सम्बन्धित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन-2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
संदर्भ:
हाल ही में, भारत और मोरक्को ने न्यायिक और विधिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) और एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
अन्य सम्बन्धित जानकारी
- इन समझौतों का उद्देश्य दोनों देशों के मध्य संस्थागत सहयोग को सुदृढ़ करना, विधिक आधुनिकीकरण को प्रोत्साहित करना तथा परस्पर समझ को गहरा करना है।
- यह समझौता भारत के क़ानून और न्याय मंत्रालय तथा मोरक्को के न्याय मंत्रालय के बीच संपन्न हुआ।
- प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, वित्तीय व्यवहार्यता को ध्यान में रखते हुए वार्षिक सहयोग कार्यक्रमों की योजना बनाने के लिए एक संयुक्त समन्वय समिति की स्थापना की जाएगी।
- इस समझौते को भारत-मोरक्को राजनयिक संबंधों को गहरा करने में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) के बारे में
MLAT का उद्देश्य राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप नागरिक और वाणिज्यिक मामलों में अधिकतम विधिक सहयोग प्रदान करना है।
इस संधि के अंतर्गत सहयोग विशेष रूप से निम्नलिखित मामलों में लागू होता है:
- सम्मन और अन्य न्यायिक दस्तावेजों या प्रक्रियाओं की तामील
- अनुरोध पत्रों के माध्यम से साक्ष्य प्राप्त करना।
- न्यायिक निर्णयों (मोरक्को राज्य के मामले में), आदेशों (भारत गणराज्य के मामले में), समझौतों और मध्यस्थता पुरस्कारों का निष्पादन।
भारत में गृह मंत्रालय, आपराधिक मामलों में विधिक सहायता अनुरोधों के लिए केन्द्रीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
भारत ने अनेक देशों के साथ MLAT पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें तुर्की (2002), चीन (2003), रूस (2000), कतर (2012), संयुक्त राज्य अमेरिका (2005) और यूनाइटेड किंगडम (1995) शामिल हैं।
समझौता ज्ञापन (MoU):
- विशेषज्ञता का आदान-प्रदान: दोनों देशों के न्याय मंत्रालयों तथा न्यायिक प्रणाली के संचालन से संबंधित अनुभवों और विशेषज्ञता का परस्पर साझा करना।
- विधायी आदान-प्रदान: कानूनी समझ और सहयोग बढ़ाने के लिए कानूनी प्रकाशनों, बुलेटिनों और विधायी सामग्रियों का पारस्परिक आदान-प्रदान।
- क्षमता निर्माण: विभिन्न कानूनी मुद्दों और अनुप्रयोगों पर संगोष्ठियों, सम्मेलनों और संयुक्त पाठ्यक्रमों का आयोजन करना ।
- विधिक प्रशिक्षण एवं प्रतिनिधिमंडल आदान-प्रदान: वकीलों एवं विधिक विशेषज्ञों के लिए एक-दूसरे के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भागीदारी सहित अध्ययन यात्राओं और प्रशिक्षण अवसरों की सुविधा उपलब्ध कराना।
- न्यायिक सूचना प्रणाली: राष्ट्रीय विधिक सूचना प्रणालियों के विकास एवं उनसे संबंधित तकनीकी नवाचारों में सहयोग।
- कार्यान्वयन तंत्र: दोनों देशों की वित्तीय क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए व्यावहारिक और प्रभावी वार्षिक सहयोग कार्यक्रमों की योजना बनाने हेतु एक संयुक्त समन्वय समिति का गठन।