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सामान्य अध्ययन-3: पर्यावरण प्रदूषण
संदर्भ:
प्लास्टिक कचरे में पाए जाने वाले एंडोक्राइन डिसरप्टर्स की उपस्थिति ने हार्मोनल प्रणाली में हस्तक्षेप करने की इनकी क्षमता के कारण गंभीर स्वास्थ्य चिंताओं को जन्म दिया है।
मुख्य तथ्य

- व्रीजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम के 2022 के एक अध्ययन में परीक्षण किए गए 80% लोगों के रक्त में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया।
- भारत में वर्ष 2024 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 89% रक्त नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद हैं, जिनकी औसत मात्रा 4.2 कण प्रति मिलीलीटर पायी गई।
- ये सूक्ष्म प्लास्टिक कण मानव फेफड़ों, हृदय, प्लेसेंटा, स्तन दूध, अंडाशय और वीर्य में भी पाए गए हैं।
- चौंकाने वाली बात यह है कि भारतीय पुरुषों के अंडकोष ऊतकों में कुत्तों की तुलना में तीन गुना अधिक माइक्रोप्लास्टिक पाया गया।
- 2023 में फूड एंड केमिकल टॉक्सिकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि पशुओं में पॉलीस्टाइरीन माइक्रोप्लास्टिक्स की बहुत थोड़ी सी मात्रा (20 μg /L) भी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को घटा देती है, शुक्राणु उत्पादन को कम कर देती है और वृषणों (testes) की सुरक्षात्मक परत को क्षति पहुँचाती है।
- भारत में पिछले 20 वर्षों के दौरान औसत शुक्राणु संख्या में 30% की गिरावट दर्ज की गई है।
एंडोक्राइन डिसरप्टर के बारे में
- एंडोक्राइन डिसरप्टरऐसे रसायन होते हैं जो हार्मोनल प्रणाली में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे मनुष्यों और वन्य जीवों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- प्लास्टिक कचरा ऐसे एंडोक्राइन डिसरप्टर्स का एक मुख्य स्रोत है, जो इसे एक उभरती हुई पर्यावरणीय और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंता का विषय बना देता है।
- ये शरीर की सामान्य हार्मोनल गतिविधियों में तीन प्रमुख तरीकों से हस्तक्षेप करते हैं:
- प्राकृतिक हार्मोनों की नकल करना: एंडोक्राइन डिसरप्टर्स जैसे BPA, फ्थैलेट्स और PFAS शरीर के हार्मोन रिसेप्टर्स (जैसे एस्ट्रोजन, एंड्रोजन, थायरॉइड और कोर्टिसोल रिसेप्टर्स) से जुड़कर गलत संदेश (सिग्नल) भेजते हैं, जिससे हार्मोन प्रणाली अत्यधिक सक्रिय हो जाती है।
- इनकी आणविक संरचना हमारे प्राकृतिक हार्मोनों से काफी मिलती-जुलती है, इसलिए ये नकली हार्मोनों की तरह व्यवहार करते हैं।
- रिसेप्टर बाइंडिंग को ब्लॉक करना: ये रसायन हार्मोन रिसेप्टर्स से चिपक जाते हैं और असली हार्मोनों को उनसे जुड़ने से रोकते हैं, जिससे रिसेप्टर को सामान्य संदेश नहीं मिल पाता और संचार प्रणाली बाधित हो जाती है।
- हार्मोन स्तर और चयापचय में परिवर्तन: एंडोक्राइन डिसरप्टर्स हार्मोन के उत्पादन, परिवहन, स्राव और विघटन की प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए, ये एंजाइमों, ट्रांसपोर्ट प्रोटीनों, या रिसेप्टर निर्माण को प्रभावित कर हार्मोन के स्तर को असामान्य रूप से बढ़ा या घटा सकते हैं।
- प्राकृतिक हार्मोनों की नकल करना: एंडोक्राइन डिसरप्टर्स जैसे BPA, फ्थैलेट्स और PFAS शरीर के हार्मोन रिसेप्टर्स (जैसे एस्ट्रोजन, एंड्रोजन, थायरॉइड और कोर्टिसोल रिसेप्टर्स) से जुड़कर गलत संदेश (सिग्नल) भेजते हैं, जिससे हार्मोन प्रणाली अत्यधिक सक्रिय हो जाती है।
भारत में प्लास्टिक प्रदूषण
- भारत हर वर्ष 9.3 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है।
- इसमें से लगभग 5.8 मिलियन टन कचरा जला दिया जाता है, जिससे हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जबकि शेष 3.5 मिलियन टन पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
- मुंबई जैसे शहरों में लोग प्रतिदिन वायु, भोजन और जल के माध्यम से 382 से 2,012 माइक्रोप्लास्टिक कणों के संपर्क में आते हैं।
- नागपुर में डॉक्टरों ने बताया है कि बच्चों में समय से पहले यौवन, सांस लेने की समस्या, मोटापा और सीखने की समस्याओं में वृद्धि हो रही है – ये सभी लक्षण प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित माने जा रहे हैं।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा किए गए परीक्षणों में दिल्ली, जबलपुर और चेन्नई के पीने के पानी में फ्थैलेट्स की मात्रा यूरोपीय संघ की सुरक्षा सीमा से अधिक पाई गई।
- भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (2016, 2022 और 2024 में अद्यतन) जैसी मजबूत नीतियां हैं, लेकिन उनका प्रवर्तन कमजोर और असमान है।
- मौजूदा नियम कम खुराक वाले रासायनिक प्रभावों या बच्चों और गर्भवती महिलाओं के समक्ष आने वाले विशेष जोखिमों पर विचार नहीं करते हैं।
मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
प्लास्टिक प्रदूषण भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में उभर रहा है। मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का परीक्षण कीजिए और मौजूदा नियामक उपायों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिए। (10M, 150W)