संदर्भ 

हाल ही में, बिहार में दो पक्षी अभयारण्यों को रामसर सूची में शामिल किया गया है।

मुख्य बातें 

  • बिहार के दो आर्द्रभूमि, नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण मानी जाने वाली आर्द्रभूमियों की वैश्विक सूची में शामिल किया गया है।
  • इसके साथ ही, भारत में रामसर स्थलों की कुल संख्या 82 हो गयी है।
  • दोनों स्थलों को 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि घोषित किया गया।

स्थान: नागी और नकटी दोनों पक्षी अभयारण्य बिहार के जमुई जिले में अवस्थित हैं।

  • ये जमुई के झाझा वन क्षेत्र (Jhajha Forest Range) में स्थित मानव निर्मित जलाशय हैं, इसकी मुख्य विशेषता इसके जलग्रहण क्षेत्र में पहाड़ियों से घिरे शुष्क पर्णपाती वन हैं।
  • इनको रामसर स्थल के रूप में मान्यता देने से क्षेत्र में पक्षी संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

नकटी पक्षी अभयारण्य के बारे में

उद्भव और पर्यावास: नकटी पक्षी अभयारण्य को मुख्य रूप से नकटी बाँध के निर्माण के माध्यम से सिंचाई हेतु विकसित किया गया था।

  • इसके निर्माण के बाद से, आर्द्रभूमि और इसके आसपास के क्षेत्र पक्षियों, स्तनधारियों, मछलियों आदि की 150 से अधिक प्रजातियों का पर्यावास बन गए हैं।
  • यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि इसमें वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियाँ जैसे संकटग्रस्त भारतीय हाथी और एक कमजोर देशी कैटफ़िश (वालागो अट्टू) पाए जाते हैं।

नामित और महत्व: वर्ष 1984 में पक्षी अभयारण्य के रूप में नामित नकटी अभयारण्य प्रवासी प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण शीतकालीन पर्यावास है, जो 20,000 से अधिक पक्षियों को आकर्षित करता है, जिसमें सिंधु-गंगा के मैदान पर रहने वाले लाल कलगी वाले पोचर्ड (नेट्टा रूफिना) का सबसे बड़ा समूह भी शामिल है।

  • पक्षी अभयारण्य एक संरक्षित पर्यावास क्षेत्र है, जिसे विशेष रूप से पक्षियों के संरक्षण हेतु बनाया गया है।

नागी पक्षी अभयारण्य के बारे में

निर्माण और जैव-विविधता: नागी पक्षी अभयारण्य का निर्माण नागी नदी पर बाँध बनाने के बाद निर्मित स्वच्छ जल और जलीय वनस्पति वाले जल निकायों से हुआ।

  • वर्ष 1984 में इसे पक्षी अभयारण्य के रूप में स्थानीय स्तर पर मान्यता मिली, तथा बाद में बर्डलाइफ इंटरनेशनल (BirdLife International) द्वारा इसे महत्वपूर्ण पक्षी एवं जैवविविधता क्षेत्र (Important Bird and Biodiversity Area-IBA) के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता दी गई।
  • बर्डलाइफ इंटरनेशनल पक्षियों और उनके पर्यावास के संरक्षण हेतु कार्य करने वाली गैर-सरकारी संगठनों (NGO) की एक वैश्विक साझेदारी है।

पर्यावास और प्रजातियाँ: नागी आर्द्रभूमि और इसके आस-पास के क्षेत्र 75 से अधिक पक्षी प्रजातियों, 33 मछली प्रजातियों और 12 जलीय पौधों की प्रजातियों हेतु पर्यावास प्रदान करते हैं।

  • यह विशेष रूप से सिंधु-गंगा के मैदान पर बार-हेडेड गीज़ (bar-headed geese) के सबसे बड़े समूहों में से एक की मेजबानी के लिए जाना जाता है।

रामसर कन्वेंशन

रामसर कन्वेंशन, जिसे अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है, 2 फरवरी, 1971 को ईरान के रामसर में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी संधि है।

  • प्रतिवर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस (World Wetlands Day) मनाया जाता है।

इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय महत्व के आर्द्रभूमि स्थलों की पहचान करके उनका संरक्षण करना और उनके विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है। यह एकल पारिस्थितिकी तंत्र पर केंद्रित एक मात्र वैश्विक संधि है।

  • आर्द्रभूमि भूमि का वह क्षेत्र होता है, जो स्थायी रूप से या मौसमी रूप से जल से संतृप्त रहता है।
  • इसका सचिवालय स्विटजरलैंड के ग्लैंड में स्थित है।

सबसे अधिक रामसर स्थलों वाले देश यूनाइटेड किंगडम (175) और मैक्सिको (142) हैं।

  • बोलिविया (Bolivia) का सबसे बड़ा क्षेत्र अर्थात, 148,000 वर्ग किमी अभिसमय (कन्वेंशन) के संरक्षण क्षेत्र में आता है।
  • यह अभिसमय (कन्वेंशन) भारत में वर्ष 1982 में लागू हुआ।
  • भारत में नामित पहला रामसर स्थल चिल्का झील (ओडिशा) है, जिसे वर्ष 1981 में नामित किया गया।

भारत में किसी आर्द्रभूमि को रामसर स्थल घोषित करने की प्रक्रिया

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) आर्द्रभूमि के संरक्षण हेतु नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करता है।
  • संबंधित राज्य सरकार पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को आर्द्रभूमि को रामसर घोषित करने की सिफारिश करने वाली एक प्रस्ताव भेजती है।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अनुमोदन के बाद इस प्रस्ताव को रामसर सचिवालय में भेजा जाता है।

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