संदर्भ:
केंद्रीय मंत्री ने नीली अर्थव्यवस्था पर भारत और नॉर्वे के बीच सहयोग की समीक्षा के लिए भारत में नॉर्वे के राजदूत के साथ बैठक की।
समीक्षा बैठक के प्रमुख बिंदु
संयुक्त कार्यबल को मजबूत बनाना:
- बैठक में नीली अर्थव्यवस्था पर सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त कार्य बल के महत्व पर जोर दिया गया।।
एकीकृत महासागर प्रबंधन एवं अनुसंधान पहल:
- केंद्रीय मंत्री ने ‘भारत-नॉर्वे एकी`कृत महासागर प्रबंधन और अनुसंधान पहल’ की ओर ध्यान दिलाते हुए, इस सहयोग को और अधिक गहरा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
- बैठक के दौरान, भारत के गहरे समुद्र मिशन (डीप सी मिशन) पर भी चर्चा की गई, जिसमें खनिज अन्वेषण और समुद्र तल खनन के अवसरों का पता लगाने के लिए तीन भारतीयों को भेजा जाना शामिल है।
इंडो-नॉर्वेजियन फेलोशिप कार्यक्रम के लिए सहायता:
- इसमें इंडो-नॉर्वेजियन फेलोशिप कार्यक्रम के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की सहायता पर प्रकाश डाला गया, जिसके तहत तीन छात्रों को आर्कटिक और अंटार्कटिक हिमनद विज्ञान पर शोध करने का अवसर प्रदान किया।
ध्रुवीय विज्ञान में सहयोग:
- इस बैठक में कोच्चि में 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक में ध्रुवीय विज्ञान में व्यापक सहयोग के लिए राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR) और नॉर्वेजियन ध्रुवीय संस्थान (NPI) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन भी शामिल था।
समुद्री स्थानिक योजना और भविष्य सम्मेलन:
- बैठक के दौरान, भारत और नॉर्वे के बीच सहयोगात्मक प्रयास, समुद्री स्थानिक योजना (MSP) के मसौदा ढांचे पर चर्चा की गई।
समुद्री स्थानिक योजना राजनीतिक सहमति के माध्यम से पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समुद्री क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियों का समन्वय करता है।
महासागरों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन:
- वर्ष 2025 में फ्रांस के नीस में होने वाले महासागरों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनओसी-3) में दोनों देशों की भागीदारी के बारे में आशा व्यक्त की गई।
महासागरों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन एक प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम है जो महासागरों की स्थिति और स्थिरता पर केंद्रित है, जो सरकारों, वैज्ञानिकों, गैर सरकारी संगठनों और हितधारकों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने और उनका समाधान करने के लिए एक साथ लाता है (यूएनओसी-1: 2017 में न्यूयॉर्क शहर में आयोजित हुआ था)।
नीली अर्थव्यवस्था:
- विश्व बैंक नीली अर्थव्यवस्था को “अर्थव्यवस्थाओं, आजीविका और महासागर पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने के लिए महासागर संसाधनों के सतत उपयोग” के रूप में परिभाषित करता है
राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र
- वर्ष 1998 में स्थापित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR) भारत का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संस्थान है, जो ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में देश की अनुसंधान गतिविधियों को संचालित करता है।
- यह गोवा में स्थित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है।
- राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और महाद्वीपीय शेल्फ के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षणों में अग्रणी भूमिका निभाता है।
- यह गहरे समुद्र में खुदाई भी करता है तथा गैस हाइड्रेट्स और हाइड्रोथर्मल सल्फाइड जैसे संभावित समुद्री संसाधनों का अन्वेषण भी करता है।
इंडार्क (IndARC) वेधशाला
- आर्कटिक में भारत की पहली जलमग्न वेधशाला, इंडार्क (IndARC) को वर्ष 2014 में नॉर्वे के स्वालबार्ड के कोंग्सफजॉर्डन नामक खाड़ी में स्थापित किया गया था।
- यह वेधशाला मानसून पर आर्कटिक जलवायु के प्रभाव का अध्ययन करती है।