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सामान्य अध्ययन 2: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, वैश्विक समूह और समझौते
संदर्भ:
हाल ही में मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की और इस दौरान उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इसके साथ ही दोनों देशों ने अपने अद्वितीय सभ्यतागत संबंधों की प्रगाढ़ता पर जोर दिया।
यात्रा के मुख्य परिणाम

- विशेष आर्थिक पैकेज: इसमें मॉरीशस में पोर्ट लुईस का पुनर्विकास और पुनर्गठन तथा चागोस समुद्री संरक्षित क्षेत्र के विकास और निगरानी के लिए सहायता प्रदान करना शामिल है।
- ऊर्जा क्षेत्र: भारत और मॉरीशस संयुक्त रूप से टैमरिंड फॉल्स में 17.5 मेगावाट की फ्लोटिंग सौर पीवी परियोजना को आगे बढ़ा रहे हैं, जबकि भारत 100 इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति करके मॉरीशस के ऊर्जा संक्रमण में भी सहयोग कर रहा है।
- प्रशिक्षण और शिक्षा: मॉरीशस में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के एक नए निदेशालय की स्थापना और क्षमता निर्माण के लिए मिशन कर्मयोगी का शुभारंभ।
- जल विज्ञान और समुद्री सुरक्षा: दोनों ने संयुक्त विशेष आर्थिक क्षेत्र सर्वेक्षण, जल विज्ञान डेटा साझाकरण, तटरक्षक जहाज की मरम्मत और 120 मॉरीशस अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए पांच वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचा: भारत ने मॉरीशस के पहले जन औषधि केंद्र की घोषणा की। भारत एक आयुष उत्कृष्टता केंद्र तथा एक पशु अस्पताल के साथ ही एक पशु चिकित्सा स्कूल की स्थापना में भी मॉरीशस को सहायता प्रदान करेगा।
- 500 बेड वाले नए सर शिवसागर रामगुलाम राष्ट्रीय अस्पताल के निर्माण और हेलीकॉप्टरों के लिए धन मुहैया कराना।
- डिजिटल और वित्तीय सहयोग: पिछले साल यूपीआई और रुपे कार्ड की शुरुआत के बाद से भारत और मॉरीशस स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को सुविधाजनक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
- अंतरिक्ष सहयोग: उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों के लिए एक टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और दूरसंचार स्टेशन की स्थापना तथा अंतरिक्ष अनुसंधान, विज्ञान और अनुप्रयोगों में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
सहयोग के क्षेत्र
- सामरिक महत्व: मॉरीशस भारत के महासागर (क्षेत्र भर में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) विजन और ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- आर्थिक महत्व: मॉरीशस भारत के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक प्रमुख स्रोत है, जिसने वर्ष 2000 से अब तक इसमें लगभग 177 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जो कुल एफडीआई अंतर्वाह का लगभग 25% है) का योगदान दिया है। इस उच्च निवेश प्रवाह का एक मुख्य कारण भारत और मॉरीशस के बीच हस्ताक्षरित “दोहरा कराधान परिहार सम्मेलन (Double Taxation Avoidance Convention – DTAC)” है।
- मानवीय सहायता: भारत ने लगातार मॉरीशस के ‘प्रथम प्रत्युत्तरदाता’ के रूप में कार्य किया है, कोविड-19, वाकाशियो तेल रिसाव और चक्रवात चिडो के दौरान उसे मानवीय सहायता प्रदान की है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा: मॉरीशस, भारत, श्रीलंका और मालदीव के साथ कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन का संस्थापक सदस्य है। यह आतंकवाद, तस्करी और साइबर अपराध जैसे खतरों के विरुद्ध क्षेत्रीय सुरक्षा का सक्रियता से समर्थन करता है।
- जन और सांस्कृतिक संबंध: मॉरीशस की लगभग 70% आबादी भारतीय मूल की है, और गिरमिटिया (अनुबंधित भारतीय मजदूर) की विरासत दोनों देशों के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतिबिंब है।