संदर्भ:

विश्व स्वास्थ्य संगठन की लगभग दो वर्ष पहले की सिफारिश के बाद भारत दवा प्रतिरोधी क्षयरोग (टीबी) के लिए बीपाम (BPaLM) पद्धति को लागू करने की तैयारी कर रहा है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दवा प्रतिरोधी क्षयरोग (टीबी) के लिए नवीन मौखिक उपचार पद्धति के उपयोग की सिफारिश की है, जो बेहतर एवं तीव्र उपचार परिणाम प्रदान करती है तथा रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है।
  • भारत इस उपचार को लागू करने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रहा है।

बीपाम पद्धति क्या है?

बीपाम (BPaLM) पद्धति में बहु-औषधि प्रतिरोधी (MDR) या रिफाम्पिसिन प्रतिरोधी क्षयरोग  (RR-TB) के उपचार के लिए बेडाक्विलाइन, प्रीटोमानिड, लाइनज़ोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन (BPaLM) शामिल हैं।

रिफाम्पिसिन, सबसे महत्वपूर्ण प्रथम-पंक्ति टीबी प्रतिरोघी दवाओं में से एक है।

  • वर्तमान में, लगभग 40 देशों के टीबी रोगियों को इस नई पद्धति तक पहुंच प्राप्त है।
  • बीपाम प्रोटोकॉल अधिक प्रभावी है तथा इसकी उपचार अवधि प्रचलित 18-24 महीनों की तुलना में कम यानी 6 महीने है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक टीबी मामलों में से 27 प्रतिशत भारत में हैं और आने वाले समय में इससे लाभ मिलने की उम्मीद है।

क्षय रोग (टीबी)

  • टीबी एक वायुजनित जीवाणु संक्रमण रोग है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है।
  • टीबी बैक्टीरिया मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, हालांकि अन्य अंग और ऊतक भी इसमें शामिल हो सकते हैं।
  • संक्रमण का तरीका: वायुजनित- खांसने, छींकने या थूकने के माध्यम से।
  • उच्च जोखिम वाले समूह: कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग, जैसे- एचआईवी से संक्रमित, कुपोषण, मधुमेह, धूम्रपान और शराब का सेवन।
  • विश्व टीबी दिवस, 24 मार्च को डॉ. रॉबर्ट कोच द्वारा 1882 में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की याद में मनाया जाता है।

टीबी की रोकथाम

  • इसमें उच्च जोखिम वाले लोगों की जांच, मामलों का शीघ्र पता लगाना और उपचार तथा बैसिलस कैलमेट-गुएरिन (BCG) वैक्सीन का टीकाकरण शामिल हैं।
  • टीबी के उपचार के लिए लंबे समय तक कई एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग की आवश्यकता होती है।

बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी (MDR TB)

  • एमडीआर टीबी रोग टीबी बैक्टीरिया के कारण होता है जो कम से कम आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिसिन के प्रति प्रतिरोधी होते हैं, जो सबसे प्रभावी प्रथम-पंक्ति टीबी उपचार दवाएं हैं।

बीपाम राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को किस प्रकार लाभ पहुंचाएगा?

  • इस कदम से देश के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक टीबी रोग को समाप्त करना है।
  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय क्षय रोग अनुसंधान संस्थान, चेन्नई द्वारा समन्वित एक अध्ययन ने 90 प्रतिशत से अधिक का इलाज दर प्रदर्शित किया है। 
  • इससे मृत्यु दर जो आमतौर पर 14 से 17% तक होती है, घटकर 3 से 4% रह जाती है।

टीबी की वर्तमान स्थिति

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में हर दिन 3,500 लोग टीबी के कारण अपनी जान गंवाते हैं तथा लगभग 30,000 लोग टीबी के जीवाणुओं से संक्रमित होते हैं।
  • लगभग 1.8 बिलियन लोग या विश्व की एक-चौथाई जनसंख्या, टीबी से संक्रमित हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश लोगों में सुप्त टीबी है।
  • लगभग 10 मिलियन लोग सक्रिय टीबी से पीड़ित हैं।
  • विश्व भर में टीबी के लगभग आधे मामले निम्न आठ देशों में पाए जाते हैं: बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका।
  • दुनिया भर में टीबी के सबसे ज़्यादा मामले वाले 20 देशों की सूची में भारत सबसे ऊपर है। अकेले भारत में वैश्विक टीबी के 27% मामले हैं, उसके बाद इंडोनेशिया (10%) का स्थान है।

टीबी पर अंकुश लगाने हेतु सरकार की पहल

राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP): यह भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) का एक प्रमुख कार्यक्रम है जो देश में क्षय रोग-रोधी (टीबी) गतिविधियों के लिए तकनीकी और प्रबंधकीय नेतृत्व प्रदान करता है।

  • कार्यक्रम का लक्ष्य वर्ष 2025 (जो सतत विकास लक्ष्यों से पांच वर्ष पहले है) तक भारत से टीबी को समाप्त करना है।
  • इस कार्यक्रम को पहले संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के रूप में जाना जाता था, जिसे वर्ष 1962 में शुरू किया गया था। वर्ष 2020 में, भारत सरकार के केंद्रीय टीबी प्रभाग ने इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम कर दिया।
  • राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत एक केन्द्र प्रायोजित योजना है, जिसमें केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें संसाधनों को साझा करती हैं।
  • निक्षय पोषण योजना: निक्षय (Ni-kshay) पोषण योजना को वर्ष 2018 में शुरू किया गया था, यह योजना राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम का हिस्सा है, जो टीबी रोगियों को उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान: यह वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन की दिशा में देश की प्रगति में तेजी लाने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक पहल है।
  • टीबी मुक्त पंचायत: इस पहल को वर्ष 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए मार्च 2023 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य टीबी को समाप्त करने के लिए एक आंदोलन बनाने, टीबी को समाप्त करने की गतिविधियों को मजबूत करने और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए समुदायों को सशक्त बनाना है।

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