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सामान्य अध्ययन-2: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
संदर्भ: हाल ही में, अहमदाबाद के शेला में आयोजित IMA NATCON 2025 के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की कि भारत ने मलेरिया के मामलों में 97 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की है और देश अब इस बीमारी के पूर्ण उन्मूलन की दिशा में अग्रसर है।
संबोधन के मुख्य बिंदु

- उन्होंने बताया कि डेंगू के कारण होने वाली मौतों में भारी गिरावट आई है और अब इससे केवल एक प्रतिशत मौतें ही होती हैं।
- उन्होंने इस पर भी प्रकाश डाला कि हाल के वर्षों में मातृ मृत्यु दर में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है।
- इन उल्लेखनीय परिणामों का श्रेय आयुष्मान भारत और मिशन इंद्रधनुष जैसी प्रमुख स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को दिया गया।
- दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य बजट 2014 में ₹37,000 करोड़ से बढ़कर वर्तमान में ₹1.28 लाख करोड़ हो गया है।
- उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डॉक्टरों को सरकार के बड़े स्वास्थ्य नेटवर्क और जन-कल्याण कार्यक्रमों के साथ सामंजस्य में काम करने की ज़रूरत है।
मलेरिया के बारे में
- मलेरिया एक तीव्र ज्वर संबंधी बीमारी है जो प्लाज्मोडियम परजीवी के कारण होती है और संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलती है। यह रोकथाम योग्य (Preventable) और उपचार योग्य (Curable) दोनों है।
- संक्रमित मच्छर के काटने के बाद रोग के पनपने की अवधि (Incubation period) आमतौर पर 10 से 15 दिनों की होती है। इसके सामान्य शुरुआती लक्षण बुखार, सिरदर्द और ठंड लगना हैं, जो हल्के हो सकते हैं और इसलिए विशेष रूप से शुरुआती चरणों में इन्हें पहचानने में कठिनाई भी हो सकती है।
- मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में बार-बार संक्रमण के संपर्क में आने से लोगों में आंशिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। इस कारण कई लोगों में लक्षण न दिखाई देने पर भी शरीर में परजीवी मौजूद होते हैं, जिससे ‘लक्षणहीन संक्रमण’ फैलता है और बीमारी का प्रसार रुक नहीं पाता।
- मलेरिया एक उपचार योग्य बीमारी है। आर्टेमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा (ACTs) वर्तमान में सबसे प्रभावी मलेरिया-रोधी दवाएं हैं और ये विश्व भर में सबसे घातक मलेरिया परजीवी, ‘प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम‘ के उपचार में उपयोग में लाई जाती हैं।
- विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2007 में विश्व स्वास्थ्य असेंबली के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों द्वारा की गई थी।
- मलेरिया उन्मूलन के वैश्विक अभियानों में एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए, जॉर्जिया को 2025 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आधिकारिक तौर पर ‘मलेरिया-मुक्त’ घोषित किया गया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 में मिस्र और काबो वर्डे को भी यह प्रमाणीकरण प्राप्त हो चुका है।
- विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में हुई 6 लाख मौतों की तुलना में 2023 में मलेरिया से अनुमानित 5 लाख 97 हजार मौतें हुईं।
मलेरिया के उन्मूलन के लिए भारत की पहल

- भारत 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के अपने संकल्प पर अडिग है, और इसका मध्यवर्ती लक्ष्य 2027 तक स्थानीय मामलों को शून्य करना है। इस मिशन के लिए रणनीतिक रोडमैप निम्नलिखित से प्रेरित है:
- भारत में मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रूपरेखा (2016-2030): यह रूपरेखा चरणबद्ध तरीके से मलेरिया उन्मूलन के विजन (Vision), लक्ष्यों (Goals) और उद्देश्यों (Targets) को रेखांकित करती है।
- मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2023–2027): यह योजना पूर्ववर्ती फ्रेमवर्क पर आधारित है और ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016-2030′ से संरेखित है।
- राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP): यह एक केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य एकीकृत और लागत प्रभावी दृष्टिकोण के माध्यम से वेक्टर-जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण करना है। इसे ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन’ (NHM) के तहत कार्यान्वित किया जाता है।
- गहन मलेरिया उन्मूलन परियोजना-3 (IMEP-3): यह परियोजना 12 राज्यों के 159 उच्च-बोझ वाले जिलों को लक्षित करती है, और इसमें उन्मूलन प्रयासों में तेजी लाने के लिए मलेरिया-प्रवण और संवेदनशील आबादी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- डब्ल्यूएचओ का ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट‘ (HBHI) समूह: भारत 2024 में आधिकारिक तौर पर ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (उच्च बोझ से उच्च प्रभाव) वाले देशों की सूची से बाहर हो गया।
Source:
WHO
The Hindu
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