संदर्भ:

हाल ही में “भारत में महिला और पुरुष 2023” रिपोर्ट का 25वां संस्करण जारी किया गया है जो भारत में लिंग गतिशीलता का व्यापक विश्लेषण प्रदान करता है।

रिपोर्ट के मुख्य अंश

  • जनसंख्या अनुमान: वर्ष 2036 तक भारत की जनसंख्या 152.2 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें महिलाओं का प्रतिशत मामूली वृद्धि के साथ 48.8% हो जाएगा।
  • लिंग अनुपात में सुधार: अनुमान है कि लिंग अनुपात वर्ष 2011 में 943 से बढ़कर वर्ष 2036 तक 952 हो जाएगा, जो लैंगिक समानता में सकारात्मक रुझान को दर्शाता है।
  • शिक्षा और साक्षरता: साक्षर महिलाओं (11.0) की तुलना में अशिक्षित महिलाओं (33.9) में किशोर प्रजनन दर काफी अधिक है। 
  • प्रजनन प्रवृत्तियाँ: 20-24 और 25-29 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए आयु विशिष्ट प्रजनन दर (ASFR) में उल्लेखनीय कमी आई है, जो महिलाओं के अपने जीवन में व्यवस्थित होने के साथ परिवार नियोजन में बदलाव को दर्शाता है और 35-39 वर्ष की आयु के लिए आयु विशिष्ट प्रजनन दर 32.7 से बढ़कर 35.6 वर्ष हो गया है। 
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य: भारत ने मातृ मृत्यु दर को घटाकर 97/लाख जीवित जन्म तक लाने में प्रगति की है तथा शिशु मृत्यु दर दोनों लिंगों के लिए 28 प्रति 1000 जीवित जन्मों पर बराबर हो गई है।
  • श्रम बल भागीदारी दर (LFPR): श्रम बल भागीदारी दर के अनुसार, वर्ष 2017-18 से 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की पुरुष और महिला दोनों की आबादी में वृद्धि हो रही है।
  • वर्ष 2017-23 के दौरान पुरुष श्रम बल भागीदारी दर 75.8 से बढ़कर 78.5 हो गई है।

रिपोर्ट के विवरण

  • यह रिपोर्ट सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा जारी किया जाता है।
  • यह रिपोर्ट भारत में महिलाओं और पुरुषों के लिए जनसांख्यिकीय परिवर्तनों और उनके निहितार्थों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
  • लैंगिक समानता को बढ़ावा देने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि विकास प्रयास समावेशी और टिकाऊ हों, इनपर जोर देने (adocacy) और कार्रवाई करने हेतु एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है।
  • वर्ष 2017-2023 के बीच कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 23 से बढ़कर 37 हो गई है।
  • महिलाओं की चुनावी भागीदारी: ऐतिहासिक रूप से, महिला मतदाता मतदान पुरुषों की तुलना में पीछे रहा है, लेकिन वर्ष 2014 में महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 65.6% हो गई और वर्ष 2019 के चुनावों में यह बढ़कर 67.2% हो गई।
  • पहली बार, महिलाओं के लिए मतदान प्रतिशत थोड़ा अधिक रहा, जिससे महिलाओं में बढ़ती साक्षरता और राजनीतिक जागरूकता के प्रभाव पर प्रकाश पड़ा।
  • महिला उद्यमी भारत के स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को आगे बढ़ा रही हैं: उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा 55,816 महिला-नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप को मान्यता दिए जाने के साथ, महिलाएं अब कुल स्टार्ट-अप का 47.6% हिस्सेदारी रखती हैं, जो उनके बढ़ते प्रभाव और योगदान को दर्शाता है।

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