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सामान्य अध्ययन-3: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती; आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका।
संदर्भ: नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर, केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री ने IS 19445:2025 – बम निरोधक प्रणाली — प्रदर्शन मूल्यांकन और आवश्यकताएं जारी किया। यह एक भारतीय मानक है जिसका उद्देश्य बम निरोधक कार्यों में सुरक्षा और मानकीकरण सुनिश्चित करना है।
अन्य संबंधित जानकारी

- यह मानक बम निरोधक उपकरणों के प्रदर्शन मूल्यांकन और परिचालन आवश्यकताओं पर केंद्रित है।
- सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा यह पहल की गई थी।
- IS 19445:2025 को ‘नागरिक उपयोग के लिए शस्त्र एवं गोला-बारूद अनुभागीय समिति’ (PGD 28) के तहत सहमति-आधारित प्रक्रिया के माध्यम से विकसित किया गया है। इसके लिए, TBRL, DRDO के संयुक्त प्रयासों से बम निरोधक प्रणाली पैनल (PGD 28/P1) का गठन किया गया था।
- IS 19445:2025 विकसित करते समय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम कार्य विधियों और विश्व स्तर पर स्वीकृत प्रदर्शन अवधारणाओं पर विचार किया गया, और फिर उन्हें भारतीय जोखिम स्थितियों और परिचालन वातावरण के अनुकूल बनाया गया।
मानक की आवश्यकता
- गृह मंत्रालय और टर्मिनल बैलिस्टिक अनुसंधान प्रयोगशाला (TBRL), डीआरडीओ के अनुरोध के बाद, निम्नलिखित कारणों को ध्यान में रखते हुए IS 19445:2025 को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई :
- सुरक्षा और नागरिक एजेंसियों में बम निरोधक प्रणालियों के परिनियोजन में वृद्धि।
- ऐसी प्रणालियों के प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए एक समर्पित भारतीय मानक का अभाव।
- अंतरराष्ट्रीय मानकों तक सीमित पहुंच और भारतीय खतरे की स्थितियों, गोला-बारूद और परिचालन स्थितियों के साथ उनका आंशिक रूप से असंगत होना।
IS 19445:2025के मुख्य प्रावधान
- यह मानक बम निरोधक प्रणालियों विशेष रूप से विस्फोट के दबाव और छर्रों के प्रभाव के संबंध में मूल्यांकन के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है जिसमें निर्दिष्ट है:
- परीक्षण उपकरण और परीक्षण रेंज के लिए आवश्यकताएं
- प्रणाली के प्रदर्शन का तथ्य आधारित आकलन करने के लिए मूल्यांकन प्रक्रियाएं
- परिभाषित परीक्षण पद्धतियां, उपकरण, परीक्षण के लिए नमूने और मंजूरी के लिए मानदंड
- ऐसा माना जा रहा है कि इस मानक से निम्नलिखित लाभ होंगे:
- स्पष्ट रूप से परिभाषित और तथ्य आधारित प्रदर्शन मूल्यांकन मानदंड
- ऑपरेटरों, प्रथम प्रतिक्रियाकर्ताओं और आसपास मौजूद लोगों (Bystanders) की बेहतर सुरक्षा
- खरीद, परीक्षण और प्रमाणन के लिए एक पारदर्शी और समान आधार
- ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी विकास और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा
- विभिन्न एजेंसियों के बीच उपकरणों की विश्वसनीयता और अंतरसंचालनीयता में वृद्धि
भारतीय मानक ब्यूरो(BIS)
- भारतीय मानक संस्थान (ISI) की स्थापना 1947 में की गई थी और इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत किया गया था। बाद में, ISI का नाम बदलकर भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) कर दिया गया।
- भारतीय मानक संस्थान ने भारतीय मानक संस्थान (प्रमाणन चिह्न) अधिनियम, 1952 के तहत प्रमाणन चिह्न योजना का संचालन शुरू किया।
- 1955-56 में ISI द्वारा औपचारिक रूप से शुरू की गई इस योजना के तहत ISI ने उन निर्माताओं को लाइसेंस दिया जो भारतीय मानकों के अनुरूप वस्तुओं का उत्पादन कर रहे थे, और उन्हें अपने उत्पादों पर ‘ISI मार्क’ लगाने की अनुमति दी गई।
- BIS किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद, तीसरे पक्ष की गारंटी के रूप में ‘ISI मार्क’ आवंटित करता है।
- मानकों के निर्धारण और अन्य संबंधित कार्यों के लिए पहले कोई कानून नहीं था। इसलिए, इस संबंध में 1986 में संसद में एक विधेयक पेश किया गया था।
- भारतीय मानक ब्यूरो, ‘भारतीय मानक ब्यूरोअधिनियम, 1986′ के तहत अस्तित्व में आया। ब्यूरो द्वारा स्थापित मानकों को ‘भारतीय मानक’ कहा जाता है।
Source:
Economic Times
PIB
