संदर्भ:

हाल ही में, बेंगलुरु स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के शोधकर्ताओं और उनके सहयोगी वैज्ञानिकों ने आगामी थर्टी मीटर टेलीस्कोप (TMT) की अनुकूली प्रकाशिकी (AO) प्रणाली के लिए एक व्यापक अवरक्त तारा सूची तैयार करने हेतु एक अभिनव ओपन-सोर्स उपकरण विकसित किया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह उपकरण निकट अवरक्त (Near Infrared-NIR) तारों की सम्पूर्ण आकाश सूची तैयार करता है, जो थर्टी मीटर टेलीस्कोप के अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली (Adaptive Optics System-AOS) के लिए वायुमंडलीय विकृतियों का प्रतिकार करके उच्च गुणवत्ता वाली छवियां तैयार करने हेतु आवश्यक है।
    थर्टी मीटर टेलीस्कोप जैसी भूमि-आधारित दूरबीनें ऊपरी वायुमंडलीय गड़बड़ी के प्रति संवेदनशील होती हैं, जो संग्रहित की गई छवियों की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं।
  • थर्टी मीटर टेलीस्कोप पर अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली तंत्र [जिसे नैरो फील्ड इन्फ्रारेड एडेप्टिव ऑप्टिक्स सिस्टम (NFIRAOS) के रूप में जाना जाता है] को लेजर गाइड स्टार सुविधा द्वारा बढ़ाया जाएगा, जो कृत्रिम गाइड स्टार बनाने के लिए आकाश में नौ लेजर तक प्रक्षेपित करेगा।  
  • हालांकि, ये लेजर किरणें वायुमंडलीय अशांति से प्रभावित होती हैं। इन प्रभावों को ठीक करने के लिए, नैरो फील्ड इन्फ्रारेड एडेप्टिव ऑप्टिक्स सिस्टम को तीन वास्तविक तारों से फीडबैक की आवश्यकता होती है, जिन्हें प्राकृतिक मार्गदर्शक तारे के रूप में जाना जाता है।
  • नैरो फील्ड इन्फ्रारेड एडेप्टिव ऑप्टिक्स सिस्टम के इष्टतम प्रदर्शन के लिए, निकट अवरक्त सितारों की एक व्यापक सूची आवश्यक है। हालाँकि, ऐसी कोई सूची मौजूद नहीं है जो सभी आकाश क्षेत्रों के लिए विश्वसनीय रूप से प्राकृतिक मार्गदर्शक तारे प्रदान कर सके, इस प्रकार यह भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा विकसित नए उपकरण की महत्वपूर्ण आवश्यकता को उजागर करता है ताकि एक संपूर्ण आकाश निकट अवरक्त स्टार्ट कैटलॉग बनाया जा सके।  

थर्टी मीटर टेलीस्कोप  

  • स्थान: मौना केआ, हवाई द्वीप, संयुक्त राज्य अमेरिका
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय परियोजना है जिसके अंतर्गत 30 मीटर व्यास वाले प्राथमिक दर्पण से युक्त दूरबीन का निर्माण किया जाएगा, जो 492 सटीक रूप से संरेखित ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड दर्पण खंडों से बना होगा, जिससे गहरे अंतरिक्ष में अवलोकन करना संभव होगा।
  • इसमें अमेरिका, जापान, चीन, कनाडा और भारत के संस्थानों का सहयोग है।
  • यह विश्व की सबसे उन्नत और सक्षम भू-आधारित ऑप्टिकल, निकट-अवरक्त और मध्य-अवरक्त वेधशाला होगी।

भारत की भागीदारी:

  • इसमें तीन प्रमुख भारतीय संस्थान शामिल हैं: बेंगलुरु स्थित भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), पुणे स्थित अंतर-विश्वविद्यालय केंद्रः खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी (IUCAA) तथा नैनीताल स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ARIES)।
  • यह अनुसंधान भारत-टीएमटी समन्वय केंद्र (ITCC) में किया गया, जो बेंगलुरु में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान में स्थित है। 
  • भारत-टीएमटी समन्वय केंद्र थर्टी मीटर टेलीस्कोप परियोजना में भारत की भागीदारी की भी देखरेख करता है। 

दूरबीन में AO प्रणाली की कार्यप्रणाली को दर्शाने वाला एक योजनाबद्ध आरेख। (चित्र सौजन्य: टीएमटी अंतर्राष्ट्रीय वेधशाला) 

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