संदर्भ:

हाल ही में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा  अनुमानों के अनुसार भारत के प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि हुई है, जबकि सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में कुल स्वास्थ्य व्यय वर्ष 2013-14 से वर्ष 2021-22 तक लगभग समान रहा है।

मुख्य निष्कर्ष:

प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य व्यय:

  • कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी और निजी स्रोतों से किए गए चालू और पूंजीगत व्यय को शामिल किया गया है। वर्ष 2021-22 के लिए इसके 9,04,461 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.83 प्रतिशत है।
  • भारत में प्रति व्यक्ति कुल स्वास्थ्य व्यय में  82% की वृद्धि देखी गई है, जो वर्ष 2013-14 में 3,638 रुपये से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 6,602 रुपये हो गई है।

सरकारी स्वास्थ्य व्यय:

  • कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकार की हिस्सेदारी  बढ़ी है, जो वर्ष 2013-14 में 28.6% से वर्ष 2021-22 में 48% तक 68% की वृद्धि को दर्शाती है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमानस 

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (National Health Accounts-NHA) अनुमान राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (NHSRC) द्वारा तैयार किए जाते हैं, जिसे वर्ष 2014 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा तकनीकी सचिवालय (NHATS) के रूप में नामित किया गया था।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान “स्वास्थ्य खातों की एक प्रणाली (SHA, 2011)” के वैश्विक ढांचे का पालन करते हैं, जो देशों के बीच तुलना करने की अनुमति देता है।
  • यह रिपोर्ट भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में वित्तीय प्रवाह का व्यवस्थित रूप से वर्णन करती है, जिसमें विस्तार से बताया गया है कि पैसा कहाँ से आता है, इसे कैसे खर्च किया जाता है, स्वास्थ्य सेवा कैसे प्रदान की जाती है और किस प्रकार की स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • वर्ष 2013-14 से वर्ष 2021-22 तक के निरंतर अनुमान स्वास्थ्य वित्तपोषण प्रवृत्तियों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

अतिरिक्त व्यय:

  • इसी अवधि के दौरान कुल स्वास्थ्य व्यय  में से आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय में 2013-14 के 64.2% से 2021-22 में 39.4% तक की गिरावट एक  सकारात्मक संकेत को दर्शता है।”
  • आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय : यह किसी व्यक्ति या परिवार द्वारा किया जाने वाला प्रत्यक्ष भुगतान होता है, जिसकी प्रतिपूर्ति किसी तीसरे पक्ष द्वारा की जा सकती है या नहीं भी की जा सकती है। इसमें स्वास्थ्य व्यय, परिवहन व्यय आदि शामिल हो सकते हैं।
  • वर्तमान स्वास्थ्य व्यय: भारत का वर्तमान स्वास्थ्य व्यय, जो चल रही स्वास्थ्य देखभाल लागतों पर केंद्रित है, 7,89,760 करोड़ रुपये था, जो कुल स्वास्थ्य व्यय का 87% है।
  • सरकारी अंशदान: केंद्र सरकार ने 15.94% और राज्य सरकारों ने 21.77% अंशदान दिया।
  • घरेलू अंशदान: बीमा भुगतान सहित घरेलू अंशदान का सबसे बड़ा हिस्सा 3,99,136 करोड़ रुपये (51%) रहा।

निजी स्वास्थ्य बीमा: 

  • वर्ष 2013-14 से वर्ष 2021-22 तक कुल स्वास्थ्य व्यय के सापेक्ष निजी स्वास्थ्य बीमा व्यय (PHIE) में 118% की पर्याप्त वृद्धि हुई है, जो भारतीयों में स्वास्थ्य बीमा के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
  • निजी स्वास्थ्य बीमा व्यय में परिवारों या नियोक्ताओं द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम शामिल है, जो वर्ष 2021-22 के लिए कुल स्वास्थ्य व्यय का 7.40 प्रतिशत (66,975 करोड़ रुपये) है।
  • आयुष्मान भारत सहित सरकार द्वारा वित्तपोषित बीमा योजना और केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) और पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ECHS) जैसी अन्य योजनाओं पर खर्च की गई राशि भी वर्ष 2021-22 में बढ़ गई।

स्वास्थ्य व्यय का विवरण:

  • रोगी उपचारात्मक देखभाल: 2,99,587 करोड़ रुपये (37.94%)
  • निर्धारित दवाएं: 1,26,225 करोड़ रुपये (15.98%)
  • बाह्य रोगी उपचारात्मक देखभाल: 15.30%
  • निवारक देखभाल: 13.55%
  • रोगी परिवहन व्यय : 3.65%
  • प्रयोगशाला और इमेजिंग सेवाएं: 3.32%
  • ओवर-द-काउंटर दवाएं: 3.22%

राज्यवार भिन्नताएं: 

  • राज्यों में, कुल स्वास्थ्य व्यय महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक था।
  • सरकारी व्यय के सापेक्ष सबसे अधिक आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय करने वाले राज्य है -उत्तर प्रदेश (64%), केरल (59%) और पश्चिम बंगाल (58%)।  

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