संदर्भ :

हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 जारी की।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • यह रिपोर्ट केन्द्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा तैयार की गई थी।
  • यह रिपोर्ट CGWB द्वारा स्थापित नव-प्रवर्तित मानक संचालन  प्रक्रिया (SOP) का अनुसरण करती है। 
  • यह रिपोर्ट 15,200 से अधिक निगरानी स्थानों और 4,982 प्रवृत्ति स्टेशनों पर केंद्रित आकलन से प्राप्त डेटासेट प्रदान करती है।
  • इस रिपोर्ट का उद्देश्य पेयजल और कृषि प्रयोजनों के लिए उपयोग किए जाने वाले भूजल में अकार्बनिक जल गुणवत्ता मापदंडों की विस्तृत श्रृंखला पर गौर करना है।

रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु

देश का समग्र जल  कैल्शियम बाइकार्बोनेट प्रकार का है ।

पूर्वोत्तर राज्यों में भूजल के 100 प्रतिशत नमूने सिंचाई के लिए उत्कृष्ट श्रेणी में हैं ।

भारत  के 440 जिलों के भूजल में नाइट्रेट का उच्च स्तर पाया गया है, 9.04 प्रतिशत नमूनों में फ्लोराइड का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक था।

  • 20 प्रतिशत जल नमूनों में नाइट्रेट की मात्रा 45 मिलीग्राम प्रति लीटर(विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ और भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा पेयजल के लिए निर्धारित मानक) की सीमा को पार कर गई।
  • शरीर में नाइट्रेट का उच्च स्तर मेथेमोग्लोबिनेमिया का कारण बन सकता है, जिसे ब्लू बेबी सिंड्रोम भी कहा जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार, 3.55 प्रतिशत नमूने में आर्सेनिक संदूषण पाया गया विशेष रूप से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के बाढ़ के मैदानों में।

  • WHOके अनुसार, पीने के पानी और भोजन से आर्सेनिक के दीर्घकालिक संपर्क से कैंसर और त्वचा संबंधी घाव हो सकते हैं।

राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फ्लोराइड की सांद्रता स्वीकार्य सीमा से अधिक है।

  • पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता से फ्लोरोसिस, गठिया, हड्डियों की क्षति आदि होती है।

रिपोर्ट के अनुसार 100 पार्ट्स पर बिलियन (ppb) से अधिक यूरेनियम सांद्रता वाले 42% नमूने अकेले राजस्थान से तथा 30% नमूने पंजाब से आए हैं।

यह रिपोर्ट सोडियम अवशोषण अनुपात (SAR) और अवशिष्ट सोडियम कार्बोनेट (RSC) मूल्यों का मूल्यांकन करती है

  • SAR, जल में सोडियम (Na⁺) तथा कैल्शियम (Ca²⁺) और मैग्नीशियम (Mg²⁺) की सांद्रता का अनुपात है।
  • आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में SAR बहुत उच्च सोडियम श्रेणी में आता है और सिंचाई पद्धतियों में उपयोग के लिए अनुपयुक्त है।
  • RSCजल में कार्बोनेट आयनों की अतिरिक्त मात्रा का माप है जो मिट्टी में कैल्शियम और मैग्नीशियम के साथ मिलकर मिट्टी में सोडियम की मात्रा बढ़ा सकता है ।
  • लवणता और मृदा क्षरण के जोखिम के कारण सिंचाई के लिए अनुपयुक्त हो गए ।
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