संदर्भ: 

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA ) पर 15 वें दौर की वार्ता हाल ही में शुरू हुई है।

अन्य संबंधित जानकारी

भारत-ब्रिटेन FTA  वार्ता जनवरी 2022 में शुरू हुई थी।

इसमें 26 अध्याय हैं जिनमें वस्तुओं, सेवाओं, निवेशों और बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) को शामिल किया गया है।

FTA भारत द्वारा किसी भी विकसित देश के साथ किया गया सबसे व्यापक व्यापार समझौता होगा।

FTA के अलावा, द्विपक्षीय निवेश संधि (BIT) और दोहरे अंशदान सम्मेलन समझौते (DCCA) पर बातचीत चल रही है।

BIT: एक दूसरे के क्षेत्रों में विदेशी निजी निवेश को बढ़ावा देने और संरक्षित करने के लिए दो देशों के बीच पारस्परिक समझौते।

  • DCCA: एक सामाजिक सुरक्षा समझौता जिसके तहत अल्पकालिक सीमापार कामगारों के सामाजिक सुरक्षा अंशदान को छूट दी जाती है या उसकी प्रतिपूर्ति की जाती है।

वर्तमान व्यापार संबंध 

  • ब्रिटेन भारत का 16वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
  • वित्त वर्ष 24 में द्विपक्षीय व्यापार 21.34 बिलियन डॉलर रहा।
  • 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • यह व्यापार संबंध 41 बिलियन पाउंड का है तथा इससे दोनों देशों में 6 लाख से अधिक नौकरियां सृजित होंगी।

भारत-ब्रिटेन FTA  का महत्व

  • अन्य FTA  को आकार देना : यह यूरोपीय संघ (EU) और अन्य देशों के साथ भारत के व्यापार समझौतों के लिए एक आदर्श बन जाएगा।
  • निर्यात में वृद्धि : भारत के फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और वस्त्र जैसे निर्यातों में वृद्धि होगी, जिससे निवेश गतिविधि और रोजगार सृजन में वृद्धि होगी ।
  • सेवा व्यापार: दूरसंचार और व्यापार जैसे क्षेत्रों में भारत के सेवा निर्यात को उदारीकृत और प्रतिस्पर्धी सेवा व्यवस्था से लाभ मिलेगा।
  • भू-आर्थिक बदलाव: ब्रिटेन के ब्रेक्सिट, भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से बाहर होने तथा हाल की अमेरिकी व्यापार नीतियों के कारण उत्पन्न अनिश्चितता के कारण दोनों देश नए बाजारों की खोज कर रहे हैं, जिसके लिए FTA महत्वपूर्ण हैं।

संभावित बाधाएं 

  • कार्बन टैक्स: भारत ब्रिटेन के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र  (CBAM) से छूट की मांग कर रहा है , जिससे FTA  कमजोर हो सकता है।
  • श्रम गतिशीलता: प्रवासन, गतिशीलता और भारतीय श्रमिकों के लिए उदार वीज़ा व्यवस्था ब्रिटेन के लिए एक मुद्दा बना हुआ है।
  • उत्पत्ति के नियम (RoO): भारत चाहता है कि मजबूत RoO हो, जिससे तीसरे देश ब्रिटेन के रास्ते भारत में सामग्री भेजकर तरजीही टैरिफ का लाभ न उठा सकें।
  • घरेलू उद्योग पर प्रभाव: ब्रिटेन व्हिस्की और कार जैसे अपने निर्यातों पर कम टैरिफ चाहता है (वर्तमान में 100-150%) और अपनी वित्तीय और कानूनी सेवाओं के लिए भारतीय बाजारों तक अधिक पहुंच चाहता है, लेकिन इससे भारत में घरेलू उद्यमियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

आगे की राह

  • गैर-टैरिफ बाधाएं (NTB): भारत को NTB (कठोर मानकों और प्रमाणन आवश्यकताओं) को समाप्त करने पर बल देना चाहिए, जिसने कृषि उत्पादों जैसे उसके निर्यात को बाधित किया है।
  • टैरिफ दर कोटा (TRQ): यूके के कारों जैसे निर्यात पर टीआरक्यू रियायती टैरिफ दरों पर अनुमत आयात की मात्रा पर एक सीमा लगाएगा, जिससे घरेलू चिंताएं दूर हो जाएंगी।
  • आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना: FTA  वार्ता सहित, दोनों देशों को व्यापार और निवेश सहयोग को गहरा करने के लिए रोडमैप 2030 का पालन करना चाहिए।
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