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सामान्य अध्ययन-3:सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित मुद्दों के क्षेत्र में जागरूकता।
संदर्भ: हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ (IAU) ने मंगल ग्रह की भौगोलिक संरचनाओं के लिए केरल स्थित दो शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तावित कई नामों को मंजूरी दी।
नए नाम और उनकी प्रासंगिकता
- कृष्णन क्रेटर और पलुस:
- मंगल ग्रह स्थल:
- कृष्णन क्रेटर ज़ैंथे टेरा क्षेत्र में 77 किमी व्यास में फैला हुआ है। इसके भीतर एक 50 किमी चौड़ा मैदान है, जिसे कृष्णन पलुस नाम दिया गया है| यह प्राचीन जल प्रवाह और हिमनदीकरण (Glaciation) के संकेत दर्शाता है। इस पलुस को पार करने वाले चैनल को पेरियार वल्लिस नाम दिया गया है।
- महत्त्व: एम.एस. कृष्णन 1951 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के पहले भारतीय निदेशक बने| उन्होंने भूवैज्ञानिक मानचित्रण और संसाधन सर्वेक्षण को उन्नत किया जोकि भारत के भू-विज्ञान (Earth Sciences) के लिए मूलभूत था। नया नामकरण ग्रहों के भूविज्ञान (Planetary Geology) अनुसंधान में उनकी विरासत को सम्मान देना है।
- वलियामाला क्रेटर:
- मंगल ग्रह स्थल:

- यह क्रेटर कृष्णन क्रेटर के पश्चिम में स्थित है। इसका नाम उसी प्राचीन भूभाग में स्थित एक छोटी संरचना के नाम पर रखा गया है, जो IIST के भूवैज्ञानिक अध्ययनों से संबंधित है।
- महत्व: तिरुवनंतपुरम में स्थित वालियामाला, आईआईएसटी (IIST) का केंद्र है। आईआईएसटी अंतरिक्ष विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान है जो भारत के मंगल अन्वेषण प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है। यह अंतरिक्ष प्रतिभा को पोषित करने में केरल की महत्वपूर्ण भूमिका का प्रतीक है।
- वरकल क्रेटर:
- मंगल ग्रह स्थल:. कृष्णन क्रेटर के भीतर स्थित 9 किमी व्यास वाला एक क्रेटर चुना गया है जिसे ज्यारोसाइट (jarosite) निक्षेप के समानांतर होने के कारण अध्ययन के लिए चुना गया है, मंगल ग्रह पर अतीत में हुई जल क्रिया के संकेत देता है|
- महत्त्व: तिरुवनंतपुरम में वर्कला के तटीय टीले (Cliffs) अनूठी भूवैज्ञानिक संरचनाएँ हैं जो ज्यारोसाइट (पानी में मिलने वाला खनिज) से समृद्ध हैं। ये टीले मंगल ग्रह पर जीवन संबंधी वातावरण के अध्ययन के लिए पृथ्वी पर स्थित एक अनुरूप स्थल (Earth Analog) के रूप में कार्य करते हैं, जिससे तुलनात्मक ग्रह विज्ञान में मदद मिलती है।
- थुम्बा क्रेटर:
- मंगल ग्रह स्थल: कृष्णन क्रेटर से 19 किमी. दक्षिण-पूर्व में स्थित यह स्थल क्षेत्र में प्राचीन नदी नेटवर्क के मानचित्रण में योगदान देता है।
- महत्व: तिरुवनंतपुरम में स्थित थुम्बा, 1962 में इसरो (ISRO) की स्थापना का आधार बना। इसने शुरुआती रॉकेट प्रक्षेपणों के माध्यम से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का मार्गदर्शन किया और इसे भारत की रॉकेट और उपग्रह तकनीक की प्रगति का पालना कहा जाता है।
- बेकाल क्रेटर:
- मंगल ग्रह स्थल: कृष्णन कॉम्प्लेक्स के पास एक छोटा क्रेटर, जिसे IAU के नियमों के अनुसार गौण विशेषताओं के लिए विश्व के शहरों के नाम से नामित किया गया है।
- महत्व: कासरगोड़ में स्थित बेकाल में भारत का सबसे बड़ा किला है, जो समुद्री विरासत और रणनीतिक रक्षा का ऐतिहासिक तटीय गढ़ है। यह केरल की सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत को उजागर करता है।
- पेरियार वल्लिस:
- मंगल ग्रह स्थल: पेरियार वल्लिस नामक घाटी उस क्षेत्र में प्राचीन हिमनदकरण के साथ ही नदीय क्रियाओं के साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।
- महत्व: केरल की सबसे लंबी नदी पेरियार, पेरियार टाइगर रिजर्व में जैव विविधता को बनाए रखती है और सिंचाई, जलविद्युत और पारिस्थितिकी तंत्र में सहायक है। यह मंगल ग्रह पर पानी के इतिहास के अध्ययन के लिए प्रासंगिक नदीय भूविज्ञान को उजागर करती है।
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU)
- IAU एकमात्र संगठन है जिसे खगोलीय पिंडों और उनकी सतहों की विशेषताओं के नामकरण के लिए मान्यता प्राप्त है।
- खगोल विज्ञान को विकसित करने और संरक्षित करने के लिए, इसका मिशन अनुसंधान, संचार, शिक्षा और विकास के क्षेत्रों में वैश्विक साझेदारी (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग) को प्रोत्साहित करना है।
- अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) की स्थापना 1919 में हुई थी और इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में है। यह एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है जिसमें 12,000 से अधिक व्यक्तिगत सदस्य और 85 राष्ट्रीय सदस्य हैं।
- IAU कई सख्त दिशानिर्देशों का पालन करता है ताकि नाम स्पष्ट हों, अंतर्राष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त हो और सम्मानजनक हों:
- नाम 16 अक्षरों या उससे कम के होने चाहिए, संभव हो तो एक शब्द में, और कई भाषाओं में आसानी से उच्चारित किए जा सकें।
- नाम अपमानजनक नहीं होने चाहिए और अन्य खगोलीय पिंडों के मौजूदा नामों से बहुत मिलते-जुलते नहीं होने चाहिए।
- सामान्यतः राजनीतिक, सैन्य या धार्मिक नाम निषिद्ध हैं, सिवाय उन राजनीतिक हस्तियों के जो 19वीं सदी से पहले जीवित थीं।
- सतही विशेषताओं के लिए जीवित व्यक्तियों का नाम देने की अनुमति नहीं हैं।
Sources:
The Hindu
New Indian Express
