संदर्भ
हाल ही में, भारत ने 25 सितंबर, 2014 को शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल की 10 वीं वर्षगाँठ मनाई गई। इस पहल ने देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में सशक्त बनाया है।
मेक इन इंडिया:
उद्देश्य :
- निवेश को सुविधाजनक बनाना, नवाचार, कौशल विकास को बढ़ाना, बौद्धिक संपदा की रक्षा करना और सर्वोत्तम विनिर्माण अवसंरचना का निर्माण करना।
- यह भारत की विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भारत की औद्योगिक क्षमता को प्रदर्शित करने वाली ‘वोकल फॉर लोकल’ पहलों में से पहली पहल थी।
- इस पहल ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल किया हैं और वर्तमान में, ‘मेक इन इंडिया 2.0’ पहल के तहत 27 अन्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- मेक इन इंडिया 2.0 स्थिरता, नवाचार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग विनिर्माण क्षेत्र के लिए कार्य योजनाओं का समन्वय करता है, हालाँकि वाणिज्य विभाग सेवा क्षेत्र का अवलोकन करता है।
- भारत सरकार “मेक इन इंडिया” पहल के अनुरूप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह के लक्ष्य को 70 से 80 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष से बढ़ाकर 100 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष करने का लक्ष्य रखा है।
10 वर्षों में पहल का असर:
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI):
- भारत ने वर्ष 2014 से 2024 के बीच 667.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एफडीआई प्राप्त किया है, जो पिछले दशक (2004-14) की तुलना में 119 प्रतिशत अधिक है।
- इन वर्षों अर्थात वर्ष 2014 से वर्ष 2024 के बीच भारत के विनिर्माण क्षेत्र में 165.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक का एफडीआई इक्विटी प्राप्त हुआ है , जो पिछले दशक यानी वर्ष 2004 से वर्ष 2014 की तुलना में 69 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई ) का तात्पर्य, किसी देश की कंपनी या परियोजना में किसी अन्य देश के निवेशक, कंपनी या सरकार द्वारा खरीदी गई स्वामित्व हिस्सेदारी से है।
- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) : इसे वर्ष 2020 में शुरू किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप 1.32 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ तथा जून, 2024 तक विनिर्माण उत्पादन में 10.90 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।
- निर्यात: वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का व्यापारिक निर्यात 437 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट: विश्व बैंक की इज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत की रैंकिंग वर्ष 2014 के 142वें स्थान से बेहतर होकर वर्ष 2019 में 63वें स्थान पर पहुँच गई है।
मेक इन इंडिया पहल को सफल बनाने वाली प्रमुख पहल:
- सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का विकास करना: वर्ष 2021 में, सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य पूँजीगत सहायता और तकनीकी सहयोग की सुविधा प्रदान करके सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण को प्रोत्साहन प्रदान करना है।
- पीएम गति शक्ति (2021): इसे मल्टीमॉडल अवसंरचनाओं की एकीकृत योजना से संबंधित डेटा-आधारित निर्णयों को सुविधाजनक बनाने के लिए शुरू किया गया है, ताकि लॉजिस्टिक लागत कम हो सके।
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी , 2022): इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और दक्षता बढ़ाने के साथ भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।
- स्टार्टअप इंडिया पहल (2016): इसे स्टार्टअप उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था । इस पहल के परिणामस्वरूप 30 जून, 2024 तक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 1,40,803 हो गई है।
- राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (National Industrial Corridor Development Programme): इसका उद्देश्य “स्मार्ट शहर” और उन्नत औद्योगिक केंद्र बनाना है।
- अन्य पहलों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)), यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई ) का क्रियान्वयन तथा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग को बेहतर बनाने का प्रयास शामिल हैं।