सम्बन्धित पाठ्यक्रम:  

सामान्य अध्ययन 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।  

संदर्भ: 

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च दबाव वाले शैक्षणिक वातावरण में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए शैक्षणिक संस्थानों के लिए दिशानिर्देशों का एक सेट जारी किया।

अन्य सम्बन्धित जानकारी

  • ये दिशानिर्देश कोचिंग संस्थानों और निजी शैक्षणिक संस्थानों दोनों पर लागू होंगे। 
  • संवैधानिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के बावजूद, भारत छात्र आत्महत्याओं की रोकथाम के मामले में कानूनी और विनियामक अंतराल का सामना कर रहा है।  
  • इस समस्या के समाधान के लिए, सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 141 का प्रयोग करते हुए बाध्यकारी दिशा-निर्देश जारी किए, जिसके तहत 100 या 100 से अधिक छात्रों वाले सभी शैक्षणिक संस्थानों को मजबूत मानसिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों को लागू करना अनिवार्य कर दिया गया।  
  • ये दिशानिर्देश एक अंतरिम सुरक्षात्मक संरचना के रूप में कार्य करेंगे और इस प्रकार, राष्ट्रीय कार्यबल को अधिक व्यापक और समावेशी ढांचा विकसित करने में सहायता करेंगे।
  • मानसिक स्वास्थ्य, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग है। 
  • मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 संविधान द्वारा प्रदत्त दायित्व को सुदृढ़ करता है, क्योंकि यह प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच का अधिकार तथा मानसिक स्वास्थ्य परिस्थितियों में अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार से सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है।  

मुख्य दिशानिर्देश

  • सभी शैक्षणिक संस्थानों को कम से कम एक योग्य परामर्शदाता (काउंसलर) नियुक्त करना होगा तथा शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर बैच विभाजन, सार्वजनिक रूप से अपमान या छात्रों की क्षमता से परे लक्ष्यों का बोझ डालने से बचना होगा। 
  • आवासीय संस्थानों में सुरक्षित (टैम्पर-प्रूफ) सीलिंग फैन या अन्य सुरक्षात्मक उपकरण लगाए जाने चाहिए; साथ ही छात्रों की छत, बालकनी या अन्य जोखिमपूर्ण क्षेत्रों तक पहुँच सीमित की जानी चाहिए ताकि आत्महत्या की संभावनाओं को रोका जा सके। 
  • सभी शैक्षणिक संस्थानों को उचित छात्र-काउंसलर अनुपात सुनिश्चित करना होगा। 
  • संस्थान में एक विशेष परामर्श कक्ष (काउंसलिंग रूम) स्थापित किया जाए और नियत अंतराल पर तथा आवश्यकता पड़ने पर परामर्श के लिए स्पष्ट प्रक्रियाएं बनाई जाएं। 
  • संस्थानों को कक्षाओं, छात्रावासों, शौचालयों और सामान्य क्षेत्रों में हेल्पलाइन नंबरों और मानसिक स्वास्थ्य सहायता संपर्कों को प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। 
  • न्यायालय ने छात्रों में तनाव या आत्महत्या की भावना के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान करने के लिए अभिभावकों, शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए नियमित रूप से संवेदीकरण सत्र आयोजित करने का निर्देश दिया।
  • न्यायालय ने स्पष्ट रूप से शैक्षणिक प्रदर्शन या व्यवहार के आधार पर छात्रों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने या अलग-थलग करने पर प्रतिबंध लगाया है।  
  • संस्थानों को आंतरिक शिकायत निवारण समितियां बनानी होंगी और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का वार्षिक ऑडिट कराना होगा, जिसे प्राथमिकता से बाह्य विशेषज्ञों द्वारा किया जाए।  
  • संस्थानों को सभी आत्महत्या के मामलों या प्रयासों की रिपोर्ट जिला प्रशासन को देनी होगी और उठाए गए निवारक उपायों का दस्तावेजीकरण करना होगा।  
  • सभी शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों को वर्ष में कम से कम दो बार अनिवार्य प्रशिक्षण देना होगा, जिसमें प्रमाणित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ द्वारा मनोवैज्ञानिक प्राथमिक उपचार, चेतावनी संकेतों की पहचान, आत्महानि की स्थिति में प्रतिक्रिया और रेफरल प्रणाली शामिल होना चाहिए।
  • सभी शैक्षणिक संस्थानों को खेल, कला और व्यक्तित्व विकास पहल सहित पाठ्येतर गतिविधियों को प्राथमिकता देनी होगी
  • शैक्षणिक बोझ को कम करने तथा परीक्षा स्कोर और रैंक से परे छात्रों में पहचान की व्यापक भावना विकसित करने के लिए परीक्षा पैटर्न की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी।

Source:

https://theprint.in/judiciary/sc-issues-pan-india-guidelines-to-protect-mental-health-of-students-in-colleges-coaching-centres/2702711/ https://www.scconline.com/blog/post/2025/07/25/supreme-court-guidelines-protecting-mental-health-of-coaching-and-college-students-legal-news/ https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/mental-health-strengthening-our-response  

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