संदर्भ:
हाल ही में, भारत ने डिजिटल तकनीक दिग्गजों को अपनी सेवाओं को स्वयं प्राथमिकता को प्रतिबंधित वाले एक नये कानून हेतु डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक, 2024 को प्रस्तावित किया है।
इस मसौदा विधेयक की मुख्य विशेषताएँ
- डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक, 2024 का उद्देश्य प्रतिस्पर्धा-विरोधी कार्यवाही को प्रतिबंधित करना, इससे संबंधित नियम को पहले से निर्धारित करना और किसी भी उल्लंघन के लिए भारी जुर्माना, जो संभवतः अरबों डॉलर का हो सकता है, लगाना है।
- यह मसौदा विधेयक प्रतिस्पर्धा विनियमन के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण का प्रस्ताव करता है, जो प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को घटित होने से पहले ही प्रतिबंधित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- यह भारत की मौजूदा प्रणाली प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 से भिन्न है, जो उल्लंघन होने के बाद उसकी जाँच करती है।
- इस विधेयक में “व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यमों (Systematically Significant Digital Enterprises-SSDEs)” की अवधारणा भी प्रस्तुत की गई है।
व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यम (SSDEs):
ये वैसे बड़े डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म या उद्यम हैं, जो अपने विस्तार, पहुँच और प्रभाव के कारण डिजिटल अर्थव्यवस्था और समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
- उदाहरण: प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियाँ जैसे कि गूगल (Google), एमाज़ॉन (Amazon), फेसबुक (Facebook), एप्पल (Apple) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) आदि।
एसोसिएट डिजिटल एंटरप्राइजेज (ADEs):
ये वैसे डिजिटल उद्यम हैं, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं परंतु व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यम जितने बड़े या प्रभावशाली नहीं हैं।
- उदाहरण: मध्यम आकार के ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म, विशिष्ट सोशल मीडिया नेटवर्क, आदि।
- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India-CCI) सर्च इंजन या सोशल मीडिया जैसी प्रमुख डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने वाली कंपनियों को उपयोगकर्ता आधार और बाजार प्रभाव जैसे कारकों के आधार पर व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यमों के रूप में नामित करेगा।
- व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यमों को कुछ प्रतिबंधों, जैसे कि प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अपनी सेवाओं को प्राथमिकता देने पर प्रतिबंध आदि, का सामना करना पड़ेगा।
- यह विधेयक में बड़े तकनीकी समूहों के बीच सूचना साझा करने से संबंधित चिंताओं को दूर करने हेतु “एसोसिएट डिजिटल एंटरप्राइजेज (Associate Digital Enterprises-ADEs)” को नामित करने का प्रस्ताव है।
- इस विधेयक के अनुसार व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यमों (SSDEs) और एसोसिएट डिजिटल एंटरप्राइजेज (ADEs) दोनों विनियमन के अधीन होंगे।
- यह विधेयक इस वर्ष के प्रारंभ में अधिनियमित यूरोपीय संघ के डिजिटल मार्केट एक्ट (Digital Market Act-DMA) से काफी हद तक प्रेरित है।
डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून का महत्व
- बड़ी टेक कंपनियों के प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार के प्रलेखित इतिहास को को देखते हुए एक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यक है।
- भारत में यह भी देखा गया है कि डिजिटल क्षेत्र में नवाचार मुख्यतः कुछ प्रमुख कंपनियों द्वारा किया जाता है।
- इस कानून द्वारा प्रायः छोटे कंपनियों के बीच नवाचार और विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए, सिग्नल (Signal) और डकडकगो (DuckDuckGo) जैसे छोटे ऑनलाइन उत्पाद विशिष्ट सुविधाएँ प्रदान करते हैं, जो गोपनीयता जैसी विशिष्ट कार्यात्मकता में रुचि रखने वाले उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करते हैं।
आलोचना और चिंताएँ:
- इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Internet and Mobile Association of India-IAMAI) ने व्यवसायों पर इस विधेयक के संभावित प्रभाव को लेकर चिंता जताई है।
- उनका तर्क है कि सक्रिय दृष्टिकोण से अनावश्यक अनुपालन बोझ बढ़ सकता है।
- इसके अतिरिक्त, व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण डिजिटल उद्यमों को नामित करने के लिए प्रयुक्त मानदंडों संबंधी चिंताएँ भी हैं। कुछ लोगों का दावा है कि यह विधेयक अत्यधिक व्यक्तिपरक हैं और स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने से हतोत्साहित कर सकते हैं।
- प्रौद्योगिकी थिंक टैंक एस्या सेंटर (Esya Centre) ने चिंता व्यक्त की है कि मसौदा विधेयक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs) पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि इसमें इन व्यवसायों और डिजिटल प्लेटफार्मों के बीच सहयोग के संभावित लाभों की अनदेखी की गई है।
- उनका तर्क है कि अत्यधिक कठोर नियमन दक्षता लाभ में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
- भारत सरकार फिलहाल मसौदा विधेयक पर प्रतिक्रिया माँग रही है।
- भारत के लिए इस जटिल डिजिटल परिदृश्य में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के बीच संतुलन स्थापित करना बेहद महत्वपूर्ण होगा।