संदर्भ:

हाल ही में, केंद्र सरकार ने कैमूर जिले में बिहार के दूसरे बाघ अभ्यारण्य हेतु सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने अपनी 12वीं तकनीकी समिति की बैठक में कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य को बाघ अभ्यारण्य के रूप में विकसित करने के बिहार सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। 
  • पश्चिम चंपारण जिले में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के बाद, बिहार के कैमूर जिले में दूसरा बाघ अभ्यारण्य को मंजूरी दी है। 
  • हालाँकि, राज्य सरकार द्वारा बाघ अभ्यारण्य को अधिसूचित करने से पहले केंद्र सरकार से अतिरिक्त तकनीकी अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

बिहार में बाघ संरक्षण 

जनसंख्या प्रबंधन: मौजूदा वाल्मीकि टाइगर रिजर्व 54 बाघों के साथ अपनी अधिकतम क्षमता तक पहुँच गया है, जो इसकी 45 बाघों की क्षमता से अधिक है। नया अभ्यारण्य पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखते हुए इस बढ़ती हुई जनसंख्या को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद करेगा।

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा तैयार बाघों की स्थिति रिपोर्ट 2022 में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की बाघ आबादी में वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है, जो वर्ष 2018 में 31 दर्ज की गई थी। 
  • प्रादेशिक समायोजन: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सिफारिशों के बाद वन विभाग के 900 वर्ग किलोमीटर के अभ्यारण्य के प्रारंभिक प्रस्ताव को संशोधित कर 450 वर्ग किलोमीटर प्रमुख बाघ आवास क्षेत्र कर दिया गया।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: कैमूर को बाघ अभ्यारण्य के रूप में स्थापित करने की कोशिश वर्ष 2018 में शुरू हुई जब बाघों की मौजूदगी की पुष्टि उनके पैरों के निशान और शिकार के अवशेषों से हुई। इससे पहले कैमूर में आखिरी बार बाघ वर्ष 1995 में देखे गए थे।
  • महत्वपूर्ण आवास: कैमूर के वन क्षेत्र 1,134 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं और इनका हरित क्षेत्र बिहार में सबसे अधिक 34% है। यह क्षेत्र पड़ोसी राज्यों को जोड़ने वाले एक महत्वपूर्ण वन्यजीव गलियारे के रूप में कार्य करता है जो जैव विविधता संरक्षण को बढ़ाता है।
  • कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य, उत्तर प्रदेश के चंद्रप्रभा वन्यजीव अभ्यारण्य से जुड़ा हुआ है, जिसका पुनः संजय दुबरी टाइगर रिजर्व और मध्य प्रदेश के पन्ना क्षेत्र से मरिहान, सुकृत, चुनार पर्वतमाला के छोटे-छोटे घने वनों और रानीपुर (उत्तर प्रदेश), सोन घड़ियाल और बागधारा (मध्य प्रदेश) के वन्यजीव अभयारण्यों के माध्यम से संबंध है।

भारत में बाघ अभ्यारण्य

  • बाघ अभ्यारण्य, वे क्षेत्र होते हैं जो बाघ और उसके शिकार के संरक्षण के लिए अधिसूचित होते हैं और इनका संचालन प्रोजेक्ट टाइगर (जिसे 1973 में शुरू किया गया था) द्वारा किया जाता है।

                पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अप्रैल 2023 में प्रोजेक्ट टाइगर और प्रोजेक्ट एलीफेंट को मिलाकर प्रोजेक्ट टाइगर एंड एलीफेंट का गठन किया है।

  • वर्ष 1973 में अभ्यारण्यों की संख्या 9 थी जो वर्ष 2023 में 55 हो गई है, ये 55 बाघ अभ्यारण्य  18 राज्यों में फैले हुए हैं और इन अभ्यारण्यों का भू-क्षेत्र, भारत के कुल भू-भाग का लगभग 2.39% (78,735.5966 वर्ग किमी) हैं। 

नवीनतम तीन नए अभ्यारण्य निम्न हैं:

  • 53वां बाघ अभ्यारण्य – रानीपुर टाइगर रिजर्व (उत्तर प्रदेश का चौथा बाघ अभ्यारण्य)
  • 54वां बाघ अभ्यारण्य – वीरांगना दुर्गावती बाघ अभ्यारण्य (मध्य प्रदेश का 7वां बाघ अभ्यारण्य)
  • 55वां बाघ अभ्यारण्य – धौलपुर – करौली बाघ अभ्यारण्य (राजस्थान का 5वां बाघ अभ्यारण्य)

बाघ अभ्यारण्यों को कैसे अधिसूचित किया जाता है?

  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की सलाह पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा बाघ अभ्यारण्यों को अधिसूचित किया जाता है।

अधिसूचना में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  • राज्य से प्रस्ताव प्राप्त होना।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38V के अंतर्गत विस्तृत प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से सैद्धांतिक मंजूरी प्राप्त करना।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण समुचित जांच के बाद राज्य को प्रस्ताव की सिफारिश करता है। 
  • राज्य सरकार इस क्षेत्र को बाघ अभ्यारण्य के रूप में अधिसूचित करती है।

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