संदर्भ:
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) मियावाकी वृक्षारोपण का उपयोग करके राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे हरित आवरण को बढ़ाएगा।
मुख्य अंश
एनएचएआई का हरित राजमार्गों हेतु दृष्टिकोण
- राष्ट्रीय राजमार्गों को हरी वनस्पतियों से आच्छादित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण विभिन्न राजमार्गों के समीपवर्ती भूखंडों पर मियावाकी वृक्षारोपण करके एक अनूठी पहल शुरू करने जा रहा है।
- इस उद्देश्य के लिए दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में और इसके आसपास 53 एकड़ से अधिक भूमि निर्धारित की गई है।
परियोजना का महत्व
- मियावाकी वनों का विकास एक लचीले पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में योगदान देगा, जिससे पर्यावरण और स्थानीय समुदाय को अनेक लाभ प्राप्त होंगे।मियावाकी पद्धति का उपयोग करके, हरित आवरण को बढ़ाने से राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे रहने वाले नागरिकों के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में वृद्धि होगी तथा आवागमन के सौंदर्य और आनंद में सुधार होगा।
- मियावाकी पद्धति का उपयोग करके, हरित आवरण को बढ़ाने से राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे रहने वाले नागरिकों के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में वृद्धि होगी तथा आवागमन के सौंदर्य और आनंद में सुधार होगा।
- दिल्ली-एनसीआर में मियावाकी बागानों की सफलता के आधार पर, इस पद्धति को पूरे देश में दोहराया जाएगा।
मियावाकी विधि
- मियावाकी विधि में विभिन्न देशी प्रजातियों को एक साथ लगाकर घने, देशी जंगल तैयार करना शामिल है। जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी के नाम पर बनी यह तकनीक प्राकृतिक जंगलों की नकल करती है और तेजी से विकास और जैव विविधता को बढ़ावा देती है।
प्रमुख विशेषताऐं
- देशी प्रजातियाँ: स्थानीय जलवायु और मिट्टी की स्थिति के अनुकूल देशी पेड़ों और झाड़ियों को लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- उच्च घनत्व: पेड़ एक दूसरे के बहुत पास-पास लगाए जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप घना जंगल बनता है।
- बहुस्तरीय वनस्पति: इसमें विभिन्न प्रकार की वनस्पति प्रजातियां शामिल होती हैं जो झाड़ियों से लेकर छत्र वृक्षों तक विभिन्न परतों में विकसित होती हैं।
मियावाकी वृक्षारोपण के लाभ
- तीव्र वृद्धि: पेड़ पारंपरिक वृक्षारोपण की तुलना में 10 गुना अधिक तेजी से बढ़ते हैं।
- उच्च जैव विविधता: यह वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की एक विस्तृत श्रृंखला को समर्थन प्रदान करती है तथा स्थानीय जैव विविधता को बढ़ाती है।
- कार्बन पृथक्करण: पारंपरिक पुनर्वनीकरण विधियों की तुलना में अधिक कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करता है।
- मृदा सुधार: मृदा (मिट्टी) को कार्बनिक पदार्थों से समृद्ध करता है, जिससे इसकी उर्वरता और जल धारण क्षमता में सुधार होता है।
- शहरी शीतलन: यह शहरी ताप द्वीप प्रभाव को कम करने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है।