संदर्भ:

भारत में सूजन आंत्र रोग (inflammatory bowel disease-IBD) की घटना वर्ष 1990 से वर्ष 2019 तक लगभग दोगुनी हो गई है, जिससे डॉक्टरों में चिंता बढ़ गई है।

सूजन आंत्र रोग (IBD)  

यह एक पुरानी ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली (श्वेत रक्त कोशिकाएं या शरीर के सोल्डर्स) गलती से मानव आंत में कोशिकाओं पर हमला करती है, जिससे म्यूकोसा में अल्सर हो जाता है। बाल चिकित्सा सूजन आंत्र रोग (Paediatric Inflammatory Bowel Disease-PIBD) सूजन आंत्र रोग का एक उपसमूह है जो वयस्कता से पहले निदान किए गए व्यक्तियों में होता है, आमतौर पर 18 वर्ष की आयु से पहले या बच्चों और किशोरों में।

सूजन आंत्र रोग के किस्म

  • क्रोहन रोग (CD): यह रोग पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है, मुंह से लेकर गुदा तक। यह आंतों की दीवार की पूरी मोटाई में सूजन का कारण बनता है।
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस (UC): यह रोग मुख्य रूप से बड़ी आंत (कोलन) और मलाशय की आंतरिक परत (म्यूकोसा) को प्रभावित करता है।
  • अनिश्चित कोलाइटिस: जब व्यक्ति में सूजन आंत्र रोग के लक्षण होते हैं, लेकिन अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग के बीच अंतर करना मुश्किल होता है, तो इसे तब तक अनिश्चित कोलाइटिस कहा जाता है जब तक कि यह क्रोहन रोग या अल्सरेटिव कोलाइटिस में विकसित न हो जाए।

सूजन आंत्र रोग के लक्षण

  • पेट में दर्द और ऐंठन
  • दस्त, अक्सर खूनी
  • मल त्याग की तत्काल आवश्यकता (टेनेसमस)
  • मलाशय से रक्तस्राव
  • वजन घटना
  • थकान
  • भूख में कमी

सूजन आंत्र रोग की वजह

  • आनुवंशिकी: यदि आपके किसी करीबी रिश्तेदार को सूजन आंत्र रोग है तो आपका जोखिम बढ़ जाता है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली की खराबी: खराब प्रतिरक्षा प्रणाली आपके पाचन तंत्र में स्वस्थ ऊतकों पर हमला कर सकती है।
  • पर्यावरणीय उत्प्रेरक: कुछ बैक्टीरिया या वायरस उन लोगों में सूजन आंत्र रोग को उत्प्रेरित कर सकते हैं जो आनुवंशिक रूप से संवेदनशील हैं।
  • आहार और धूम्रपान: हालांकि प्रत्यक्ष कारण नहीं, लेकिन आहार और धूम्रपान सूजन आंत्र रोग के सिलसिले को प्रभावित कर सकते हैं।

इलाज

  • दवाएँ: सूजनरोधी दवाएँ, प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने वाली दवाएँ और जीवोत्पाद का आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ‘अमीनोसैलिसिलेट्स’ नामक दवाओं के एक अन्य समूह का उपयोग भी अल्सरेटिव कोलाइटिस के हल्के रूपों के इलाज हेतु किया जाता है।
  • आहार में परिवर्तन: कुछ आहार संबंधी संशोधन लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं।
  • सर्जरी: गंभीर मामलों में, आंत के रोगग्रस्त हिस्से को हटाने के लिए सर्जरी आवश्यक हो सकती है।

बढ़ती घटनाएं और चिंताएं 

  • वैश्विक रुझान: उत्तरी अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में उल्लेखनीय वृद्धि। अमेरिका में 0.5% से 0.6% तक वृद्धि की उम्मीद।
  • भारत की स्थिति: तीन दशक पहले भारत में सूजन आंत्र रोग असामान्य था, लेकिन अब यह बहुत अधिक प्रचलित हो गया है क्योंकि भारत में इस रोग की घटना वर्ष 1990 से वर्ष 2019 तक लगभग दोगुनी हो गई है। घटनाओं में वृद्धि के कारण मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई है।

भारत में पीआईबीडी के बढ़ते मामलों की वजह

  • आहार का पश्चिमीकरण: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, परिष्कृत शर्करा की खपत में वृद्धि तथा फाइबर के सेवन में कमी, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में।
  • शहरीकरण: शहरी जीवन से जुड़े पर्यावरणीय कारक, जैसे प्रदूषण या आंत माइक्रोबायोम में परिवर्तन, इसमें योगदान दे सकते हैं।
  • बेहतर निदान: स्वास्थ्य पेशेवरों के बीच सूजन आंत्र रोग के बारे में बढ़ती जागरूकता और बेहतर निदान उपकरणों से अधिक मामलों की पहचान हो सकती है। 
  • आनुवंशिक प्रवृत्ति: भारतीय लोगों में आनुवंशिकी की भूमिका का पता लगाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।

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