संदर्भ:
हाल ही में, रेल मंत्री ने बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
अन्य संबंधित जानकारी:
- अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय, जिन्होंने एक दशक से अधिक समय तक सरकार की नीतियों पर सलाह दी और भारतीय शास्त्रीय साहित्य (संस्कृत )के विद्वान-अनुवादक के रूप में भी अपनी ख्याति अर्जित की, का नई दिल्ली में निधन हो गया।
- बिबेक देबरॉय समिति ने भारतीय रेलवे पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट में ‘रुग्ण संगठन’ के संचालन के तरीके में व्यापक बदलाव की सिफारिश की है।
बिबेक देबरॉय समिति के बारे में :
- गठन: भारतीय रेलवे में सुधार के लिए वर्ष 2014 में अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था।
- उद्देश्य: रेलवे क्षेत्र में व्यापक सुधारों के माध्यम से परिचालन दक्षता और वित्तीय व्यवहार्यता को बढ़ाना।
- कार्यक्षेत्र: समिति ने भारतीय रेलवे में निर्णयन क्षमता , लेखा प्रणालियों और मानव संसाधन प्रबंधन की जांच की।
- रिपोर्ट प्रस्तुत करना : विस्तृत विश्लेषण के बाद, समिति ने वर्ष 2015 में अपनी अंतिम रिपोर्ट में चालीस सिफारिशें प्रस्तुत कीं।
बिबेक देबरॉय समिति की प्रमुख सिफारिशें:
- प्रबंधन पुनर्गठन: निर्णय लेने की प्रक्रिया को सरल बनाने और संगठनात्मक दक्षता में सुधार लाने के लिए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को सीईओ के रूप में पुनः नामित करने की सिफारिश की गई।
- संगठनात्मक शक्तियां: क्षेत्रीय स्तर पर निर्णय लेने के अधिकार को बढ़ाकर महाप्रबंधकों और मंडल रेल प्रबंधकों को सशक्त बनाने का सुझाव दिया गया।
- बजट एकीकरण: पृथक रेल बजट को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर उसे केन्द्रीय बजट में विलय करने का प्रस्ताव।
- लेखांकन सुधार: बेहतर वित्तीय पारदर्शिता के लिए नकदी-आधारित प्रणाली से उपार्जन-आधारित लेखांकन प्रणाली में बदलाव पर बल।
- परिचालन स्वतंत्रता: प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने और सेवा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए निजीकरण के बिना रेलवे परिचालन के उदारीकरण की सिफारिश की गई।
- नियामक निकाय: निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और मूल्य निर्धारण तंत्र को विनियमित करने के लिए एक स्वतंत्र रेल विकास प्राधिकरण की स्थापना का प्रस्ताव दिया ।
- सुरक्षा निधि: रेलवे के बुनियादी ढांचे के प्रतिस्थापन और नवीकरण हेतु एक समर्पित सुरक्षा निधि बनाने का सुझाव दिया गया।
- गैर-प्रमुख गतिविधियाँ: ट्रेन परिचालन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सुरक्षा और चिकित्सा सेवाओं जैसी गैर-प्रमुख गतिविधियों को आउटसोर्स करने की सिफारिश की गई।
- प्रौद्योगिकी एकीकरण: वंदे भारत रेलगाड़ियों और कवच(KAVACH) सुरक्षा प्रणालियों जैसी आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने का प्रस्ताव दिया है।
कार्यान्वयन:
- पूर्ण कार्यान्वयन: उन्नीस सिफारिशों को पूर्ण रूप से कार्यान्वित किया गया जिनमें सीईओ पदनाम और रेल बजट एकीकरण शामिल हैं।
- आंशिक सफलता: सात सिफारिशों का आंशिक कार्यान्वयन हुआ, जिनमें सीमित विकेन्द्रीकरण और चयनात्मक क्षेत्र अधिकारी सशक्तिकरण शामिल हैं।
- लंबित परिवर्तन: यात्री सेवाओं के पूर्ण उदारीकरण सहित 14 सिफारिशें अब तक क्रियान्वित नहीं की गई हैं।
- सुरक्षा उपाय: एक लाख करोड़ रुपये की प्रारंभिक निधि के साथ राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष का सफलतापूर्वक गठन किया गया।
भारत में रेलवे की वर्तमान स्थिति:
- भारत में विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेलवे तंत्र है जो केवल अमेरिका, रूस और चीन से पीछे है।
- रोजगार: भारतीय रेल भारत का सबसे बड़ा और विश्व में 8वां सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है।
- परिचालन स्तर: भारतीय रेल प्रतिदिन 13,000 से अधिक यात्री रेलगाड़ियां और 8,000 से अधिक मालगाड़ियों का परिचालन करती है।
- लक्ष्य: भारत का लक्ष्य विश्व का सबसे बड़ा हरित रेलवे नेटवर्क बनना है।
चुनौतियाँ:
- रेल संघों का प्रतिरोध: रेल संघ उदारीकरण के प्रयासों का कड़ा विरोध करती हैं जिससे प्रमुख सुधारों के कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न होती है।
- राजनीतिक कारण : राजनीतिक कारण अक्सर व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य लेकिन संवेदनशील सिफारिशों के कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं।
- वित्तीय बाधाएँ: उच्च परिचालन लागत और निजी क्षेत्र की सीमित भागीदारी नवीनीकरण प्रयासों को बाधित करती है।
- कार्यान्वयन में विलंब: नौकरशाही बाधाओं और संगठनात्मक प्रतिरोध के कारण अनुमोदित सुधारों का धीमा क्रियान्वयन।
आगे की राह:
- सुधार में तेजी: हितधारकों के साथ संवाद बनाए रखते हुए लंबित सिफारिशों के कार्यान्वयन में तेजी लाना।
- निजी भागीदारी: रेल बुनियादी ढांचे में निवेश आकर्षित करने के लिए नवीन सार्वजनिक-निजी भागीदारी व्यवस्था विकसित करना।
- प्रौद्योगिकी अपनाना: बेहतर परिचालन दक्षता और यात्री सुरक्षा के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियों के एकीकरण में तेजी लाना।
- कौशल विकास: विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों और तकनीकी प्रदर्शन के माध्यम से कार्यबल क्षमताओं को बढ़ाना।
- बुनियादी ढांचे का विकास : नियमित उन्नयन के माध्यम से मौजूदा नेटवर्क को बनाए रखते हुए आधुनिक बुनियादी ढांचे में निवेश जारी रखना।