संदर्भ:
हाल ही में,भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) 15 जनवरी 2025 को अपनी स्थापना की 150 वीं वर्षगांठ मनाई।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने उन्नत मौसम निगरानी प्रौद्योगिकियों, उच्च-रिज़ॉल्यूशन वायुमंडलीय अवलोकन, अगली पीढ़ी के रडार, उपग्रहों और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग प्रणालियों के माध्यम से भारत को ‘मौसम-तैयार और जलवायु-स्मार्ट’ राष्ट्र में बदलने के लिए ‘ मिशन मौसम’ का शुभारंभ किया।
- प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट और सिक्के का भी अनावरण किया , साथ ही IMD विजन-2047 दस्तावेज भी जारी किया, जिसमें मौसम संबंधी लचीलेपन और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए रोडमैप की रूपरेखा दी गई है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के बारे में
- भारत सरकार ने 1875 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना कई आपदाओं जैसे 1864 में कलकत्ता में आया उष्णकटिबंधीय चक्रवात तथा 1866 और 1871 में मानसून की विफलता, के बाद की थी।
- वेधशालाओं के प्रथम महानिदेशक सर जॉन इलियट थे , जिन्हें 1889 में नियुक्त किया गया था।
- मूल रूप से कलकत्ता में मुख्यालय होने के बाद, IMD का मुख्यालय शिमला, फिर पूना (अब पुणे) और अंततः नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया।
- IMD 1949 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य बना था।
- वर्तमान में, IMD पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के अधीन कार्य करता है।
IMD अधिदेश
- मौसम संबंधी अवलोकन करना तथा कृषि, सिंचाई, नौवहन, विमानन, अपतटीय तेल अन्वेषण आदि जैसी मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के सुचारु संचालन के लिए वर्तमान और पूर्वानुमानित मौसम संबंधी सूचना प्रदान करना।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवात, नॉरवेस्टर, धूल के तूफान, भारी बारिश और बर्फबारी, ठंड और गर्मी की लहरों आदि जैसी गंभीर मौसम संबंधी घटनाओं के प्रति चेतावनी देना।
- कृषि, जल संसाधन प्रबंधन, उद्योग, तेल अन्वेषण और अन्य राष्ट्र निर्माण गतिविधियों के लिए आवश्यक मौसम संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराना।
IMD- उपलब्धियां और प्रगति
अग्रणी मौसम अवलोकन
- 2023 तक, IMD ने UNEP मिनामाता कन्वेंशन द्वारा सभी पारा बैरोमीटर को डिजिटल बैरोमीटर से बदल दिया है (क्योंकि पारा मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है)।
- 200 AGRO AWS स्टेशनों की तैनाती के साथ कृषि-मौसम संबंधी सेवाओं में वृद्धि की है।
संचार और पहुंच
- IMD ने 2022 में मोबाइल एप्लिकेशन “पब्लिक ऑब्जर्वेशन” जारी किया जिससे उपयोगकर्ता कहीं से भी किसी भी समय अपना मौसम संबंधी प्रतिउत्तर दे सकें।
संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान में प्रगति
- 2014 की तुलना में 2023 में समग्र पूर्वानुमान सटीकता में 40% सुधार देखा गया है।
- उदाहरण: फेलिन (2013), हुदहुद (2014), फानी (2019), अम्फान (2020), तौकते (2021), बिपरजॉय (2023), और दाना (2024) जैसे चक्रवातों की सफल भविष्यवाणी ।
- डॉप्लर मौसम रडार (DWR) नेटवर्क का विस्तार 2014 में 15 से बढ़कर 2023 में 39 तक कर दिया गया तथा कवरेज का भूमि क्षेत्र 2014 से लगभग 35% बढ़ गया।
- IMD द्वारा सटीक चक्रवात चेतावनी के साथ, आपदाओं के दौरान होने वाली मौतों की संख्या 1999 में 10,000 से घटकर 2020-2024 में शून्य हो गई है।
प्रौद्योगिकी प्रगति
- मौसमग्राम, एक इंटरैक्टिव और गतिशील मेटियोग्राम है जो स्थान-विशिष्ट मौसम पूर्वानुमान की सूचना प्रदान करता है। यह 2024 में आईएमडी के 150वें स्थापना दिवस के दौरान जारी किया गया था।
- स्वचालित वर्षामापी (ARG) की संख्या 2014 में 1350 से बढ़कर 2023 में 1382 हो गई ।
IMD के तहत मेक इन इंडिया पहल
- IMD स्वदेशी प्रौद्योगिकी के विकास में अग्रणी रहा है, जिसकी शुरुआत 1958 में स्वदेशी रडार से हुई और 1983 से इसरो के सहयोग से भारतीय उपग्रह उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।
- यह 2010 से डॉपलर मौसम रडार, 2019 से प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान और 2022 से गतिशील समग्र जोखिम एटलस विकसित कर रहा है।