संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हरियाणा के पंचकूला में 100 दिवसीय टीबी उन्मूलन अभियान का शुभारंभ किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस अभियान का उद्देश्य विशेष रूप से सुभेद्य आबादी के लिए टीबी के मामलों का पता लगाने, निदान में होने वाली देरी को कम करने और उपचार के परिणामों को बेहतर बनाना है |
- यह अभियान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission-NHM) के तत्वावधान में राष्ट्रीय तपेदिक उन्मूलन कार्यक्रम (National TB Elimination Programme-NTEP) के व्यापक ढांचे का अंग है, जो टीबी उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (National Strategic Plan-NSP) 2017-2025 से संबद्ध है।
- अभियान का मुख्य उद्देश्य विशेषकर सबसे सुभेद्य समूहों के लिए निदान और उपचार सेवाओं को मजबूत बनाना है। इनमें दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में रहने वाले लोग, हाशिए पर रहने वाले समुदाय तथा मधुमेह, एचआईवी और कुपोषण जैसी सह-रुग्णता से पीडि़त व्यक्ति शामिल हैं।
NTEP और TB का वर्तमान परिदृश्य:
- इसका उद्देश्य 2025 तक भारत में टीबी के बोझ को रणनीतिक रूप से कम करना है।
- वर्ष 2020 में संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) का नाम बदलकर राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) कर दिया गया।
- सार्वभौमिक औषधि संवेदनशीलता परीक्षण (Universal Drug Susceptibility Testing-UDST) राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपचार शुरू करने से पहले सभी टीबी रोगियों की औषधि प्रतिरोध के लिए जांच की जाए ।
NTEP के अंतर्गत प्रगति:
- टीबी की मामलों की दर 17.7% घटकर, 2015 के 237 प्रति 100,000 से 2023 में 195 प्रति 100,000 हो गई।
- टीबी से संबंधित मृत्यु दर में 21.4% की कमी आई है, जो 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 थी,से घटकर 2023 में प्रति लाख जनसंख्या पर 22 हो गई है।
- भारत ने लगभग 1.89 करोड़ स्पुटम फंगल स्मीयर और 68.3 लाख न्यूक्लिक एसिड प्रवर्धन परीक्षण किए, जिससे सभी स्वास्थ्य देखभाल स्तरों पर निदान तक पहुंच में वृद्धि हुई।
- वैश्विक टीबी रिपोर्ट, 2024 (डब्ल्यूएचओ द्वारा) के अनुसार, भारत में 2023 में तपेदिक के मामलों और इससे होने वाली मौतों की अनुमानित संख्या में मामूली गिरावट देखी गई, लेकिन यह अपने उन्मूलन लक्ष्य के कहीं भी करीब नहीं है।
- भारत में 2023 में टीबी के अनुमानित 28 लाख मामले थे, जो वैश्विक मामलों का 26% था और अनुमानित 3.15 लाख टीबी से संबंधित मौतें हुई, जो वैश्विक मौतों का 29% थी।
टीबी उन्मूलन के लिए भारत की पहल
- क्षय रोग उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (NSP) (2017-2025): यह 2025 तक भारत में क्षय रोग (टीबी) को समाप्त करने की सरकार की योजना को रेखांकित करती है।
- टीबी-मुक्त पंचायत पहल: यह 2025 तक तपेदिक (टीबी) को समाप्त करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए कई क्षेत्रों के बीच एक सहयोग है।
- प्रत्यक्ष रूप से अवलोकित उपचार, लघु पाठ्यक्रम (DOTS): यह एक लागत प्रभावी रणनीति है जो टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक है।
- भारत ने राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के अंतर्गत 1993 से डॉट्स को अपनाया और उसका परीक्षण किया है।
- निक्षय पोषण योजना : इसके अंतर्गत क्षय रोग (टी.बी.) के रोगियों को पोषण सहायता प्रदान की जाती है
- यह योजना अप्रैल 2018 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के हिस्से के रूप में शुरू की गई थी ।
- BPaLM: BPaLM रेजिमेन बेडाक्विलिन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन की चार दवाओं का संयोजन है। इसे 2022 में WHO द्वारा अनुशंसित किया गया था |
- यह पिछले MDR-TB उपचार (6 महीने के भीतर 89% सफलता दर) की तुलना में दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए अधिक सुरक्षित, अधिक प्रभावी और तेज उपचार है।
- भारत, प्रीटोमानिड का एकमात्र वैश्विक आपूर्तिकर्ता है , जो BPaL उपचार की एक प्रमुख दवा है।