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सामान्य अध्ययन-3: पर्यावरण संरक्षण|

संदर्भ: हाल ही में, बाघ (पैंथेरा टिगरिस) के लिए IUCN के पहले ग्रीन स्टेट्स ऑफ स्पीशीज आकलन से पता चला है कि यह प्रजाति संपूर्ण एशिया में ‘गंभीर रूप से ह्रासित’ (Critically Depleted) है, लेकिन निरंतर संरक्षण प्रयासों के माध्यम से इसकी संख्या में वृद्धि हो सकती है।

अन्य संबंधित जानकारी

• यह आकलन न केवल विलुप्त होने के जोखिम का पता लगाकर बल्कि पुनर्प्राप्ति क्षमता और संरक्षण उपायों की प्रभावशीलता का भी मूल्यांकन करता है| इस प्रकार यह IUCN रेड लिस्ट का पूरक है।

• यह रिपोर्ट वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (WCS) के विशेषज्ञों द्वारा विश्व वन्यजीव कोष, पैंथेरा और आईयूसीएन प्रजाति अस्तित्व आयोग के बिल्ली विशेषज्ञ समूह के सहयोग से तैयार की गई थी।

• आकलन में पाया गया कि जिन 24 स्थानिक इकाइयों का अध्ययन किया गया, उनमें से नौ में बाघ क्षेत्रीय रूप से विलुप्त हो चुके हैं, तथा शेष सभी इकाइयों में वे संकटग्रस्त या ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ हैं।

• इसमें कहा गया है कि अतीत में यदि संरक्षण प्रयास नहीं किए गए होते तो बाघ लगभग सभी क्षेत्रों में गंभीर रूप से संकटग्रस्त हो गए होते, तथा प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति दर 5 प्रतिशत से भी कम होती।

• अध्ययन में भविष्य में बाघों की आबादी में वृद्धि के लिए प्रमुख भू-भागों की पहचान की गई है, जिनमें भारत, भूटान, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, चीन और रूस के संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं।

आकलन के मुख्य बिंदु

• आईयूसीएन ग्रीन स्टेट्स फ्रेमवर्क के तहत बाघ को “गंभीर रूप से ह्रासित” के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

• यह आकलन केवल विलुप्त होने के जोखिम को ही नहीं, बल्कि प्रजातियों के पुनर्प्राप्ति और संरक्षण प्रभाव को भी मापता है।

• बाघ अब नौ क्षेत्रों में विलुप्त हो चुके हैं और शेष सभी पर्यावासों में संकटग्रस्त हैं।

• संरक्षण प्रयासों से कम से कम सात क्षेत्रों में उनकी विलुप्ति को रोका गया है, जिससे जनसंख्या प्रवृत्ति स्थिर बनी हुई है।

• बाघ की संरक्षण विरासत को उच्च दर्जा दिया गया है, जो दर्शाता है कि उनके निरंतर संरक्षण से बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है।

• इस प्रजाति की पुनर्प्राप्ति क्षमता को मध्यम दर्जा दिया गया है, जो दर्शाता है कि गहन संरक्षण से पर्याप्त पुनर्प्राप्ति संभव हो सकती है।

• आकलन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि बाघों की आबादी में एक सदी से भी अधिक समय में पहली बार वृद्धि हुई है, जो सुधार के प्रति आशावादी रुख का संकेत है।

• रिपोर्ट में दीर्घकालिक सफलता के लिए सामुदायिक सहभागिता, पर्यावास संपर्क और राजनीतिक इच्छाशक्ति के महत्व पर जोर दिया गया है।

प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति श्रेणियाँ 

• प्रजाति पुनर्प्राप्ति स्कोर (SRS) को या तो संख्यात्मक रूप से (विलुप्त के लिए 0% से लेकर पूर्णतः पुनर्प्राप्त के लिए 100% तक) या श्रेणीबद्ध रूप से दर्ज किया जा सकता है।

• प्रजाति पुनर्प्राप्ति श्रेणियां SRS के सर्वोत्तम-अनुमान, न्यूनतम और अधिकतम मानों (क्रमशः SRSbest, SRSmin, SRSmax,) और संरक्षण विरासत (Lbest) के सर्वोत्तम-अनुमान मानों पर आधारित हैं, और निम्नलिखित नियमों के अनुसार तय की जाती हैं|

बाघ (पैंथेरा टिगरिस) के बारे में 

• बाघ, विश्व में जंगली बिल्ली की सबसे बड़ी प्रजाति है और वन पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखते हुए एक शीर्ष शिकारी के रूप में कार्य करता है।

• अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने बाघों को संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में संकटग्रस्त  (Endangered) के रूप में वर्गीकृत किया है।

• बाघों को संकटग्रस्त प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन (CITES) के परिशिष्ट I में शामिल किया गया है, जो उनके अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है।

• भारत में विश्व की 70 प्रतिशत बाघ आबादी है, जिस कारण यह इस प्रजाति के अस्तित्व के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।

• बाघों के लिए प्रमुख खतरों में उनके आवास का विनाश, अवैध शिकार, अवैध वन्यजीव व्यापार, उनके शिकार की संख्या में कमी आना (Prey Depletion) और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

बाघों के लिए आईयूसीएन का पहला “ग्रीन स्टेटस ऑफ स्पीशीज़ आकलन” इस प्रजाति की संख्या में आने वाली कमी और लचीलेपन, दोनों को उजागर करता है। चर्चा कीजिए कि यह नया फ्रेमवर्क विलुप्त होने के जोखिम से परे संरक्षण की सफलता की हमारी समझ को कैसे बढ़ाता है? इसके साथ ही एशिया में बाघ संरक्षण के लिए इस आकलन से प्राप्त निष्कर्षों के निहितार्थों का परीक्षण कीजिए।

Source:
DowntoEarth
The Tanzania Times
AL Dia News

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