संदर्भ:
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर स्पेन के राष्ट्रपति श्री पेड्रो सांचेज़ भारत आए।
भारत-स्पेन संयुक्त वक्तव्य की मुख्य बातें
- रक्षा साझेदारी: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति सांचेज़ ने संयुक्त रूप से गुजरात के वडोदरा में सी-295 विमान असेंबली लाइन प्लांट का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया जिससे भारत की “मेक इन इंडिया” पहल को बढ़ावा मिला।
- आर्थिक सहयोग: दोनों नेता “फास्ट ट्रैक मैकेनिज्म” और “भारत-स्पेन सीईओ फोरम” जैसी विभिन्न पहलों के माध्यम से आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।
- भारत-स्पेन संस्कृति, पर्यटन और AI (2026): वर्ष 2026 को दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान, पर्यटन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष अवधि के रूप में नामित किया गया है।
- वाणिज्य दूतावास विस्तार: बेंगलुरू में स्पेनिश वाणिज्य दूतावास तथा बार्सिलोना में भारतीय वाणिज्य दूतावास के संचालन की योजना की घोषणा की गई।
- वैश्विक और क्षेत्रीय सहयोग: दोनों नेताओं ने बहुपक्षवाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उम्मीदवारी के लिए आपसी समर्थन तथा जलवायु कार्रवाई और नवीकरणीय ऊर्जा पहल पर सहयोग के महत्व को रेखांकित किया।
- यूरोपीय संघ-भारत संबंधों के प्रति प्रतिबद्धता: भारत और स्पेन ने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर (IMEEC) परियोजना के लिए अपना दृढ़ समर्थन व्यक्त किया।
भारत-स्पेन द्विपक्षीय संबंधों के बारे में
इतिहास:
- समुद्री संबंध : भारत और स्पेन के बीच ऐतिहासिक समुद्री संबंध 16 वीं शताब्दी से स्थापित हैं ।
- औपनिवेशिक युग : स्पेन ने भारत के कुछ हिस्सों, विशेषकर मालाबार क्षेत्र में औपनिवेशिक उपस्थिति स्थापित की है।
- राजनयिक संबंधों की स्थापना : वर्ष 1956 में भारत और स्पेन के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए। स्पेन ने नई दिल्ली में अपना दूतावास खोला जिससे औपचारिक संवाद की शुरुआत हुई।
- उच्च स्तरीय यात्राएं : पिछले कुछ वर्षों में दोनो देशों के नेताओं ने कई उच्च स्तरीय यात्राएं की हैं जिनमें वर्ष 2017 में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की स्पेन यात्रा भी शामिल है, जो द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- निरंतर सहभागिता : जी-20 जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नियमित वार्ताओं ने कूटनीतिक संबंधों को अधिक मजबूत किया है, जो वैश्विक चुनौतियों का मिलकर सामना करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
द्विपक्षीय व्यापार और निवेश:
- व्यापार मात्रा : वर्ष 2023 में, दोनों देशओं के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 8.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया जिसमें स्पेन के लिए भारत का निर्यात कुल 6.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 1.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर था जो एक मजबूत व्यापारिक संबंध को दर्शाता है।
- प्रमुख निर्यात और आयात : प्रमुख भारतीय निर्यातों में खनिज ईंधन, रसायन, लोहा और इस्पात, विद्युत मशीनरी और वस्त्र शामिल हैं । इसके विपरीत, भारत स्पेन से औद्योगिक मशीनरी और यांत्रिक उपकरण आयात करता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) : मुख्य रूप से नवीकरणीय ऊर्जा और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में लगभग 4.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी FDI स्टॉक के साथ स्पेन भारत का 16वें सबसे बड़ा निवेशक है।
- व्यापार मंच : भारत-स्पेन सीईओ फोरम जैसे मंचों की स्थापना ने निवेश के अवसरों का पता लगाने और व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए दोनों देशों के व्यापारिक नेताओं के बीच वार्ता की सुविधा प्रदान की है।
सहयोग के क्षेत्र
रक्षा प्रौद्योगिकी: स्पेनिश कंपनियां भारत में महत्वपूर्ण रक्षा परियोजनाओं में शामिल हैं जिनमें सैन्य विमानों और पनडुब्बियों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी शामिल है।
नवीकरणीय ऊर्जा पहल :
- नवीकरणीय ऊर्जाविशेषकर पवन और सौर ऊर्जा में स्पेन की विशेषज्ञता भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के साथ पूर्णतः संरेखित है।
- गमेसा और एसीओना जैसी कंपनियों ने भारत की पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश किया है ।
- स्पेन अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का 99 वां सदस्य बन गया और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन अनुसमर्थन दस्तावेज सौंप दिया।
सांस्कृतिक कूटनीति : दोनों देश लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्सवों, कला प्रदर्शनियों और शैक्षिक सहयोग के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सक्रिय रूप से बढ़ावा देते हैं।
पर्यटन विकास : आर्थिक विकास के लिए पर्यटन की क्षमता को पहचानते हुए दोनों देश संयुक्त विपणन पहलों और यात्रा आदान-प्रदान को बढ़ाने पर केंद्रित विशेषज्ञ पैनलों के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
प्रवासी भारतीय :
- स्पेन में भारतीय समुदाय अपेक्षाकृत कम है लेकिन हाल के वर्षों में इसमें वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2023 तक स्पेन में रहने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 55,000 है जो आतिथ्य, खुदरा, आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं।
चुनौतियां
- आर्थिक असमानताएं : बढ़ते व्यापार संबंधों के बावजूद दोनों देशों के बीच आर्थिक असमानताएं उनके द्विपक्षीय संबंधों की क्षमता को पूर्णत: साकार करने में चुनौतियां पैदा कर सकती हैं।
- भौगोलिक दूरी: दोनों देशों के बीच भौगोलिक दूरी लगातार उच्च स्तरीय यात्राओं और व्यापारिक संबंधों के लिए चुनौतियां उत्पन्न कर सकती है।
- जटिल व्यापार विनियम: जटिल व्यापार विनियमों और नौकरशाही प्रक्रियाओं से निपटना व्यवसायों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं द्विपक्षीय व्यापार और निवेश प्रवाह को प्रभावित कर सकती हैं।
आगे की राह
- आर्थिक संबंधों को मजबूत करना : उन्नत व्यापार समझौतों और निवेश ढांचे के माध्यम से गहरे आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देना दोनों देशों के लिए आगे बढ़ने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
- जलवायु कार्रवाई और सतत विकास लक्ष्यों पर सहयोग करना : पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सूखा प्रतिरोध गठबंधन और हिंद-प्रशांत महासागर पहल के तहत सतत विकास परियोजनाओं को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाना।
- सहयोगात्मक अनुसंधान पहल : प्रौद्योगिकी और नवाचार में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं दोनों देशों को जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करते हुए पारस्परिक लाभ के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने में मदद कर सकती हैं।
- लोगों के बीच आपसी संपर्क पर ध्यान केंद्रित करना : शैक्षिक आदान-प्रदान और पर्यटन को बढ़ावा देने से दोनो देशों के नागरिकों के बीच सामाजिक संबंध मजबूत होंगे तथा एक-दूसरे की संस्कृतियों के बारे में गहरी समझ विकसित होगी।