संदर्भ:

भारत में अरबपतियों की लगभग 90 प्रतिशत संपत्ति उच्च जातियों के पास है।

मुख्य बातें

  • हाल ही में, वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब (World Inequality Lab) द्वारा जारी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक “भारत में कर न्याय और धन पुनर्वितरण की ओर” (Towards Tax Justice and Wealth Redistribution in India) है, जो देश में गंभीर आर्थिक असमानताओं पर प्रकाश डालती है।
    इसके निष्कर्षों से पता चलता है कि भारत के अरबपतियों की लगभग 90 प्रतिशत संपत्ति उच्च जातियों के पास संकेंद्रित है, जो कि एक महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक विभाजन को रेखांकित करता है।

बढ़ती असमानता

  • भारत में 1980 के दशक से आय और संपत्ति असमानता में वृद्धि हुई है, जो 2000 के दशक से काफी अधिक थी तथा वित्तीय वर्ष 2014-15 और वित्तीय वर्ष 2022-23 के बीच चरम पर पहुँच गई है।
  • वर्तमान में, शीर्ष 1 प्रतिशत आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है, जो वर्ष 1980 के 12.5 प्रतिशत से काफी अधिक है।
  • इसके अतिरिक्त, कुल कर पूर्व आय में उनकी हिस्सेदारी वर्ष 1980 के 7.3 प्रतिशत से बढ़कर 22.6 प्रतिशत हो गयी है।

जाति और आर्थिक गतिशीलता (Caste and Economic Mobility): इस रिपोर्ट से पता चला है कि भारत के अरबपतियों की 88.4 प्रतिशत संपत्ति उच्च जातियों के पास है।

  • इसके विपरीत, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के भारत के कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा होने के बावजूद, उद्यम मालिकों के बीच उनका प्रतिनिधित्व आनुपातिक रूप से काफी कम है।

उद्यमों के स्वामित्व में असमानताएँ (Disparities in Enterprise Ownership): अजीम   प्रेमजी विश्वविद्यालय की “स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया, 2023” रिपोर्ट के अनुसार, कार्यबल में भागीदारी के सापेक्ष उद्यम स्वामित्व मे अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) का प्रतिनिधित्व कम है।

  • अनुसूचित जाति की कार्यबल में हिस्सेदारी 19.3 प्रतिशत हैं, लेकिन उद्यम स्वामित्व  में उनका प्रतिनिधित्व केवल 11.4 प्रतिशत हैं। इसी प्रकार, अनुसूचित जनजाति, जो कार्यबल का 10.1 प्रतिशत हिस्सा हैं, लेकिन उद्यम स्वामित्व में उनका प्रतिनिधित्व केवल 5.4 प्रतिशत हैं।

विभिन्न समूहों में आर्थिक असमानता: अखिल भारतीय ऋण और निवेश सर्वेक्षण (All-India Debt and Investment Survey-AIDIS) 2018-19 के अनुसार, उच्च जातियों के पास राष्ट्रीय संपत्ति का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा है, जो भारत की जाति व्यवस्था में निहित स्थायी आर्थिक असमानताओं को प्रदर्शित करता है।

  • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey) के अनुसार केवल 12.3 प्रतिशत अनुसूचित जातियाँ और 5.4 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियाँ उच्चतम संपत्ति वर्ग में शामिल हैं, जबकि 25 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जातियाँ और 46.3 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियाँ निम्नतम संपत्ति वर्ग में शामिलहैं।
  • अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय में भी ऐसी ही प्रवृत्ति देखने को मिलती है, जिसकी 16.3 प्रतिशत आबादी सबसे कम संपत्ति वाले समूह में आती हैं, जबकि 19.2 प्रतिशत आबादी सबसे अधिक संपत्ति वाले वर्ग में आती हैं।

असमानता क्या है?

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, असमानता को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जा सकता है, जो सभी एक-दूसरे से संबंधित हैं।
  • सबसे आम मीट्रिक आय असमानता है, जो इस बात को संदर्भित करता है कि किसी जनसंख्या में आय कितने स्तर पर समान रूप से वितरित है।

आय असमानता के मापक (Income Inequality measure) 

  • गिनी गुणांक (Gini Coefficient) आय असमानता का एक विशिष्ट मापक है।
  • यह गुणांक 0 और 1 के बीच होता है, जिसमें 0 पूर्ण समानता और 1 पूर्ण असमानता को दर्शाता है।  

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