संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।
संदर्भ:
हाल ही में, भारत ने जिम्बाब्वे के विक्टोरिया फॉल्स में आयोजित रामसर कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (CoP) 15 में ‘आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए सतत जीवन शैली को बढ़ावा देने’ पर एक प्रस्ताव पेश किया।
अन्य संबंधित जानकारी

- इस प्रस्ताव को 172 अनुबंध पक्षों, छह अंतर्राष्ट्रीय संगठन भागीदारों और अन्य पर्यवेक्षकों का समर्थन प्राप्त था।
- इसे कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज के पूर्ण सत्र में अपनाया गया था।
प्रस्ताव के बारे में
- प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य आर्द्रभूमि संरक्षण में व्यक्तिगत और सामाजिक विकल्पों को बढ़ावा देना और अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों और संदर्भों के अनुसार, पृथ्वी-समर्थक जीवनशैली की दिशा में काम करना है।
- यह प्रस्ताव आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए ‘समग्र-समाज’ दृष्टिकोण का समर्थन करता है, जोकि एक ऐसे व्यापक दृष्टिकोण को संदर्भित करता है जिसमें समाज के सभी क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।
- यह प्रस्ताव मार्च 2024 में छठी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में अपनाए गए “सतत जीवनशैली को बढ़ावा देने” पर प्रस्ताव 6/8 पर आधारित है।
- यह प्रस्ताव XIV.8 – नया CEPA दृष्टिकोण (संचार, शिक्षा और जन जागरूकता) और ‘सतत उत्पादन और उपभोग’ पर रामसर कन्वेंशन के 10 वर्षीय कार्यक्रमों की रूपरेखा के अनुरूप भी है।
- यह सभी स्तरों पर आर्द्रभूमि प्रबंधन योजनाओं, कार्यक्रमों और निवेशों में सतत जीवनशैली-आधारित हस्तक्षेपों के एकीकरण पर विचार करने के लिए स्वैच्छिक कार्रवाई का आग्रह करता है।
- प्रस्ताव में आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ाने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाने, सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा देने और शैक्षिक एवं जागरूकता पहलों को आगे बढ़ाने का भी आह्वान किया गया है।
आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग की अवधारणा
- रामसर कन्वेंशन आर्द्रभूमियों के विवेकपूर्ण उपयोग को “सतत विकास के संदर्भ में, पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोणों के कार्यान्वयन के माध्यम से प्राप्त उनके पारिस्थितिक चरित्र के रखरखाव” के रूप में परिभाषित करता है।
- इस प्रकार, विवेकपूर्ण उपयोग को लोगों और प्रकृति के लाभ के लिए आर्द्रभूमियों और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सभी सेवाओं के संरक्षण और सतत उपयोग के रूप में देखा जा सकता है।
आर्द्रभूमियों पर रामसर कन्वेंशन
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो वैश्विक स्तर पर आर्द्रभूमियों और उनके संसाधनों के संरक्षण और विवेकपूर्ण उपयोग के लिए रूपरेखा प्रदान करती है।
- यह कन्वेंशन 1971 में ईरानी शहर रामसर में अपनाया गया था और 1975 से प्रभावी हुआ।
- भारत 1982 में रामसर कन्वेंशन में शामिल हुआ और उसने अपने राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत 91 आर्द्रभूमियों को नामित किया है।
- हर तीन साल में अनुबंधकारी पक्ष अगले तीन वर्षों के लिए कार्य का कार्यक्रम तैयार करने और बजट निर्धारित करने तथा मौजूदा एवं उभरते पर्यावरणीय मुद्दों पर विचार करने के लिए कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (CoP) में मिलते हैं।
- विश्व आर्द्रभूमि दिवस प्रतिवर्ष 2 फरवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों, प्रकृति और संस्कृति के लिए आर्द्रभूमियों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है।
- इस वर्ष का विषय है, ‘हमारे साझा भविष्य के लिए आर्द्रभूमियों का संरक्षण’।
भारत में रामसर स्थल
- भारत 1 फरवरी, 1982 को आर्द्रभूमियों पर रामसर कन्वेंशन में शामिल हुआ।
- वर्तमान में भारत में 91 आर्द्रभूमियाँ हैं, जोकि एशिया में रामसर स्थलों की सबसे अधिक संख्या है। इस मामले में भारत यूनाइटेड किंगडम (176) तथा मैक्सिको (144) के बाद विश्व में तीसरे स्थान पर है।
- भारत में सबसे अधिक रामसर स्थल तमिलनाडु में हैं, जहाँ 20 नामित आर्द्रभूमियाँ हैं, इसके बाद उत्तर प्रदेश (जहाँ 10 आर्द्रभूमियाँ हैं) का स्थान है।
- ये आर्द्रभूमियाँ विभिन्न राष्ट्रीय कानूनों जिनमें भारतीय वन अधिनियम (1927), वन (संरक्षण) अधिनियम (1980), पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 और भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम (1972) शामिल हैं; के तहत संरक्षित हैं।
स्रोत:

