संदर्भ:
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (Ind-Aus ECTA) ने अपनी दूसरी वर्षगांठ मनाई।
अन्य संबंधित जानकारी
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता के तहत निर्यात उपयोगिता कार्यान्वयन के दो वर्षों के बाद प्रभावशाली रूप से 79% तक पहुंच गई है, जबकि आयात उपयोगिता 84% है।
- यह समझौता वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते के बारें में
इस समझौते पर 2 अप्रैल, 2022 को हस्ताक्षर किए गए थे और यह 29 दिसंबर, 2022 को लागू हुआ था।
यह दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने और सुधारने के लिए एक संस्थागत तंत्र प्रदान करता है। इसमें भारत और ऑस्ट्रेलिया द्वारा निपटाए जाने वाले लगभग सभी टैरिफ लाइनें शामिल हैं।
भारत के लाभ: टैरिफ लाइनों पर ऑस्ट्रेलिया के लिए 100% अधिमान्य पहुंच।
- प्रमुख क्षेत्रों में रत्न, वस्त्र, खाद्य, कृषि, इंजीनियरिंग उत्पाद और ऑटोमोबाइल शामिल हैं।
ऑस्ट्रेलिया के लाभ: भारत को उसकी टैरिफ लाइनों के 70% से अधिक पर तरजीही पहुंच।
- कच्चे माल और बिचौलियों जैसे कोयला और खनिज अयस्कों पर ध्यान।
सेवाओं में व्यापार:
- ऑस्ट्रेलिया की प्रतिबद्धताएं: यह भारत के सेवा निर्यात के लिये 135 उप-क्षेत्रों की पेशकश करता है। 120 उप-क्षेत्रों में सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) का दर्जा।
- भारत की प्रतिबद्धताएँ: ऑस्ट्रेलियाई सेवाओं के लिये 103 उप-क्षेत्रों तक पहुँच प्रदान करता है।
ऑस्ट्रेलिया क्वाड, त्रिपक्षीय आपूर्ति शृंखला पहल और हिंद-प्रशांत आर्थिक मंच (Indo-Pacific Economic Forum- IPEF) का हिस्सा होने के नाते भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTAका प्रभाव
द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि
- भारत-ऑस्ट्रेलिया ECTA पर हस्ताक्षर करने के बाद से, द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- व्यापार की मात्रा में दोगुनी वृद्धि, जो वर्ष 2020-21 में 12.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। वर्ष 2023-24 में कुल व्यापार घटकर 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। ऑस्ट्रेलिया में भारत के निर्यात में 14% की महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई।
- चालू वित्त वर्ष में यह गति जारी रही। अप्रैल से नवंबर 2024 तक द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार 16.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
- वर्ष 2023 में आयात डेटा के आदान-प्रदान ने प्रभावी कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला, जिसमें निर्यात उपयोग 79% और आयात उपयोग 84% था, जो समझौते की सफलता को रेखांकित करता है।
क्षेत्रीय मुख्य अंश: भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते ने कई प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि को बढ़ावा दिया है:
- कपड़ा, रसायन और कृषि: इन क्षेत्रों ने समझौते के तहत पर्याप्त वृद्धि का प्रदर्शन किया है, जो कम शुल्क और बढ़ी हुई बाजार पहुंच से लाभान्वित हुए हैं।
- विविध निर्यात: हीरे जड़े सोने और टर्बोजेट सहित नई लाइनों पर निर्यात समझौते द्वारा विविधता को दर्शाता है।
- कच्चे माल का आयात: धातु अयस्कों, कपास, लकड़ी और लकड़ी के उत्पादों जैसे आवश्यक कच्चे माल के आयात ने भारत के उद्योगों को बढ़ावा दिया है। यह साझेदारी में बराबरी को दर्शाता है।
भविष्य के विकास क्षेत्र: इलेक्ट्रॉनिक्स और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में वृद्धि की संभावना है।
द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट
- उच्च उपयोग दर के बावजूद, चालू वित्त वर्ष में दोनों देशों के बीच व्यापार में कमी आई है।
- आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया को भारत का माल निर्यात अप्रैल से सितंबर 2024 तक 3.99 बिलियन डॉलर रहा जो वर्ष 2023 में इसी अवधि के दौरान 4.89 बिलियन डॉलर से कम—18% की गिरावट था।
- इसी तरह, आयात में 18% गिरावट आई, जो पिछले साल 8.3 बिलियन डॉलर से घटकर 6.7 बिलियन डॉलर हो गया। निर्यात और आयात में एक साथ गिरावट के परिणामस्वरूप व्यापार घाटा कम हुआ है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA)
- CECA का उद्देश्य आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते द्वारा रखी गई नींव को और भी अधिक मजबूत बनाना है।
- CECA को आगे बढ़ाने के लिए अब तक 10 औपचारिक दौरा और अंतर-सत्रीय चर्चाएं हो चुकी हैं।
- CECA दो देशों के बीच एक प्रकार का व्यापार समझौता है जिसका उद्देश्य आर्थिक सहयोग और व्यापार संबंधों को बढ़ाना है।
- ये समझौते आम तौर पर माल और सेवाओं में व्यापार, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार और आर्थिक सहयोग सहित क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करते हैं।
भविष्य की संभावनाएं
- भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ECTAद्वारा बनाई गई गति को आगे बढ़ाने और ECTA के माध्यम से द्विपक्षीय व्यापार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार में 100 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।