संदर्भ:

हाल ही में, भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध के समाधान हेतु गश्त व्यवस्था (Patrolling Arrangements) संबंधी एक समझौता हुआ हैं।

अन्य संबंधित जानकारी   

  • यह एक महत्वपूर्ण समझौता है, जो विशेषकर वर्ष 2020 में उत्पन्न गतिरोध के बाद डेमचोक और देपसांग जैसे प्रमुख विवादास्पद  क्षेत्रों को लेकर  हुआ है।
  • यह  घोषणा हाल कूटनीतिक प्रयासों के परिणामस्वरूप गश्त व्यवस्था के साथ-साथ विभिन्न विवादास्पद क्षेत्रों के समाधान के संबंध में  हुआ है। 
  • अन्य विवादास्पद क्षेत्रों – गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो झील– पर स्थिति वैसी ही रहेगी,  जहां दो वर्ष पूर्व बफर ज़ोन बनाने के लिए सैनिकों को वापस बुला लिया गया था।
  • समझौते का विवरण पुनः गश्ती की शुरुआत: भारत के विदेश मंत्री ने इस बात पर बल दिया है कि एलएसी पर पुनः वैसी ही सामान्य गश्त शुरू होगी, जैसा कि वर्ष 2020 में गतिरोध से पहले था। इस समझौते का उद्देश्य सामान्य सैन्य स्थिति की पुनर्बहाली  है।

बफर जोन की स्थिति:  बफर जोन(गतिरोध के दौरान बनाए गए) को लेकर अभी भी कोई स्पष्ट जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। अधिकारियों के अनुसार  वार्ता से आम सहमति बनी  है, जिससे इन विवादास्पद क्षेत्रों का समाधान निकलेगा।

  • यह घटनाक्रम  स्थिर संबंधों की  का संकेत देती है।

गलवान झड़प की पृष्ठभूमि

  • 15 जून, 2020 को भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई, जिसके बाद नियंत्रण रेखा पर तनाव बहुत बढ़ गया।
  • यह वर्ष 1975 के बाद यह  पहला हिंसक टकराव था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए तथा चीन के  सैनिकों  के हताहत होने की संख्या की जानकारी उपलब्ध नहीं है।
  • यह झड़प सीमा पर अवसंरचना  निर्माण और एलएसी की अलग-अलग धारणाओं के कारण उत्पन्न हुई थी। इस घटना के बाद, बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों ने तनाव को कम करने के लिए वार्त्ता (De-Escalation Talks) की।   

टकराव वाले अन्य स्थान

  • गलवान के अतिरिक्त वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर टकराव वाले कई अन्य क्षेत्र हैं। ये क्षेत्र वर्ष 1962  युद्ध के ऐतिहासिक विवादों से जुड़े हैं ।
  • डेमचोक: डेमचोक एलएसी द्वारा विभाजित है, जिसका पश्चिमी भाग भारत के और पूर्वी भाग चीन नियंत्रण  में है। दोनों देश पश्चिमी भाग पर अपना दावा करते हैं, जो ऐतिहासिक संधियों और एलएसी संरेखण के मुद्दों  को जटिल बनाता है। जिसको लेकर हाल ही में सैनिकों की वापसी पर चर्चा हुईं है। 
  • पैंगोंग: पैंगोंग झील का क्षेत्र भी LAC द्वारा विभाजित है, जिसका 50 प्रतिशत हिस्सा चीन के  नियंत्रण में है, 40 प्रतिशत हिस्सा भारत के नियंत्रण में है और 10 प्रतिशत हिस्सा विवादित है। LAC की परस्पर विरोधी धारणाओं के परिणामस्वरूप सैन्य गतिरोध और बफर जोन बन गए हैं, जो दोनों देशों के बीच के तनाव और रणनीतिक स्थिति को दर्शाता  है।
  • हॉट स्प्रिंग्स (गोगरा पोस्ट के पास) गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र एलएसी पर भारत की निगरानी का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इस क्षेत्र पर नियंत्रण भारत की रक्षा स्थिति को मजबूत करता है। यह अक्साई चिन में होने वाली गतिविधियों की निगरानी हेतु महत्वपूर्ण   स्थान है।

देपसांग: यह क्षेत्र दौलत बेग ओल्डी (DBO) हवाई पट्टी और अत्यंत रणनीतिक  दारबुक-श्योक-डीबीओ मार्ग तक पहुँच के कारण भारत के लिए महत्वपूर्ण है। भारत की उत्तरी सीमा सुरक्षा को मजबूत करने वाले महत्वपूर्ण रसद  को चीन के  खतरों से बचाने के लिए इस स्थान पर नियंत्रण आवश्यक है। 

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