संदर्भ:
हाल ही में, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने ‘फेनोम इंडिया-सीएसआईआर हेल्थ कोहोर्ट नॉलेजबेस (पीआई-चेक – PI-CheCK)’ के पहले चरण के सफल समापन की घोषणा की।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के उपलक्ष्य में, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने 3 जून को राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (NIO), गोवा में एक विशेष कार्यक्रम ‘फेनोम इंडिया अनबॉक्सिंग 1.0’ (Phenome India Unboxing 1.0) का आयोजन किया।
राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (NIO) एक बहु-विषयक समुद्र विज्ञान अनुसंधान संस्थान है, जिसकी स्थापना 1960 के दशक में अंतरराष्ट्रीय हिंद महासागर अभियान (IIOE) के बाद वर्ष 1966 में की गई थी। - पहली बार, कार्डियोमेटाबोलिक रोगों (Cardiometabolic Disease), विशेषकर मधुमेह, यकृत रोगों और हृदय संबंधी रोगों के लिए एक उन्नत पूर्वानुमान मॉडल विकसित करने हेतु एक अखिल भारतीय अनुदैर्ध्य अध्ययन (Longitudinal Study) किया गया है।
- यह अध्ययन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन रोगों (हृदय-चयापचय) के जोखिम को बढ़ाने के लिए आनुवंशिक और जीवनशैली दोनों कारक जिम्मेदार हैं।
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के बारे में
- यह विविध विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अपने अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास संबंधी जानकारी के आधार हेतु जाना जाता है, यह एक समकालीन अनुसंधान एवं विकास संगठन है।
- इसे वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ावा देने के साथ-साथ औद्योगीकरण और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1942 में भारत सरकार द्वारा एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित किया गया था।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
फेनोम इंडिया: सीएसआईआर हेल्थ कोहोर्ट नॉलेजबेस (पीआई-चेक)
- इसे CSIR द्वारा 7 दिसंबर 2023 को लॉन्च किया गया था।
- यह भारतीय जनसंख्या में गैर-संचारी (कार्डियो-मेटाबोलिक) रोगों के जोखिम कारकों का आकलन करता है।
कार्डियोमेटाबोलिक सिंड्रोम में पेट का मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोधी ग्लूकोज चयापचय, डिस्लिपिडेमिया और रक्तचाप में वृद्धि जैसी स्थितियाँ शामिल हैं। - PI-CHeCK (पीआई-चेक) एक प्रकार का अध्ययन है, जो अनुदैर्ध्य आणविक, जैव-रासायनिक और अंग स्कैनिंग डेटा को कैप्चर करता है तथा इसे लक्षित नैदानिक और रोग निदान प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में सक्षम बनाने हेतु अत्याधुनिक एआई/एमएल मॉडल के साथ समन्वित करके भारत में सटीक चिकित्सा के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
- इस अनूठी पहल में पहले ही व्यापक स्वास्थ्य डेटा उपलब्ध कराने के लिए स्वेच्छा से काम करने वाले लगभग 10,000 प्रतिभागियों को सूचीबद्ध किया जा चुका है।
पीआई-चेक का उद्देश्य
- उन जोखिम कारकों को समझना और निरूपित करना, जो जटिल चयापचय विकारों को उत्पन्न कर सकते हैं।
- भविष्य के अनुसंधान के लिए जैविक नमूनों का भंडारण यानी बायोरिपोजिटरी का निर्माण करना।
- विज्ञान द्वारा अभी तक उपलब्ध नहीं करा पाने वाले विभिन्न स्वास्थ्य मापदंडों और तौर-तरीकों के लिए भारत-विशिष्ट मानक मूल्यों/समीकरणों को विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ना।
- इन परीक्षणों और विश्लेषणों के माध्यम से प्राप्त जानकारी का उपयोग करके निदान के विकास की दिशा में आगे बढ़ना।
- देश भर में इसी प्रकार की पहल को उत्प्रेरित करना, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जोखिम पूर्वानुमान एल्गोरिदम अधिक सटीक होने के साथ-साथ भारत के विविध आनुवंशिक और जीवन शैली परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करें।