संदर्भ:
भारत को लगातार दूसरे वर्ष 100 बिलियन डॉलर का धन प्रेषण (रेमिटेंस) प्राप्त हुआ है।
अन्य संबंधित जानकारी
- कोविड-19 के बाद धन प्रेषण (रेमिटेंस) पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया ।
- भारत को वित्तीय वर्ष 2023-24 में 107 बिलियन डॉलर का धन प्रेषण (रेमिटेंस) प्राप्त हुआ, जो लगातार दूसरे वर्ष 100 बिलियन डॉलर की सीमा से अधिक है।
- यह राशि इसी अवधि के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और पोर्टफोलियो निवेश से प्राप्त संयुक्त राशि 54 बिलियन डॉलर से लगभग दोगुनी है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका धन प्रेषण (रेमिटेंस) का मुख्य योगदानकर्ता है, जहां से कुल राशि का 23% प्राप्त हुआ है।
- 2023-24 के दौरान खाड़ी देशों से प्राप्त धन प्रेषण (रेमिटेंस) में कमी हुई है।
- 2023 में, संयुक्त राज्य अमेरिका वैश्विक स्तर पर धन प्रेषण (रेमिटेंस) में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बना रहा।
- संयुक्त राज्य अमेरिका से धन प्रेषण (रेमिटेंस) प्राप्तकरताओं मे भारत ($125 बिलियन) थे, उसके बाद मैक्सिको ($67 बिलियन), चीन ($50 बिलियन), फिलीपींस ($40 बिलियन) तथा मिस्र ($24 बिलियन) थे।
- निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) को प्रेषित धनराशि में लगभग 3.8% की वृद्धि होगी।
धन प्रेषण (रेमिटेंस) पर विश्व बैंक
- विश्व बैंक की “प्रवासन एवं विकास संक्षिप्त रिपोर्ट” से पता चला है कि भारत अपने प्रवासी समुदाय से धन प्रेषण (रेमिटेंस) प्राप्ति में विश्व स्तर पर अग्रणी बना हुआ है।
- उदारीकृत धन-प्रेषण योजना (LRS) के अंतर्गत , नाबालिगों सहित निवासी व्यक्तियों को किसी भी स्वीकार्य चालू या पूंजी खाता लेनदेन के लिए प्रतिवर्ष (अप्रैल-मार्च) 250,000 अमेरिकी डॉलर तक धन प्रेषण (रेमिटेंस) की स्वतंत्रता है।