संदर्भ:

हाल ही में, टोंगा में 53वीं वार्षिक प्रशांत द्वीप मंच (Pacific Islands Forum-PIF) नेताओं की बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रशांत द्वीप मंच के 18 सदस्य देशों के नेताओं के साथ-साथ उनके संवाद साझेदार भी एकत्रित हुए।

बैठक के मुख्य अंश

जलवायु परिवर्तन और वित्तपोषण की कमी:

  • प्रशांत द्वीप समूह गंभीर जलवायु प्रभावों का सामना कर रहे हैं, जहां समुद्र का स्तर वैश्विक औसत से दोगुने से भी अधिक बढ़ रहा है।
  • नेताओं ने अनुकूलन और आपदा प्रतिक्रिया के लिए जलवायु वित्तपोषण को सुव्यवस्थित करने हेतु प्रशांत लचीलापन सुविधा (Pacific Resilience Facility-PRF) का समर्थन किया।
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कार्रवाई का आग्रह किया क्योंकि प्रशांत लचीलपन सुविधा अपने 500 मिलियन डॉलर के लक्ष्य से 380 मिलियन डॉलर कम है।

भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और क्षेत्रीय पहल:

  • इस बैठक में प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव के लिए चीन, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा उजागर हुई। 
  • ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रस्तावित 270 मिलियन डॉलर के प्रशांत पुलिस पहल (Pacific Policing Initiative-PPI) का उद्देश्य ब्रिस्बेन में एक केंद्रीय पुलिस केंद्र, चार क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र और क्षेत्रीय आपात स्थितियों, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य प्रमुख मुद्दों से निपटने के लिए एक नया बहुराष्ट्रीय बल शामिल करना है।

प्रशांत द्वीप समूह फोरम क्या है?

  • वर्ष 1971 में गठित पीआईएफ एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसके प्रशांत क्षेत्र के 18 देश सदस्य हैं। 
  • इसका उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, राजनीतिक शासन और सुरक्षा में सुधार करना तथा क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना है।
  • इसका लक्ष्य शांति, सद्भाव, सुरक्षा, सामाजिक समावेश और समृद्धि के साथ एक लचीला प्रशांत क्षेत्र बनाना है।
  • इसमें निर्णय सदस्य देशों के बीच आम सहमति से लिए जाते हैं और प्रशांत द्वीप मंच सचिवालय द्वारा कार्यान्वित किए जाते हैं।

प्रशांत देशों के साथ भारत की प्रमुख पहल और सहयोग मंच

  • हिंद-प्रशांत महासागर पहल: हिंद-प्रशांत महासागर पहल (Indo-Pacific Oceans Initiative-IPOI) का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, पारिस्थितिक स्थिरता, संसाधन प्रबंधन, क्षमता निर्माण, आपदा जोखिम न्यूनीकरण, वैज्ञानिक सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करना है।
  • भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग मंच: वर्ष 2014 में स्थापित भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (Forum for India-Pacific Islands Cooperation-FIPIC) भारत और 14 प्रशांत द्वीप देशों के बीच सहयोग को सुगम बनाता है।
  • भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष: भारत-संयुक्त राष्ट्र विकास साझेदारी कोष (India-UN Development Partnership Fund) फिजी में पैरामीट्रिक माइक्रोइंश्योरेंस, तुवालु में जल कुंड, तथा टोंगा की राष्ट्रीय महिला परिषद के सौरीकरण जैसी परियोजनाओं को सहायता प्रदान करता है।
  • त्वरित प्रभाव परियोजनाएं: भारत 14 प्रशांत द्वीप देशों में से प्रत्येक में 50,000 अमेरिकी डॉलर मूल्य की त्वरित प्रभाव परियोजनाओं को वित्तपोषित करेगा तथा प्रभावी विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करेगा।

भारत के लिए प्रशांत द्वीप राष्ट्रों का महत्व

  • सामरिक स्थिति: प्रशांत द्वीप राष्ट्र विशाल प्रशांत महासागर में एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक स्थिति (स्थान) रखते हैं, जो अमेरिका और चीन जैसी प्रमुख शक्तियों का ध्यान आकर्षित करते हैं।
  • आर्थिक क्षमता: अपने छोटे भू-क्षेत्र के बावजूद, इन देशों के पास बड़े विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZs) हैं, जिनमें मत्स्य पालन, खनिज और लकड़ी सहित बहुमूल्य संसाधन हैं तथा ये वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण पारगमन बिंदु के रूप में कार्य करते हैं। 
  • राजनयिक प्रभाव: 14 प्रशांत द्वीप देशों के पास सामूहिक रूप से संयुक्त राष्ट्र में महत्वपूर्ण मतदान शक्ति है, जो भारत के अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों का समर्थन कर सकती है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट शामिल है।
  • विस्तार का अवसर: हिंद-प्रशांत क्षेत्र भारत को संवर्धित सहयोग और साझेदारी के माध्यम से अपनी कूटनीतिक और रणनीतिक मौजूदगी को व्यापक बनाने का अवसर प्रदान करता है।

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