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सामान्य अध्ययन-2: सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप, उनके अभिकल्पन और कार्यान्वयन से संबंधित विषय।

सामान्य अध्ययन -3: समावेशी विकास और इससे संबंधित विषय। 

संदर्भ: भारत के DPI 2.0 भविष्य को ध्यान में रखते हुए IIM बैंगलोर और Protean ने ‘भारत में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति’ रिपोर्ट 2025 जारी की।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

• भारत का मध्यमार्गी दृष्टिकोण: खुला और विश्वसनीय सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा (पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर) समावेशन, विश्वास और राष्ट्रीय लक्ष्यों को सुनिश्चित करते हुए, बड़े पैमाने पर निजी नवाचार को बढ़ावा देता है।

• पारस्परिकता: भारत के DPI की सबसे बड़ी शक्ति इसकी व्यापक पहुँच के साथ-साथ इसकी पारस्परिकता (Interoperability) है। यही वह मूलभूत सिद्धांत है जिसके कारण UPI, आधार, और एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफ़ेस (UHI) जैसे डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर विभिन्न बैंक प्रणालियों, राज्यों और विभागों के बीच निर्बाध सुनिश्चित करते हैं।

• डिजिटल पेमेंट और डेटा शेयरिंग का बढ़ता उपयोग:  

  • विश्व में लगभग आधे तत्काल पेमेंट (49%) यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) से किए जाते हैं और वित्त वर्ष 2023-24 में, UPI से लगभग ₹200 लाख करोड़ का लेनदेन हुआ।
  • सुरक्षित वित्तीय डेटा साझा करने वाली अकाउंट एग्रीगेटर प्रणाली पर 112 मिलियन से अधिक लोग अपने खाते जोड़ चुके हैं, जिसके चलते यह प्रणाली 2.2 अरब से अधिक सहमति के आँकड़े को पार कर गई है।

• डिजिटल IDs और सार्वजानिक सेवाएँ: आधार आधारित पहचान प्रणालियों ने सार्वजनिक सेवाओं को अधिक कुशल बना दिया है। उदाहरण के लिए, अब 56 सरकारी मंत्रालयों की 328 योजनाओं के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) किए जाते हैं जिससे उनकी पारदर्शिता बनी रहती और लोगों तक पहुँच में सुधार होता है।

• डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल में प्रगति: धीमी गति से ही सही किन्तु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो रहा है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसे कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य आईडी (ABHA IDs) जारी की जा रहीं हैं और ई-संजीवनी जैसी टेलीमेडिसिन सेवाएँ स्वास्थ्य सेवा को ऑनलाइन बनाने और लोगों से निकटता से जुड़ने में सहायता करती हैं।

DPI से जुड़ी चुनौतियाँ 

• विभिन्न क्षेत्रों में DPI की असमान परिपक्वता: जहाँ एक ओर वित्तीय DPI (जैसे UPI, eKYC) ने लगभग सार्वभौमिक पहुँच हासिल कर ली है, वहीं डिजिटल कौशल, स्वास्थ्य रिकॉर्ड, शिक्षा प्लेटफॉर्म और नगर निगम सेवाओं में क्षेत्रीय असमानताएं बनी हुई हैं।

• प्रोत्साहन और संस्थागत प्रेरणा अंतराल: कई संभावित हितधारकों के पास DPI प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत होने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं होता है, जिससे डिजिटल इकोसिस्टम की प्रगति बाधित होती है।

• DPI को अपनाने में संकोच: कई राज्य सरकारों के विभागों को डिजिटल कार्यप्रणाली (digital workflows) में पूरी तरह से एकीकृत करने में विफलता के कारण, सेवाओं का उपयोग करते समय नागरिकों का अनुभव खराब रहता है और सेवा वितरण में अनावश्यक देरी होती है।

• चूँकि DPI निजी खिलाड़ियों को साझा मंच पर सेवाएँ बनाने की अनुमति देता है, इसलिए यह खतरा उत्पन्न होता है कि कुछ चुनिंदा कंपनियाँ बाज़ार में अपना प्रभुत्व  बना लेंगी।

आगे की राह 

• स्वास्थ्य और कुछ अन्य क्षेत्र अभी भी DPI के शुरुआती कार्यान्वयन चरण में हैं। इनके विकास के लिए बेहतर सिस्टम एकीकरण, अधिक सेवा प्रदाताओं की भागीदारी, और प्रभावी प्रोत्साहन आवश्यक हैं।

• यह उल्लेख करते हुए कि DPDP अधिनियम (डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम) और DEPA (डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण वास्तुकला) सुरक्षित, उपयोगकर्ता-अनुकूल और सहमति-आधारित डेटा साझाकरण को सक्षम करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे, यह रिपोर्ट सशक्त शासन, गोपनीयता सुरक्षा और डेटा संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करती है। 

• यह सुनिश्चित करने के लिए कि DPI  नागरिक-केन्द्रीय, पारदर्शी, जवाबदेह और दुरूपयोग से सुरक्षित हो, सशक्त तकनीकी-कानूनी नियामक ढाँचों की तत्काल आवश्यकता है।

• नीति निर्माताओं के लिए, यह अध्ययन DPI 2.0 अर्थात अवसंरचना निर्माण से उपयोगकर्ता-केन्द्रित शासन की ओर परिवर्तन के लिए रोडमैप प्रस्तुत करता है। 

डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के बारे में  

• डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) मूलभूत डिजिटल प्रणालियों का एक समूह है जो आधुनिक समाजों के लिए आधारभूत ढाँचे के रूप में कार्य करता है। DPI लोगों, व्यवसायों और सरकारों के बीच सुरक्षित और निर्बाध संपर्क को सक्षम बनाता है।

• DPIs विभिन्न क्षेत्रों में साझा और पुन: प्रयोज्य डिजिटल घटकों पर नई सेवाएँ विकसित करने का अवसर प्रदान कर तीव्र और कुशल नवाचार को संभव बनाते हैं।

Sources:
IIMB
New Indian Express

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