संदर्भ:

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी वित्तीय समावेशन सूचकांक मार्च 2024 में बढ़कर 64.2 हो गया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में वित्तीय समावेशन के स्तर को मापने वाला वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) मार्च 2023 में 60.1 से बढ़कर मार्च 2024 में 64.2 हो गया।
  • वित्तीय समावेशन सूचकांक में सुधार मुख्य रूप से उपयोग आयाम के कारण हुआ है, जो वित्तीय समावेशन की गहनता को दर्शाता है।

वित्तीय समावेशन

  • वित्तीय समावेशन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि औपचारिक बैंकिंग सेवाएँ सभी परिवारों और नागरिकों को उपलब्ध हों, जिनमें बैंकिंग सेवाओं से वंचित या कम बैंकिंग सेवाओं वाले क्षेत्र भी शामिल हैं।
  • समावेशी विकास को प्राप्त करने में यह एक महत्वपूर्ण कारक है।

वित्तीय समावेशन सूचकांक का विवरण

  • वित्तीय समावेशन सूचकांक का निर्माण वर्ष 2021 में बिना किसी ‘आधार वर्ष’ के किया गया था और इस प्रकार यह वित्तीय समावेशन की दिशा में वर्षों से सभी हितधारकों के संचयी प्रयासों को दर्शाता है।
  • वित्तीय समावेशन सूचकांक प्रतिवर्ष जुलाई में प्रकाशित किया जाता है।
  • यह सूचकांक वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर सूचना को 0 से 100 के बीच एकल मान में प्रस्तुत करता है, जहां 0 पूर्ण वित्तीय बहिष्करण को दर्शाता है तथा 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।

संरचना एवं मापदंड:

  • वित्तीय समावेशन सूचकांक में तीन मुख्य पैरामीटर शामिल हैं: पहुंच (35% भार), उपयोग (45% भार) और गुणवत्ता (20% भार)।
  • इनमें से प्रत्येक पैरामीटर में 97 संकेतकों के माध्यम से मूल्यांकन किए गए विभिन्न आयाम शामिल हैं, जिनमें पहुंच में आसानी, उपलब्धता, सेवाओं का उपयोग और सेवा की गुणवत्ता जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।
  • इस सूचकांक की एक अनूठी विशेषता गुणवत्ता पैरामीटर है जो वित्तीय समावेशन के गुणवत्ता पहलू को दर्शाता है, जैसा कि वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण और सेवाओं में असमानताओं और कमियों द्वारा परिलक्षित होता है।

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