 58 द्वीपों का एक समूह हैं। यह मध्य हिंद महासागर में, मालदीव से लगभग 500 किलोमीटर दक्षिण में और भारत से लगभग 1,600 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
- 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक इन द्वीपों पर कोई बस्तियाँ नहीं थी। इन द्वीपों पर फ्रांसीसियों ने नए नारियल के बागानों में काम करने के लिए अफ्रीका और भारत से दास श्रमिकों को लाकर बस्तियाँ स्थापित की।
- वर्ष 1814 में फ्रांस ने इस द्वीप को ब्रिटेन को सौंप दिया।
- वर्ष 1965 में, ब्रिटेन ने ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) बनाने के लिए चागोस द्वीप समूह को मॉरीशस से अलग किया। बाद में वर्ष 1968 मॉरीशस को स्वतंत्र घोषित किया गया।
- 1970 के दशक के शुरुआत में, ब्रिटेन ने डिएगो गार्सिया पर एक एयरबेस बनाने के लिए लगभग 2,000 चागोस के नागरिकों को मॉरीशस और सेशेल्स भेज दिया। इसे वर्ष 1966 में अमेरिका को पट्टे(लीज ) पर दे दिया गया।
डिएगो गार्सिया का सामरिक महत्व
- 1970 के दशक के प्रारंभ से ही डिएगो गार्सिया हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण अमेरिकी सैन्य अड्डे के रूप में कार्य कर रहा है। इस द्वीप ने खाड़ी और दक्षिण एशिया सहित अनेक संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में सैन्य अभियानों में सहायता की।
- कानूनी प्रावधान (वर्ष 1971 में BIOT आव्रजन अध्यादेश और 2004 के ऑर्डर इन काउंसिल) के माध्यम से सेना की मंजूरी के बिना किसी भी व्यक्ति को बिना अनुमति के द्वीपों पर रहना एक अपराध बना दिया गया।
- इसकी रणनीतिक स्थिति प्रमुख समुद्री मार्गों की निगरानी की अनुमति देती है, जो चीन और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ बढ़ते तनाव के बीच अमेरिकी हितों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
चागोस द्वीप समूह से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाक्रम :
1783: यहाँ के प्रथम निवासी अफ्रीकी गुलामों के रूप में चागोस द्वीप पर फ्रांसीसी नारियल के बागानों में काम करने के लिए लाए गए। बाद में, गुलामी से मुक्ति के बाद गिरमिटिया भारतीय भी वहाँ बस गए।
1814: ब्रिटेन ने फ्रांस को हराकर चागोस द्वीप समूह पर कब्ज़ा कर लिया।
1965: ब्रिटेन ने मॉरीशस से चागोस द्वीप समूह को अलग करके ब्रिटिश हिंद महासागर क्षेत्र (BIOT) का गठन किया।
- इसी वर्ष ब्रिटेन और अमेरिका ने डिएगो गार्सिया पर एक सैन्य अड्डा स्थापित करने पर सहमत हुए।
1968: मॉरीशस को स्वतंत्र घोषित किया गया, लेकिन चागोस द्वीप को ब्रिटेन ने अपने पास रखा।
1967-1973: इस अवधि के दौरान, चागोस द्वीप की पूरी आबादी को जबरन मॉरीशस और सेशेल्स में स्थानांतरित कर दिया गया।
- ह्यूमन राइट्स वॉच ने इसे “मानवता के विरुद्ध अपराध” घोषित किया।
2015: मॉरीशस ने हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) में ब्रिटेन के खिलाफ मामला दायर किया।
- ब्रिटेन ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा बताते हुए मामले को रोकने की कोशिश की।
- इस पर न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ब्रिटेन ने मॉरीशस के अधिकारों और संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून का उल्लंघन किया है।
2019: संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च अंग अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने ब्रिटेन के कब्जे को अवैध करार देते हुए ब्रिटेन को आदेश दिया कि वह इसे मॉरीशस को वापस सौंप दे।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने द्वीपों पर ब्रिटेन के कब्जे की निंदा करते हुए एक संकल्प (प्रस्ताव) पारित किया।
- संयुक्त राष्ट्र ने ब्रिटेन से छह महीने के भीतर अपने कब्जे को छोड़ने को कहा, लेकिन ब्रिटेन ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
2021: संयुक्त राष्ट्र समुद्री न्यायालय ने ब्रिटेन के संप्रभुता के दावे को खारिज कर दिया।
2024: ब्रिटेन चागोस को मॉरीशस को हस्तांतरित करने पर सहमत हो गया है, लेकिन इसने डिएगो गार्सिया पर संयुक्त अमेरिकी सैन्य अड्डा को संचालित रखने की बात भी कही है।