सामान्य अध्ययन-3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स आदि के क्षेत्र में जागरूकता। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
संदर्भ:
हाल ही में उद्योग जगत के अनुमानों के अनुसार भारत का अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) बाजार 2023 में 38 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2030 तक 110 बिलियन डॉलर तक होने का अनुमान है।
सेमीकंडक्टर (अर्धचालक) के बारे में
- सेमीकंडक्टर एक ऐसा पदार्थ है जिसकी विद्युत चालकता चालकों और कुचालकों के बीच होती है, जिससे यह विभिन्न परिस्थितियों में किसी भी रूप में कार्य कर सकता है।
- ये अद्वितीय गुण सेमीकंडक्टर को उन सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक घटकों में उपयोग के लिए आदर्श बनाते हैं जो आधुनिक उपकरणों के मस्तिष्क के रूप में कार्य करते हैं।
- सेमीकंडक्टर का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक चिप्स बनाने के लिए किया जाता है जो उपकरणों के कार्य करने के तरीके को नियंत्रित करते हैं।
- प्रत्येक चिप में लाखों या अरबों छोटे स्विच होते हैं जिन्हें ट्रांजिस्टर कहा जाता है और जो विद्युत संकेतों को नियंत्रित करते हैं, ठीक उसी तरह जैसे मस्तिष्क कोशिकाएं काम करती हैं।
- चिप्स में प्रतिरोधक, संधारित्र और तार जैसे अन्य घटक भी होते हैं जो सूचनाओं को संग्रहीत, संसाधित और स्थानांतरित करने में मदद करते हैं।

सेमीकंडक्टर का वैश्विक परिदृश्य
- वर्तमान में, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका का वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग पर वर्चस्व हैं।
- अकेले ताइवान दुनिया के 60% से अधिक सेमीकंडक्टर और लगभग 90% सबसे उन्नत चिप्स का उत्पादन करता है।
- ताइवान जैसे किसी एक क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता से प्राकृतिक आपदाओं, महामारियों और भू-राजनीतिक तनाव जैसे जोखिमों के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में खामियाँ आती हैं।
- वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के प्रयास में भारत एक विश्वसनीय और रणनीतिक भागीदार के रूप में उभर रहा है।

भारत का सेमीकंडक्टर बाजार
• सेमीकंडक्टर विनिर्माण में भारत का प्रवेश वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स केंद्र बनने और तकनीकी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने की उसकी महत्वाकांक्षा का समर्थन करता है।
• भारत एक सेमीकंडक्टर-उपभोक्ता देश से एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र में परिवर्तित हो रहा है, जिसका लक्ष्य ट्रिलियन डॉलर की वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी बनना है।
• भारत वर्तमान में अपनी सेमीकंडक्टर मांग का 9% से भी कम घरेलू स्तर पर पूरा करता है और 2026 तक इसे बढ़ाकर 17% करने की योजना बना रहा है।
• भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला के 3 प्राथमिक स्तंभों में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरने की क्षमता है।
- उपकरण: सेमीकंडक्टर उपकरणों के लिए घटकों का उत्पादन करने हेतु सूक्ष्म, लघु एवं माध्यम उद्यम (MSMEs) के मजबूत आधार का लाभ उठाना।
- सामग्री: भारत रसायनों, खनिजों और गैसों का एक समृद्ध स्रोत है जिसका उपयोग सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला कंपनियों द्वारा किया जा सकता है।
- सेवाएँ: अनुसंधान एवं विकास, रसद और आपूर्ति श्रृंखला, जिसमें एआई, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स में प्रमुख प्रतिभाएँ शामिल हैं।
• आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण के लिए वैश्विक प्रयास, 2030 तक भारत के अनुमानित 100-110 बिलियन डॉलर के सेमीकंडक्टर बाजार के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करता है।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM)
- भारत सेमीकंडक्टर मिशन को दिसंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखलाओं में भारत के एकीकरण को मजबूत करने हेतु सेमीकंडक्टर निर्माण, डिस्प्ले निर्माण और चिप डिजाइन में निवेश के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन के अंतर्गत योजनाएं:
- सेमीकंडक्टर फैब्स योजना
- डिस्प्ले फैब्स योजना
- यौगिक सेमीकंडक्टर और ATMP/OSAT योजना
- डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना
• भारत सेमीकंडक्टर मिशन सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यशालाएँ और प्रमाणन पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
• सेमीकॉन/SEMICON इंडिया कार्यक्रम: भारत सीमा पार सहयोग को सक्षम बनाकर, अनुसंधान व्यावसायीकरण को बढ़ावा देकर, कौशल विकास को बढ़ाकर और वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला में भारत की बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करके भारत सेमीकंडक्टर मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाता है।
- यह निवेश, संवाद और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक उद्योग जगत के नेताओं, नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और स्टार्टअप्स को एक साथ एक मंच पर लाता है।
स्रोत:
