संदर्भ:
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने बताया है कि बेड एंड ब्रेकफास्ट और होमस्टे नीति 2025 के लागू होने के बाद, होमस्टे शुरू करने के लिए लोगों में रूचि में भारी वृद्धि देखी गई है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:
- इस महीने की शुरुआत में नीति के लागू होने के बाद से राज्यभर में 743 से अधिक होमस्टे और 30 एग्रो-फार्म स्टे पंजीकृत किए गए हैं।
- सबसे ज़्यादा वृद्धि आगरा, मथुरा, वृंदावन और प्रयागराज जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों पर देखी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह नीति पर्यटन क्षेत्र में आवास विकल्पों को विविधता देने के साथ-साथ सेवा गुणवत्ता में सुधार लाएगी।
- नीति के दिशानिर्देशों के अनुसार केवल गृहस्वामी (Homeowners) ही आवेदन करने के पात्र होंगे, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये व्यावसायिक प्रतिष्ठान न बनें।
- होटल और गेस्ट हाउस इस योजना के अंतर्गत नहीं आते।
- गृहस्वामी अधिकतम छह कमरे या अपने आवासीय परिसर का दो-तिहाई हिस्सा पर्यटकों को किराए पर देने की अनुमति रखते हैं।
- नीति के क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी (District Magistrate) की अध्यक्षता में पांच-सदस्यीय समिति गठित की गई है।
- यह समिति पंजीकरण प्रक्रिया की निगरानी, निरीक्षण करना और सब्सिडी के लिए अनुशंसा करने की जिम्मेदारी निभाएगी।
- होमस्टे मालिकों को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार ने वित्तीय सहायता की घोषणा की है—
- घरेलू पर्यटन कार्यक्रमों में भाग लेने पर ₹1 लाख तक,
- अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल फेयर व रोडशो में भाग लेने पर ₹3 लाख तक की प्रतिपूर्ति दी जाएगी।
- इन प्रोत्साहनों का उद्देश्य छोटे स्थानीय ऑपरेटरों को बड़े बाज़ारों तक पहुँच दिलाना और टिकाऊ पर्यटन व्यवसाय विकसित करने में सहायता करना है।
नीति के बारे में:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने “बेड एंड ब्रेकफास्ट (B&B) और होमस्टे नीति – 2025” को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए सुलभ और किफायती आवास सुनिश्चित करना है।
- यह नीति होटल की कमी और पर्यटन स्थलों पर बढ़ती भीड़ की समस्या को हल करने का प्रयास है, जिसके तहत स्थानीय निवासी अपने घरों में होमस्टे सुविधा प्रदान कर सकते हैं।
- यह पहल न केवल आवास की सुविधा उपलब्ध कराएगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए आय के नए अवसर भी उत्पन्न करेगी।
- यह नीति पर्यटन, आवासीय ढाँचे, ग्रामीण आय और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह नीति समुदाय-आधारित पर्यटन (Community-Based Tourism) और विकेंद्रीकृत रोजगार सृजन को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।
- नीति की प्रमुख विशेषताएँ:
- होमस्टे के लिए आवेदन शुल्क:
- ग्रामीण क्षेत्रों में: ₹500 से ₹750
- शहरी क्षेत्रों और सिल्वर श्रेणी में: ₹2,000 से ₹3,500
- धार्मिक या पर्यटक स्थलों के पास रहने वाला कोई भी स्थानीय निवासी 1 से 6 कमरों (अधिकतम 12 बिस्तरों) तक के होमस्टे यूनिट का पंजीकरण कर सकता है।
- पर्यटक अधिकतम 7 लगातार दिनों तक इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं, और आवश्यक होने पर इसकी नवीनीकरण (renewal) भी संभव है।
- पंजीकरण और स्वीकृति की प्रक्रिया जिला स्तर की समिति द्वारा देखी जाएगी, जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी (District Magistrate) और पुलिस अधीक्षक (Superintendent of Police) करेंगे।
- पहले राज्य की कोई समर्पित नीति न होने के कारण, होमस्टे ऑपरेटरों को भारत सरकार के NIDHI+ पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण करना पड़ता था। लेकिन अब इस नई नीति के तहत स्थानीय नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) प्राप्त करना प्रक्रिया को सरल बना देगा।
- यह नीति नागरिकों को अपने घर के एक हिस्से को पर्यटन के उद्देश्य से उपयोग करने के लिए वित्तीय सहायता और प्रोत्साहन भी प्रदान करती है।