संदर्भ:
हाल ही में, वैश्विक फैटी लिवर दिवस (Global Fatty Liver Day) पर फैटी लिवर रोग का शीघ्र पता लगाने और सक्रिय स्वास्थ्य जाँच के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बातें
- इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय फैटी लिवर दिवस का थीम/विषय : ‘अभी कार्य करें, आज ही जाँच कराएँ’ (Act Now, Screen Today) है।
- यह विषय पहले से कहीं अधिक जागरूकता और सक्रिय स्वास्थ्य जाँच की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
- कभी मुख्य रूप से अत्यधिक शराब के सेवन से संबंधित फैटी लीवर रोग अब एक बड़ी और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चिंता के रूप में सामने आया है। यह रोग मेटाबोलिक सिंड्रोम से काफी हद तक जुड़ा हुआ है।
- इस सिंड्रोम में मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और असामान्य कोलेस्ट्रॉल स्तर जैसी स्थितियाँ शामिल हैं।
- मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोहेपेटाइटिस (MASH), जो यकृत (लिवर) की सूजन और जख्म से संबंधित है, क्रोनिक यकृत (लीवर) रोग और यकृत प्रत्यारोपण के एक प्रमुख कारण बनने की संभावना है।
वैश्विक फैटी लिवर दिवस
- वाशिंगटन, डी.सी. में स्थित ग्लोबल लिवर इंस्टीट्यूट, 13 जून को वैश्विक फैटी लिवर दिवस (Global Fatty Liver Day) के रूप में मान्यता देने के लिए 75 से अधिक देशों के 220 से अधिक संगठनों के साथ सहयोग करता है।
- वर्ष 2018 से, इस विशेष दिन ने लोगों को एक ऐसी बीमारी के बारे में जागरूक और शिक्षित किया है, जो वैश्विक स्तर पर लगभग 4 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करती है।
फैटी लिवर रोग (FLD)
फैटी लिवर रोग (FLD) वैश्विक स्तर पर एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप सामने आई है, और भारत इसका अपवाद नहीं है। यह स्थिति, जिसे नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के रूप में भी जाना जाता है, लिवर में वसा के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण देखने को मिलती है। यह रोग उन लोगों में भी देखने को मिलती है, जो अत्यधिक शराब नहीं पीते हैं।
कारण
फैटी लिवर रोग (FLD) के मुख्य कारण अक्सर अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से संबद्ध है, जिसमें शामिल हैं:
- परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट और शर्करा के अत्यधिक सेवन से इंसुलिन प्रतिरोध और यकृत में वसा का भंडारण का होना।
- मोटापा एवं अधिक वजन की स्थिति का होना।
- शारीरिक गतिविधि की कमी।
जटिलताएँ
- हालाँकि प्रारंभिक चरण का फैटी लिवर रोग (FLD) तत्काल नुकसान नहीं पहुँचा सकता है, लेकिन यह गैर-अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (एनएएसएच), सिरोसिस और यहां तक कि यकृत कैंसर जैसी अधिक गंभीर स्थितियों में नुकसानदायक हो सकता है।
व्यापकता :
- मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) का वैश्विक प्रसार के 25 से 30 प्रतिशत होने का अनुमान है।
- विशेष रूप से भारत में इसकी स्थिति गंभीर है, वर्ष 2022 के मेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि 38.6 प्रतिशत वयस्क और लगभग 36 प्रतिशत मोटे बच्चें फैटी लीवर रोग से पीड़ित है।
- मेटाबोलिक सिंड्रोम की स्थिति वाले व्यक्तियों में मेटाबोलिक डिसफंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (MASLD) का प्रसारण दर अत्यधिक उच्च होती है, जो मधुमेह के लिए 55.5 प्रतिशत से 59.7 प्रतिशत, मोटापे के लिए 64.6 प्रतिशत से 95 प्रतिशत और गंभीर मेटाबोलिक सिंड्रोम के लिए 73 प्रतिशत होती है।
चुनौतियाँ एवं चिंताएँ
- मूक रोग (Silent Disease): फैटी लिवर रोग (FLD) अक्सर बिना किसी लक्षण के विकसित होता है, जिसके कारण निदान में देरी होती है और जब तक इसका पता चलता है, तब तक रोग अधिक उन्नत अवस्था में पहुँच चुका होता है।
- जागरूकता का अभाव: फैटी लिवर रोग (FLD) और इसके जोखिम कारकों के बारे में सीमित सार्वजनिक जागरूकता, प्रारंभिक हस्तक्षेप और निवारक उपायों में अवरोध उत्पन्न कर सकती है।
पहल और समाधान:
- मौजूदा कार्यक्रमों के साथ संयोजन: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का लक्ष्य नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के प्रबंधन हेतु कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और स्ट्रोक की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (National Programme for Prevention & Control of Cancer, Diabetes, Cardiovascular Diseases and Stroke-NPCDCS) जैसे मौजूदा कार्यक्रमों के साथ संयोजन करना है। इससे स्क्रीनिंग, निदान और प्रबंधन के लिए मौजूदा बुनियादी ढाँचे का लाभ उठाने की अनुमति मिलती है।
- जीवनशैली में बदलाव: सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों और सामुदायिक पहलों के माध्यम से स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। इसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तंदुरस्त योग्य वजन बनाए रखने की वकालत करना शामिल है।
- शीघ्र पहचान: नियमित स्वास्थ्य जाँच को प्रोत्साहित करना और फैटी लिवर रोग (FLD) के लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना शीघ्र निदान और समय पर उपचार को सुविधाजनक बना सकता है।