संदर्भ:
हाल ही में, एक भारतीय और एक रूसी फर्म के बीच एक संयुक्त उद्यम को श्रीलंका के हंबनटोटा में मट्टाला राजपक्षे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (MRIA) का प्रबंधन सौंपा गया है।
अन्य संबंधित जानकारी
श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने भारतीय और रूसी कंपनियों के बीच एक संयुक्त उद्यम को 30 वर्षो के लिए MRIA के प्रबंधन का कॉन्ट्रैक्ट दिया है।
- भारतीय फर्म: शौर्य एयरोनॉटिक्स (प्राइवेट) लिमिटेड
- रूसी फर्म: एयरपोर्ट्स ऑफ रीजन्स मैनेजमेंट कंपनी
जिन पांच कंपनियों ने हवाई अड्डे के प्रबंधन में रुचि व्यक्त की थी, उनमें से कैबिनेट द्वारा नियुक्त सलाहकार समिति ने भारत-रूसी संयुक्त उद्यम को अनुबंध देने की सिफारिश की थी।
- वर्ष 2016 से, श्रीलंकाई सरकार भारी घाटे के कारण हवाई अड्डे के प्रबंधन के लिए वाणिज्यिक साझेदारों की तलाश कर रही थी।
बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बाद भारत के पड़ोस में यह दूसरी भारत-रूस संयुक्त परियोजना होगी।
- रूस जहां विद्युत संयंत्र का निर्माण कर रहा है, वहीं भारत स्थानीय लोगों के प्रशिक्षण और कुछ रसद कार्यों में सहायता कर रहा है।
पृष्ठभूमि
मट्टाला राजपक्षे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (MRIA) हंबनटोटा बंदरगाह के पास स्थित है, जिसका संचालन चीन द्वारा पट्टे (लीज) पर किया जा रहा है। इसने 2013 में परिचालन शुरू किया था।
- पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के नाम पर बना यह हवाई अड्डा, राजपक्षे के लगभग एक दशक लंबे शासन की प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक था । इस परियोजना को मुख्य रूप से उच्च ब्याज वाले चीनी वाणिज्यिक ऋणों के माध्यम से वित्तपोषित किया गया था।
- इसका निर्माण 209 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से किया गया, जिसमें से 190 मिलियन अमेरिकी डॉलर चीन के एक्ज़िम बैंक से उच्च-ब्याज वाले ऋण से प्राप्त हुए थे।
- हालाँकि भारी निवेश के बावजूद, हवाई अड्डे को तत्काल ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें उड़ानों की कमी और न्यूनतम यात्री यातायात शामिल था।
- इसके अल्प उपयोग और सीमित वाणिज्यिक व्यवहार्यता के कारण “विश्व का सबसे खाली हवाई अड्डा” होने का संदिग्ध उपाधि मिली।
चुनौतियां
पर्यावरण संबंधी चिंताएं:
- वन्यजीव अभयारण्य के निकट स्थित एमआरआईए को वन्यजीव हस्तक्षेप की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- यह हवाई अड्डा प्रवासी पक्षियों के प्रवास मार्ग के मध्य में स्थित है और पक्षियों से टकराने के बाद कई विमानों को जमीन पर उतरना पड़ा।
- इसके अलावा, श्रीलंकाई सेना को एक बार हवाई अड्डे के रनवे से हिरण, जंगली भैंसों और हाथियों को हटाने के लिए सैकड़ों सैनिकों को तैनात करने के लिए मजबूर होना पड़ा ताकि परिचालन जारी रखा जा सके।
विमानन कंपनियों (एयरलाइंस) की वापसी:
- एयर अरेबिया, एमआरआईए से संचालित होने वाली पहली विदेशी विमान कंपनी थी, यात्री आवागमन कम होने के कारण केवल छह सप्ताह के बाद सेवाएं वापस ले लीं।
- फ्लाई दुबई ने समान कारणों का हवाला देते हुए जून 2018 में परिचालन बंद कर दिया।
- सालाना 18 मिलियन डॉलर की लागत बचत का हवाला देते हुए, श्रीलंकाई एयरलाइंस ने 2015 में एमआरआईए के लिए उड़ानें बंद कर दीं।
वित्तीय घाटा:
- अपनी स्थापना के बाद से, MRIA श्रीलंकाई सरकार पर एक वित्तीय बोझ रहा है, जो राज्य के खजाने को कम करने में योगदान दे रहा है।
- 2016 से हवाईअड्डा प्रबंधन के लिए वाणिज्यिक साझेदारों की तलाश करना , राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को बेचकर चल रहे घाटे को कम करने के प्रयासों को दर्शाती है।
चीन की भूमिका
भारी ऋण निर्भरता:
- एमआरआईए सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए श्रीलंका की चीनी ऋणों पर निर्भरता ने उसके ऋण संकट को बढ़ा दिया है।
- 2023 में श्रीलंका के 46 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण पर चूक करने में चीनी ऋण एक महत्वपूर्ण कारक था।
बंदरगाह अधिग्रहण:
- 2017 में, पर्याप्त चीनी ऋण चुकाने में असमर्थता के कारण श्रीलंका ने पास के हंबनटोटा बंदरगाह का नियंत्रण चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स को सौंप दिया।
- 99 साल के पट्टे समझौते ने चीन की “ऋण जाल” कूटनीति और श्रीलंका में उसके प्रभाव को लेकर चिंताएं खड़ी कर दीं।
भारत के लिए अनुबंध का महत्व
- यह हवाई अड्डा रणनीतिक रूप से हंबनटोटा बंदरगाह (जिसे चीन को 99 वर्षों के लिए पट्टे पर दिया गया है) के निकट स्थित है, इस प्रकार भारत इस क्षेत्र में चीन की भारी उपस्थिति का सामना कर सकता है।
- किसी भी विदेशी हवाई अड्डे , यहाँ तक कि लॉजिस्टिक्स सुविधा के लिए भी पहुँच प्राप्त होना एक महत्वपूर्ण तत्व होता है। साथ ही यह चीन के नियंत्रण वाले हंबनटोटा हवाई अड्डे पर भारत की निगरानी को मजबूत करेगा।
- श्रीलंका के वित्तीय संकट को कम करने के लिए उसे वित्तीय सहायता प्रदान करना भारत को उसके पड़ोस में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में और स्थापित करेगा।