संदर्भ:

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) ने प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक के मसौदे में “गुप्त” परिवर्तनों की निंदा की।

प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2023

  • यह विधेयक ऑनलाइन समाचार और मनोरंजन मीडिया पर नियामक आवश्यकताओं का विस्तार करता है।
  • इस विधेयक का उद्देश्य केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की जगह लेना है। 
  • मसौदा विधेयक का उद्देश्य सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की देखरेख में सामग्री वर्गीकरण और सुगम्यता प्रावधानों सहित प्रसारण सेवाओं को विनियमित करना है।

कार्यक्रमों का स्व-वर्गीकरण:

  • प्रसारकों को संदर्भ, विषय, लहजा, प्रभाव और लक्षित दर्शकों को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यक्रमों को निर्दिष्ट श्रेणियों के अंतर्गत स्वयं वर्गीकृत करना जरूरी है।
  • वर्गीकरण दिशानिर्देशों में निर्दिष्ट विषय-वस्तु विवरण पर आधारित होना चाहिए।
  • मसौदा विधेयक की धारा 21 के अनुसार, प्रासंगिक वर्गीकरण को कार्यक्रम की शुरुआत में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

प्रवेश नियंत्रण उपाय:

  • धारा 21 की उपधारा (1) के अनुसार, प्रसारण नेटवर्क ऑपरेटरों को प्रतिबंधित दृश्यावलोकन हेतु उपयुक्त समझे जाने वाले कार्यक्रमों के लिए पहुंच नियंत्रण उपायों को लागू करना है।

पहुँच-योग्यता संबंधी दिशानिर्देश:

  • मसौदा विधेयक में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए प्रसारण सेवाएं सुलभ बनाने के प्रावधान शामिल हैं।
  • सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सुगम्यता के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकता है, जो वर्तमान में स्वैच्छिक रूप से प्रस्तावित हैं।
  • सुगम्यता संबंधी दिशा-निर्देशों से संबंधित शिकायतों के समाधान के लिए केंद्र सरकार द्वारा एक दिव्यांगता शिकायत निवारण अधिकारी नामित किया जाएगा।
  • धारा 34 के अनुसार, सुगम्यता संबंधी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के लिए प्रसारकों या नेटवर्क ऑपरेटरों पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

प्रसारण सलाहकार परिषद:

  • प्रसारकों के विरुद्ध शिकायतों को निपटाने के लिए एक सरकारी निकाय।

विधेयक से संबंधित चिंताएं

  • सरकारी नियंत्रण का अतिक्रमण: यह विधेयक डिजिटल प्लेटफार्मों पर सरकार की नियामक शक्ति का विस्तार करता है, जिन्हें पहले एक अलग ढांचे के तहत विनियमित किया जाता था।
  • सेंसरशिप की संभावना: सरकारी प्रभाव वाली प्रसारण सलाहकार परिषद की स्थापना से विषय-वस्तु नियंत्रण और सेंसरशिप के बारे में चिंताएं उत्पन्न होती हैं।
  • रचनात्मक स्वतंत्रता पर प्रभाव: सख्त नियम और दिशानिर्देश मीडिया उद्योग में रचनात्मक अभिव्यक्ति और प्रयोग में बाधा डाल सकते हैं।
  • विभेदकारी व्यवहार: विधेयक में विभिन्न प्रकार के प्रसारकों (टी.वी., ओ.टी.टी., डिजिटल समाचार) के वर्गीकरण से भेदभावपूर्ण व्यवहार और असमान प्रतिस्पर्धा की स्थिति पैदा हो सकती है।
  • स्पष्टता का अभाव: विधेयक के कुछ प्रावधान अस्पष्ट हैं तथा उनकी व्याख्या की जा सकती है, जिससे मनमाने ढंग से प्रवर्तन हो सकता है।

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF)  

  • यह एक भारतीय डिजिटल अधिकार संगठन है जो ऑनलाइन स्वतंत्रता, गोपनीयता और नवाचार की रक्षा करता है और डिजिटल युग में स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है।
  • इसका गठन वर्ष 2016 में नेट तटस्थता के लिए इंटरनेट बचाओ आंदोलन (‘Save The Internet’) द्वारा किया गया था।
    ‘सेव द इंटरनेट’ अभियान एक निष्पक्ष और स्वतंत्र इंटरनेट को बनाए रखने के लिए स्वयंसेवकों द्वारा चलाया जाने वाला प्रयास है। इसे वर्ष 2015 में भारत भर में समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के एक समूह द्वारा शुरू किया गया था। 

Also Read:

ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया के सबसे बड़े यूरेनियम भंडार पर खनन प्रतिबंध लगाया

Shares: