संदर्भ:

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुसार, भारत के इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-कचरा) उत्पादन में पिछले पांच वर्षों में 73% की वृद्धि हुई है, जो 2019-20 में 1.01 मिलियन मेट्रिक टन (MT) से बढ़कर 2023-24 में 1.751 मिलियन मेट्रिक टन हो गया है।

मुख्य बिंदु:

ई-कचरे के उत्पादन में सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि 2019-20 और 2020-21 के बीच हुई , जिसका मुख्य कारण कोविड-19 महामारी के दौरान घर से काम करने और दूरस्थ शिक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बढ़ती मांग थी ।

यद्यपि राज्य-वार ई-कचरा उत्पादन के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े उत्पादकों द्वारा उपलब्ध कराए गए बिक्री आंकड़ों और इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (EEE) की औसत जीवन अवधि पर आधारित हैं ।

ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 के अंतर्गत 106 इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की विस्तारित सूची वित्त वर्ष 2023-24 का डेटा उपलब्ध कराएगी।

  • पूर्व वर्षों (2019-2023) के लिए, ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 के अंतर्गत 21 इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं से ई-अपशिष्ट उत्पादन का अनुमान लगाया गया था।

ई-कचरा पुनर्चक्रण

  • भारत में पुनर्चक्रित ई-कचरे का हिस्सा वर्ष 2019-20 में 22% से बढ़कर 2023-24 में 43% हो गया।
  • उपरोक्त प्रगति के बावजूद लगभग 57% ई-कचरा लगभग 990,000 मेट्रिक टन, अभी भी प्रसंस्कृत नहीं किया गया है।
  • पुनर्चक्रण में प्रगति के बावजूद, ई-कचरे के प्रसंस्करण की कम दर का कारण अनौपचारिक क्षेत्र सहित विभिन्न हितधारकों को शामिल करने में आने वाली चुनौतियां हैं।
  • विशेषज्ञ खतरनाक सामग्रियों के संग्रहण को बढ़ाने तथा उनका उचित उपचार सुनिश्चित करने के लिए अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक पुनर्चक्रण प्रणालियों के साथ एकीकृत करने का समर्थन करते हैं।
  • विशेषज्ञ निर्माताओं को पर्यावरण अनुकूल और पुनर्चक्रणीय उत्पाद डिजाइन करने के लिए कर प्रोत्साहन देने की मांग कर रहे हैं, हालांकि सरकार ने टिकाऊ डिजाइन को प्रोत्साहित करने के लिए अभी तक कर क्रेडिट प्रणाली लागू नहीं की है।

ई-कचरा क्या है?

  • इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट, या ई-कचरा, अनुपयोगी विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (EEE) और उसके भागों को संदर्भित करता है जो अब उपयोग में नहीं हैं और पुन: उपयोग के लिए अभिप्रेत नहीं हैं।
  • इसमें उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जैसे रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन, मोबाइल फोन, कंप्यूटर और छोटे घरेलू उपकरण।
  • ई-कचरे में आर्सेनिक, कैडमियम, सीसा, पारा और स्थायी कार्बनिक प्रदूषक जैसे खतरनाक पदार्थ होते हैं।
  • यदि उपरोक्त यौगिकों का उचित तरीके से निपटान न किया जाए तो ये पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
  • इस बढ़ती समस्या से निपटने के लिए सरकार ने ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 लागू किया, जो 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी हुआ।
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