संदर्भ:
हाल ही में, भारत ने वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण (20% इथेनॉल और 80% गैसोलीन) के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
इथेनॉल मिश्रित कार्यक्रम
- इसे वैकल्पिक और पर्यावरण अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने तथा ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भरता कम करने हेतु जनवरी 2003 में शुरू किया गया था।
- वर्ष 2006 में, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने तेल विपणन कंपनियों को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) विनिर्देशों के अनुसार वाणिज्यिक व्यवहार्यता के अन्तर्गत 5% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने का निर्देश दिया।
- सरकार ने वर्ष 2021-22 तक पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण हेतु 10% मिश्रण लक्ष्य (E10) और वर्ष 2025-26 तक 20% मिश्रण लक्ष्य (E20) और वर्ष 2029-30 तक 30% मिश्रण लक्ष्य रखा है।
- सरकार की नीति मक्का, अधिशेष चावल और क्षतिग्रस्त अनाज को इथेनॉल के लिए उपयोग करने का समर्थन करती है।
इथेनॉल उत्पादन क्षमता की स्थिति
- लक्ष्य: वर्ष 2025-26 तक 20% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करना, जिसके लिए प्रतिवर्ष 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
- वर्तमान सम्मिश्रण: वर्ष 2021 में लगभग 8% से बढ़कर वर्ष 2023 में 13%-15% हो गया।
- निवेश: चीनी उद्योग ने क्षमता विस्तार में 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिससे केवल दो वर्षों में 92 करोड़ लीटर उत्पादन बढ़ा।
सरकारी दिशानिर्देश: नीति आयोग ने इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित योजना बनाई है:
- गन्ना आधारित भट्टियों की क्षमता वर्ष 2021 में 426 करोड़ लीटर से बढ़कर वर्ष 2026 में 760 करोड़ लीटर हो जानी चाहिए।
- अनाज आधारित भट्टियों की संख्या वर्ष 2021 में 258 से बढ़कर वर्ष 2026 में 740 करोड़ लीटर हो जानी चाहिए।
- दिसंबर 2023 में कुल क्षमता: 1,380 करोड़ लीटर, गन्ने से लगभग 875 करोड़ लीटर और खाद्यान्न से 505 करोड़ लीटर क्षमता से वर्ष 2026 का लक्ष्य लगभग प्राप्त कर लिया जाएगा।
इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम का महत्व:
- ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना: इससे आयातित ईंधन पर भारत की निर्भरता कम होगी तथा रूस-यूक्रेन युद्ध या ओपेक तेल कटौती जैसी वैश्विक घटनाओं से होने वाले जोखिम में कमी आएगी।
- पर्यावरणीय लाभ: इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होगा और तेल आयात में कमी करके प्रतिवर्ष 4 बिलियन डॉलर तक की बचत हो सकती है।
- आर्थिक प्रभाव: यह सम्मिश्रण फसलों के लिए एक स्थिर बाजार उपलब्ध कराकर ग्रामीण विकास को बढ़ावा देता है। वाहन निर्माता वर्ष 2025 ई20 ईंधन की समयसीमा के लिए तैयारी कर रहे हैं, हालांकि इससे मौजूदा वाहनों में परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है।
मक्का उत्पादन:
- भारत मक्का का एक प्रमुख उत्पादक देश है, लेकिन इसका घरेलू खपत उत्पादन से अधिक है।
- वर्ष 2023-24 में मक्का का आयात 39 मिलियन डॉलर था, जो अप्रैल से जून 2024 तक बढ़कर 103 मिलियन डॉलर हो गया।
- नीति आयोग का अनुमान है कि 20% इथेनॉल लक्ष्य को पूरा करने के लिए 4.8 मिलियन हेक्टेयर अतिरिक्त मक्का की खेती की ज़रूरत है।
- मक्का के पथांतर का प्रभाव: मक्का की कीमतों में वृद्धि की संभावना है, जिससे पोल्ट्री क्षेत्र (47%), पशुधन चारा (13%) और स्टार्च (14%) प्रभावित होगा।
गन्ना और इथेनॉल उत्पादन:
- गन्ने से गन्ने का रस, बी-भारी शीरा और सी-भारी शीरा बनता है; बी-भारी और सी-भारी शीरा का उपयोग इथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाता है।
- इथेनॉल मूल्य निर्धारण: शीरे में शक्कर तत्व की मात्रा पर निर्भर करता है।
वर्ष 2022-23 ईंधन इथेनॉल स्रोत:
- 63% बी-भारी शीरा से।
- 33% शीरा से।
- सरकार के प्रतिबंध (दिसंबर 2023): शक्कर भंडार घटने की चिंताओं के कारण गन्ने के रस और बी-भारी शीरा को इथेनॉल में सीमित रूप से परिवर्तित किया जाएगा।
भारत में अधिक इथेनॉल मिश्रण से संबंधित चिंताएं
- खाद्य सुरक्षा: इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्के के बढ़ते उपयोग के कारण आयात और कीमतें बढ़ गई हैं, जिसका असर पोल्ट्री क्षेत्र (47%), स्टार्च (14%) और पशुधन चारा (13%) पर पड़ा है। भारत में मक्के की पैदावार 3-4 टन प्रति हेक्टेयर कम है।
- जल उपयोग: इथेनॉल के लिए गन्ने की खेती का विस्तार करने हेतु अतिरिक्त 400 बिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होगी, जिससे आवश्यक खाद्यान्न फसलों को खतरा हो सकता है और स्थिरता संबंधी चिंताएं बढ़ सकती हैं।
- गन्ना उत्पादन: शक्कर के भंडारण संबंधी चिंताओं के कारण इथेनॉल के लिए गन्ने के उपयोग पर सरकारी प्रतिबंध से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान शक्कर स्टॉक पर्याप्त है।
इथेनॉल सम्मिश्रण की दिशा में सरकार की पहल
- “भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के लिए दिशानिर्देश 2020-25” जारी किया गया, जिसमें 20% इथेनॉल सम्मिश्रण प्राप्त करने हेतु विस्तृत मार्ग बताया गया है।
- प्रधानमंत्री जी-वन (जैव इंधन-वातावरण अनुकूल फसल अवशेश निवारण) योजना का उद्देश्य लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास और अन्य नवीकरणीय फीडस्टॉक का उपयोग करके एकीकृत बायोएथेनॉल परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति” 2018: देश में जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए इसे वर्ष 2018 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया था।
- नीति में जैव ईंधनों को “मूल जैव ईंधन” अर्थात प्रथम पीढ़ी (1G) जैव इथेनॉल और जैव डीजल तथा “उन्नत जैव ईंधन”-द्वितीय पीढ़ी (2G) इथेनॉल, नगर निगम के ठोस अपशिष्ट (MSW) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन, तृतीय पीढ़ी (3G) जैव ईंधन, जैव-सीएनजी आदि के रूप में वर्गीकृत किया गया है, ताकि प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत उपयुक्त वित्तीय और राजकोषीय प्रोत्साहनों का विस्तार किया जा सके।