संदर्भ:

हाल ही में स्विट्जरलैंड में यूक्रेन पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शांति शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ।

अन्य संबंधित जानकारी :

  • शिखर सम्मेलन का अवलोकन: प्रतिभागियों ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को समाप्त करने की आशा व्यक्त की।
    भाग लेने वाले 100 प्रतिनिधिमंडलों में से 80 देशों और चार संगठनों ने शांति पथ शिखर सम्मेलन की अंतिम संयुक्त विज्ञप्ति का समर्थन किया , जिसका उद्देश्य फरवरी 2022 से जारी रूस-यूक्रेन संघर्ष को हल करना है।

घोषणा के मुख्य बिंदु: घोषणा में युद्ध और उसके वैश्विक दुष्परिणामों के कारण होने वाली व्यापक मानवीय पीड़ा और विनाश पर प्रकाश डाला गया, जिसमें तीन प्रमुख एजेंडों पर ध्यान केंद्रित किया गया: परमाणु सुरक्षा, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और मानवीय मुद्दे।

  • घोषणापत्र में सभी युद्धबंदियों की पूर्ण अदला-बदली और रिहाई का आह्वान किया गया।
  • इसमें निर्वासित एवं अवैध रूप से विस्थापित यूक्रेनी बच्चों और नागरिकों की वापसी की मांग की गई।
  • यूक्रेन की प्रतिक्रिया: यूक्रेन ने शिखर सम्मेलन की सराहना करते हुए इसे एक कूटनीतिक सफलता बताया तथा एक न्यायपूर्ण एवं स्थायी समाधान प्राप्त करने के उद्देश्य से दूसरे शांति शिखर सम्मेलन के प्रति आशा व्यक्त की।
  • स्विटजरलैंड की प्रतिक्रिया: स्विटजरलैंड ने इस घोषणा को अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आधार पर शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से एक मजबूत संकेत बताया ।

गैर-पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया: भारत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से दूरी बनाई। वर्तमान G-20 अध्यक्ष ब्राज़ील ने केवल एक पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया, चीन ने यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लिया

  • भारत का रुख : भारत के अनुसार रूस और यूक्रेन दोनों को स्वीकार्य द्विपक्षीय समाधान से शांति की स्थापना हो सकती है। भारत ने यूक्रेन में शांति शिखर सम्मेलन में हुए समझौते को खारिज कर दिया। और राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल के बजाय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल भेजने का आह्वान किया।
  • तुर्की का दृष्टिकोण: तुर्की ने कहा कि यदि रूस ने इसमें भाग लिया होता, तो शिखर सम्मेलन अधिक परिणामोन्मुखी हो सकता था, तथा उसने संघर्षरत पक्षों के बीच शांति वार्ता को सुगम बनाने की अपनी इच्छा दोहराई होती।
  • पश्चिमी देशों का रुख: शिखर सम्मेलन के दौरान, पश्चिमी नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन इस संघर्ष में पीड़ित है, और शांति का मतलब आत्मसमर्पण नहीं होना चाहिए, उन्होंने शांति वार्ता के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शर्तों का जिक्र किया।
  • रूस की अनुपस्थिति: मेजबान स्विटजरलैंड ने रूस को आमंत्रित नहीं किया था। इससे शिखर सम्मेलन की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ें होते है ।
    चीन, भारत या संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत, स्विट्जरलैंड रोम संविधि पर हस्ताक्षरकर्ता है और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के निर्णयों का पालन करता है , जिसने रूसी राष्ट्रपति पर कथित युद्ध अपराधों के लिए अभियोग लगाया है।
  • समावेशी वार्ता का आह्वान: विज्ञप्ति में शांति प्राप्त करने के लिए सभी पक्षों को वार्ता में शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इसमें रूस सहित सभी पक्षों के साथ भविष्य में सहभागिता की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • भावी शांति शिखर सम्मेलन : यूक्रेन ने आशा व्यक्त की कि अगले शिखर सम्मेलन में रूस भी शामिल होगा, तथा इस बात पर बल दिया कि शांति न्यायसंगत और स्थायी होनी चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court-ICC) 

  • यह एक अंतर-सरकारी संगठन और अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण है जो नीदरलैंड के हेग में स्थित है, और ‘रोम संविधि’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संधि द्वारा शासित है ।
  • यह पहला और एकमात्र स्थायी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है जो नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराध, युद्ध अपराध और आक्रामकता के अंतरराष्ट्रीय अपराधों के लिए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाता है।

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