संदर्भ: हाल ही में, भारत के उपराष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (GSI) भूविज्ञान संग्रहालय का उद्घाटन किया।

  • यह भारत का पहला राष्ट्रीय भूगर्भ संग्रहालय है, जिसमें देशभर के खनिज संसाधनों, चट्टानों, जीवाश्मों और उल्कापिंडों का संग्रह एक ही स्थान पर प्रदर्शित किया गया है।
  • GSI के पास उल्कापिंडों और उन उपकरणों का संग्रह है, जो 8 लाख से 10 हजार साल पहले प्राचीन मानवों द्वारा इस्तेमाल किए गए थे।

संग्रहालय में दो मुख्य दीर्घाएँ हैं:

  • दीर्घा I: प्लैनेट अर्थ – इसकी विविधता में विशिष्टता”: “इसमें पृथ्वी के अद्वितीय चमत्कारों जैसे ज्वालामुखी, उल्कापिंड और दुर्लभ भूवैज्ञानिक नमूने, जैसे अंटार्कटिक चट्टानें, रत्न और डायनासोर के अंडे प्रदर्शित किए गए हैं। दीर्घा में इंटरएक्टिव मॉडल और मल्टीमीडिया प्रदर्शनियाँ भी उपलब्ध हैं।”
  • दीर्घा II: पृथ्वी पर जीवन का विकास”: “इसमें जीवन के इतिहास का वर्णन किया गया है, जिसमें प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र से लेकर होमो सैपियन्स तक के जीवाश्म और प्रदर्शनी शामिल हैं, जो विकास और बड़े विलुप्त होने (mass extinction) की घटनाओं का अन्वेषण करती हैं।”

भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (GSI) के बारे में

  • जॉन मैकक्लेलेन ने 1848 में पहली बार “भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण” शब्द का उपयोग किया।
  • GSI की स्थापना 1851 में रेलवे के लिए कोयला खनिजों की खोज करने के उद्देश्य से की गई थी।
  • GSI एक प्रमुख संस्था बन गई है, जो भूवैज्ञानिक अनुसंधान, संसाधन मूल्यांकन और आपदा जोखिम के अध्ययन में संलग्न है।
  • यह संगठन भूगर्भीय, भूभौतिकीय और भू रासायनिक सर्वेक्षणों के माध्यम से अपने कार्य करता है, जिसमें नवीनतम और सबसे लागत-कुशल तकनीकों और कार्यप्रणालियों का उपयोग किया जाता है।
  • GSI का मुख्यालय कोलकाता में है, और इसके क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलांग और कोलकाता में स्थित हैं।
  • GSI खनिज मंत्रालय के तहत एक संलग्न कार्यालय के रूप में कार्य करता है।
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