संदर्भ:
नेचर जर्नल में प्रकाशित एक नवीनतम अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने पाया है कि अर्धचालक(सेमीकंडक्टर) सामग्रियों से बने मोइरे सामग्री (Moiré Material) भी अतिचालक(सुपरकंडक्टर) हो सकते हैं।
अन्य संबंधित जानकारी:
- टंगस्टन डाइसेलेनाइड (tWSe₂) पर किये गये पिछले शोध ने सुपरकंडक्टर (अतिचालक) अवस्थाओं की संभावना प्रदर्शित की, लेकिन जब शोधकर्ताओं ने इसे कमरे के तापमान और संक्रमण ताप के बीच आवर्तित किया, तो यह अस्थिर था।
- यह अध्ययन सेमीकंडक्टर-आधारित प्रणालियों में अतिचालकता का पता लगाने के लिए एक नया क्षेत्र बनाता है।
अध्ययन के मुख्य बिन्दु:
शोधकर्ताओं ने मुड़े हुए (3.65º के कोण वाले) द्विपरत टंगस्टन डाइसेलेनाइड (tWSe₂) में अतिचालकता की खोज की, जो टंगस्टन डाइसेलेनाइड की दो परतों को जोड़कर बनाया गया एक मोइरे पदार्थ है।
tWSe2 में अतिचालकता इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन अंतःक्रिया और अर्ध-बैंड भरने के कारण होती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि tWSe2 एक मजबूत कंडक्टर है, जिसका संक्रमण ताप लगभग -272.930 C है।
- संक्रमण ताप (Transition Temperature) वह महत्वपूर्ण मान होता है, जिसके नीचे कोई पदार्थ अतिचालक अवस्था में प्रवेश करता है तथा शून्य विद्युत प्रतिरोध प्रदर्शित करता है।
मोइरे सामग्री के इलेक्ट्रॉनिक गुणधर्मों में परिवर्तन करके उसे इन्सुलेटिंग (गैर-चालक) अवस्था में परिवर्तित किया जा सकता है।
मोइरे सामग्री
परमाणु रूप से भी पतले वैन डेर वाल्स क्रिस्टल को एक दूसरे के ऊपर रखकर पूरी तरह से नए गुणों वाले सिंथेटिक पदार्थ बनाए जा सकते हैं, जिन्हें मोइरे पदार्थ के रूप में जाना जाता है।
मोइरे पदार्थ की दो परतों में परमाणुओं की संरचना एक जैसी होती है, लेकिन छोटे से मोड़ के कारण उत्पन्न अव्यवस्था एक पूर्णतया भिन्न पैटर्न उत्पन्न करता है।
- यह इलेक्ट्रॉनिक, चुंबकीय, ऑप्टिकल और ध्वन्यात्मक (फोनोनिक) गुणों को संशोधित करता है।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस वक्र (मोड़) के कारण पदार्थ की इलेक्ट्रॉनिक संरचना में सपाट बैंड का निर्माण होता है।
इन सामग्रियों में असामान्य इलेक्ट्रॉनिक और क्वांटम गुण होते हैं।
ग्रेफीन से बना एक उपकरण में सुपरकंडक्टर के गुणधर्म भी पाया गया है।
अतिचालकता के बारें में
- वर्ष 1911 में हेइके कामेरलिंग-ओन्स ने अतिचालकता की खोज की थी।
- यह सामग्रियों की वह क्षमता है, जिससे वे व्यावहारिक रूप से शून्य विद्युत प्रतिरोध या ऊर्जा हानि के साथ प्रत्यक्ष विद्युत धारा (DC) का संचालन कर सकती हैं।
किसी पदार्थ को अतिचालक की तरह कार्य करने के लिए बहुत न्यूनतम तापमान (सामान्यतः, लगभग -2500 C) की आवश्यकता होती है।
सुपरकंडक्टर का उपयोग
- नियोबियम (Nb) अपने अत्यधिक उच्च क्रांतिक तापमान के कारण सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला सुपरकंडक्टर है।
- एल्युमीनियम (Al) को इसके हल्के वजन और आघातवर्धनीयता के कारण एक उत्कृष्ट सुपरकंडक्टर माना जाता है।
- इनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों और चिकित्सा के विशिष्ट क्षेत्रों में, कण त्वरक के लिए केबल और चुंबक के रूप में, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (MRI) मशीनों, अत्यधिक संवेदनशील विद्युत उपकरणों, चुंबकीय उत्तोलन, विद्युत गतिशीलता , क्वांटम कंप्यूटिंग और परमाणु संलयन के लिए किया जाता है।