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सामान्य अध्ययन-3: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण एवं नई प्रौद्योगिकी का विकास।

संदर्भ :

हाल ही में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मौसम पूर्वानुमान की क्षमताओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक नया मौसम मॉडल ‘भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS)’ विकसित किया है, जो छोटे भौगोलिक क्षेत्रों के लिए अधिक सटीक और स्थानीय स्तर पर पूर्वानुमान प्रदान करने में सक्षम है।           

भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS)

  • यह नई प्रणाली भारत को मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी देशों की पंक्ति में शामिल कर देती है।
  • भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BFS) का परीक्षण 2022 से चल रहा है।
  • इसे पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) ने विकसित किया है, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अधीन कार्य करता है।  
  • इस प्लेटफॉर्म को संचालित करने के लिए मंत्रालय ने लगभग ₹90 करोड़ रुपये की लागत से एक नया सुपरकंप्यूटर स्थापित किया है।
  • मॉडल को अतिरिक्त डेटा प्रदान करने के लिए दो वर्षों में भारत के मौसम रडार नेटवर्क का आकार दोगुना करने की योजना है। 

अधिक सटीकता के लिए बेहतर ग्रिड रिज़ॉल्यूशन

  • मौजूदा मौसम मॉडल पृथ्वी को 12 किलोमीटर के ग्रिड वर्गों में विभाजित करते हैं।
  • नया BFS मॉडल इसे 6 किमी ग्रिड तक परिष्कृत करता है, जिसके परिणामस्वरूप रिज़ोल्यूशन में चार गुना सुधार होता है।
  • भारत विश्व का एकमात्र देश है जो वर्तमान में 6 किमी × 6 किमी रिज़ॉल्यूशन पर परिचालनात्मक मौसम पूर्वानुमान प्रदान कर रहा है।
  • यूरोपीय संघ की एकीकृत पूर्वानुमान प्रणाली और अमेरिका की वैश्विक पूर्वानुमान प्रणालीजैसे वैश्विक पूर्वानुमान मॉडल का रिज़ॉल्यूशन 9 किमी से 14 किमी के बीच है।
  • इसका अर्थ है कि BFS छोटे क्षेत्रों को विस्तार से देख कर स्थानीय स्तर पर सटीक रिपोर्ट दे सकता है, जिससे वर्षा का बेहतर पूर्वानुमान और बाढ़ से पूर्व तैयारियाँ कर पाना संभव हो सकेगा।
  • इससे पहले, ब्लॉक स्तर पर पूर्वानुमान पांच दिन पहले तक उपलब्ध होते थे।
  • BFS के साथ, अब पंचायत स्तर पर पूर्वानुमान जारी किए जा सकते हैं, जिसमें कुछ गांवों जैसे छोटे क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है।
  • यह उन्नत रिज़ोल्यूशन अधिक सटीक पूर्वानुमान को संभव बनाता है, तथा स्थानीय मौसम परिवर्तनों को कैप्चर करता है, जो अक्सर ब्लॉक-स्तरीय पूर्वानुमानों में छूट जाते हैं।   
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मौसम में होने वाले परिवर्तन अप्रत्याशित प्रकृति के होते हैं, इसलिए स्थानिक परिवर्तनों को कैप्चर करने के लिए उच्च रिज़ॉल्यूशन वाले मॉडल की आवश्यकता होती है।     
  • इससे पहले IMD चार गांवों के लिए एक पूर्वानुमान जारी करता था। लेकिन BFS के साथ यह चारों गांवों के लिए अलग-अलग पूर्वानुमान जारी कर सकता है।   

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए नई ग्रिड संरचना

  • पहले के मौसम मॉडल में पूरे विश्व में समान आकार के ग्रिड का उपयोग किया जाता था।
  • भारत पूर्वानुमान प्रणाली उन्नत ‘त्रिकोणीय घनीय अष्टफलकीय ग्रिड मॉडल’ पर आधारित है, जो तत्क्षण (रियल टाइम) मॉडलिंग को सक्षम बनाती है। 
  • त्रिकोणीय घन अष्टफलकीय ग्रिड मॉडल ने अत्यधिक वर्षा की घटनाओं के पूर्वानुमान में 30% सुधार और मुख्य मानसून क्षेत्रों के भीतर पूर्वानुमान में 64% वृद्धि प्रदर्शित की है। 
  • यह परिवर्तन भारत जैसे क्षेत्रों के लिए मॉडल की प्रासंगिकता और सटीकता में सुधार करता है।
  • देशभर में स्थापित 40 डॉप्लर मौसम रडार (जो उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले मौसम निगरानी स्टेशनों की एक प्रणाली है) के नेटवर्क से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग BFS मॉडल को संचालित करने के लिए किया जाएगा।
  • डॉप्लर रडारों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाकर 100 की जाएगी, जिससे मौसम कार्यालय देशभर में अगले दो घंटों के लिए तात्कालिक मौसम पूर्वानुमान जारी करने में सक्षम हो जाएगा। 

उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग अवसंरचना              

  • उन्नत पूर्वानुमान क्षमता उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग प्रणालियों द्वारा समर्थित है:
    • भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे में सुपरकंप्यूटर ‘अर्क’:
      • 11.77 पेटा-फ्लॉप्स की कंप्यूटिंग क्षमता 
  • एक पेटा-फ्लॉप का अर्थ है एक क्वाड्रिलियन (1015) फ्लोटिंग-पॉइंट गणनाएँ प्रति सेकंड।
    • 33 पेटाबाइट्स स्टोरेज
    • राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF), दिल्ली में ‘अरुणिका’:
  • 8.24 पेटा-फ्लॉप्स की कंप्यूटिंग क्षमता 
  • 24 पेटाबाइट्स स्टोरेज
  • ये प्रणालियाँ वास्तविक समय में उच्च-रिज़ॉल्यूशन मौसम संबंधी आंकड़ों को संसाधित करने की क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा देती हैं।    

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