संदर्भ:

हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में फसलों की 109 उच्च उपज वाली, जलवायु-लचीली और जैव-प्रबल किस्में जारी कीं। 

अन्य संबंधित जानकारी

  • प्रयोगशाला-से-भूमि कार्यक्रम: प्रयोगशाला-से-भूमि कार्यक्रम (Lab-to-Land Program) प्रयोगशाला से भूमि पहल का एक प्रमुख उदाहरण है, जो अनुसंधान को सीधे कृषि पद्धतियों से जोड़ता है।
  • कृषि में मूल्य संवर्धन: इस पहल का उद्देश्य भारत में कृषि उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ाना है।
  • इससे किसानों को लागत कम करने और आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • जलवायु-अनुकूल बीज: ये नए जारी किए गए बीज प्रतिकूल मौसम की स्थिति में भी पनपने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिससे बेहतर पैदावार सुनिश्चित होती है।

उच्च उपज देने वाली किस्में

  • विविध फसल किस्में: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित फसलों की 109 किस्में जारी की गईं, ये किस्में 61 फसलों के लिए उपयुक्त हैं, जिनमें 34 खेत फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं।

जैव-प्रबलीकरण

  • यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रजनन, कृषि विज्ञान या जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से फसलों के पोषक तत्व घनत्व को उपभोक्ताओं या सबसे महत्वपूर्ण रूप से किसानों द्वारा पसंद की जाने वाली किसी भी विशेषता का त्याग किए बिना बढ़ाया जाता है। 
  • इसे पोषण-संवेदनशील-कृषि हस्तक्षेप के रूप में मान्यता प्राप्त है जो विटामिन और खनिज की कमी को कम कर सकता है। 
  • उदाहरण के लिए, चावल, सेम, शकरकंद, कसावा और फलियों का लौह-जैव-प्रबलीकरण; जबकि गेहूं, चावल, सेम, शकरकंद और मक्का आदि का जस्ता-जैव-प्रबलीकरण।
  • पोषण पर ध्यान: इन जैव-प्रबलित किस्मों का उद्देश्य पोषण गुणवत्ता में सुधार लाना, आहार संबंधी कमियों को दूर करना और स्वास्थ्यप्रद भोजन विकल्पों को बढ़ावा देना है।
  • किसान सहभागिता पहल: प्रधानमंत्री ने प्रस्ताव दिया कि कृषि विशेषज्ञ वर्तमान कृषि चुनौतियों पर चर्चा करने और सहयोगात्मक समाधानों को बढ़ावा देने के लिए मासिक आधार पर किसानों से संपर्क करें।

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